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15.3.21

धनिष्ठा मरने के बाद पांच लोगों को अपने अंग देकर नया जीवन दे गई

Ajeet Kumar -
    
कहते हैं खुशियां बांटने से और ज्यादा बढ़ती है। और इस कहावत को साकार कर दिखाया 20 महीने की एक मासूम बच्ची के माता पिता ने। दरअसल दिल्ली के रोहिणी मे रहने वाले आशीष कुमार की बेटी धनिष्ठा की एक हादसे के दौरान मौत हो गई थी। जिसके बाद मासूम बच्ची के माता पिता ने निर्णय लिया कि बच्ची के ऑर्गन्स को डोनेट किया जाए। और माता पिता ने हिम्मत जुटाते हुए बच्ची के ऑर्गन डोनेट कर दिए। आज वो मासूम बच्ची इस दुनिया में नहीं है, लेकिन इस बच्ची ने 5 लोगों को जीवन दान दे दिया।

 


कहते हैं बच्चे भगवान का रूप होते हैं, और बच्चों का काम है खुशियां बांटना। बच्चों की एक छोटी सी प्यारी मुस्कान लोगों के बड़े बड़े गम को भी भूला देती है। एक ऐसा ही काम 20 महीने की छोटी सी बच्ची ने कर दिखाया है, जिसने दुनिया छोड़ने से पहले पांच लोगों की जिदंगी संवार दी। इस बच्ची ने अपने शरीर के पांच अंगों को दान कर सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर भी बन गई। दरअसल दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 24 में 20 महीने की धनिष्ठा खेलते समय अपने घर की पहली मंजिल से नीचे गिर गई थी। 11 जनवरी को धनिष्ठा को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। हादसे के बाद मासूम बच्ची के माता पिता ने निर्णय लिया कि बच्ची के ऑर्गन्स को डोनेट किया जाए। और माता पिता ने हिम्मत जुटाते हुए बच्ची के ऑर्गन डोनेट कर दिए। धनिष्ठा का दिल, लिवर, दोनों किडनी और कॉर्निया सर गंगाराम अस्पताल ने निकाल कर पांच रोगियों में प्रत्यारोपित कर दिया। इस तरह धनिष्ठा ने मरने के बाद भी पांच लोगों को अपने अंग देकर उन्हें नया जीवन दे गई। अपने चेहरे की मुस्कान उन पांच लोगों के चेहरे पर छोड़कर चली गई।

दरअसल ये दर्दनाक हादसा 8 जनवरी को 20 महीने की धनिष्ठा अपने घर मे अपनी मां के साथी थी। धनिष्ठा दूसरे कमरे में मौजूद थी और बच्ची को लगा कि उसके दादा उसको बाहर से आवाज लगा रहे है जिसके बाद बच्ची गेट की चटकानी खोलकर बालकनी में पहुंची जहां बच्ची का पैर स्लिप हुआ और बालकनी से नीचे जा गिरी। आस-पास मौजूद लोग घायल मासूम बच्ची को नजदीकी नर्सिंग होम में लेकर गए जहां से बच्ची को डाक्टरो ने गंगाराम अस्पताल में रेफर कर दिया। माता पिता की माने तो बच्ची सिर के बल गिरी थी, जिसके कारण बच्ची का ब्रेन डैमेज हो गया था। और बचपाना मुश्किल था। डॉक्टरों ने उसे होश में लाने की बहुत कोशिश की लेकिन सब बेकार साबित हुआ।

गौरतलब है कि आशीष कुमार काफी सालों से दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 24 में अपने पारिवार के साथ रहते आ रहे है। आशीष खुद प्राइवेट नौकरी करते है और इनकी वाइफ सरकारी स्कूल मे टीचर है और इनका 5 साल के एक और बच्चा है जिसका नाम अद्विक है। वहीं दूसरीं तरफ दादा ने भी कहा कि धनिष्ठा मेरी लाडली पोती थी। धनिष्ठा के माता पिता और दादा ने बताया कि आज भले ही उनका बच्ची इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि उनकी बच्ची 5 लोगों को जीवन दान दे गई। धनिष्ठा के माता और पिता ने बताया कि हमने अस्पताल में रहते हुए कई ऐसे मरीज़ देखे जिन्हे अंगों की सख्त आवश्यकता थी। हांलाकि हम अपनी धनिष्ठा को खो चुके थे, लेकिन हमने सोचा की अंगदान से उसके अंग न ही सिर्फ मरीज़ों में जिन्दा रहेंगे, बल्कि उनकी जान बचाने में भी मददगार साबित होंगे।

धनिष्ठा के माता-पिता ने हिम्मत जुटाते हुए एक बड़ा ही साहसिक कदम उठाया। साथ ही वह लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि लोग समाज के लिए आगे आये और जरूरत मंद लोगो को अंगदान करे। उल्लेखनीय है कि भारत में पहले लोग इस तरह से अंगों को दान करने से हिचकते थे लेकिन अब पिछले कुछ सालों में अंगदान की परंपरा में तेजी आई है, और लोग खुद आगे आकर अपने अंगदान करते हैं जैसा की धनिष्ठा के मामले में देखने को भी मिला।

Ajeet Kumar
journalistarp@gmail.com


 

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