अयोध्या प्रसाद ‘भारती’-
तीरथ सिंह रावत के उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री बनने पर शायद ज्ञानचक्षु खुल गये, उन्हें नरेंद्र मोदी में भगवत्ता नजर आ गई। उन्होंने मोदी की तुलना अयोध्या के राजा दशरथ के बेटे राम से कर दी। उनका कहना है कि जैसे जनसेवा के लिए राम को भगवान माना गया और उनकी पूजा की जाती है वैसे ही भविष्य में मोदी की भी की जाएगी। रावत के इस बयान की राज्य और देश के अलावा दुनिया भर में आलोचना हो रही है और इसे चमचागीरी का बेहतरीन उदाहरण माना जा रहा है। रावत का यह बयान इस बात का संकेत भी है कि राज्य के निर्वाचित विधायकों को दरकिनार कर उन्हें मुख्यमंत्रित्व उनकी पायंलागूं योग्यता के चलते ही मिला होगा। पहाड़ों से लेकर मैदानों तक नेताओं की हीनता, शब्दों और भावों की सामान्य समझ रखने वाले लोग रावत की खूब मजम्मत कर रहे हैं।
रावत को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ है तो थोड़ा सा चिंतन और कर लेते। मोदी की पूजा तो बहुत लोग तब से कर रहे हैं जब वे गुजरात में मुख्यमंत्री थे। सन 2013-14 में करोड़ों लोग मोदी की अभ्र्यथना कर रहे थे। अब भी कर रहे हैं। कहीं तो उनका मंदिर भी बनाया गया है। और अब तो खुद रावत साहब ने मोदी का स्तुतिगान शुरु कर दिया है। मोदी जीते-जागते, साक्षात भगवान हैं ही पहले से कुछ लोगों के लिए।
रावत साहब को याद होगा उत्तराखण्ड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी को एक विख्यात कवि लीलाधर जगूड़ी ने चमचागीरी का कीर्तिमान गढ़ते हुए उत्तराखण्ड का पिता बता दिया था जिस पर नैनीताल के एक प्रसिद्ध पत्रकार ने उन्हें बुरी तरह लताड़ा था और कहा था कि स्वामी उनके (जगूड़ी के) पिता हो सकते हैं, पूरे उत्तराखण्ड का पिता कहने का हक उन्हें नहीं है।
रावत साहब को यह अधिकार है, उनकी मौज है उनकी श्रद्धा है कि वे मोदी की तुलना भगवान के तौर पर करें। लेकिन वे अन्य लोगों को मूढ़, चमचईप्रिय और चालबाज मानने की गलतफहमी में न रहें। भारत के हर नागरिक को यह संवैधानिक अधिकार है कि वह किसी में श्रद्धा रखे या अश्रद्धा और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत में तो अपनी पसंद के अनुसार किसी को भी मानने का अधिकार है ही। यह अलग बात है कि किसी भी आदमी का कृत्य दूसरों को आहत, प्रताड़ित न करता हो।
यह सर्वविदित है कि देश में करोड़ों लोगों का जीवन मोदी की नीतियों से संकट में पड़ा है, हजारों लोग मारे गये और देश का बेड़ा गर्क हो चुका है।
रावत साहब को अपना तीसरा नेत्र खोलने की जरूरत नहीं है, पिछले करीब पौने सात साल में मोदी का जितना मजाक उड़ा है, जितनी गालियां उन्हें पड़ती रही हैं, उनकी नीतियों से जितना आर्थिक और सामाजिक नुक्सान हुआ है वह अपने आप में ऐतिहासिक है, वैसा ऐतिहासिक भी जैसा मोदी और उनके चमचे उनके हर काम को ऐतिहासिक कहने की आदत बना चुके हैं, यह तथ्य तो रावत साहब की जानकारी में होगा ही। जिन्हें शक हो वे सर्च इंजन गूगल और तमाम सोशल मीडिया माध्यम देख सकते हैं, पीएम चोर और चौकीदार ही चोर है जैसी सामग्री से गूगल इत्यादि भरे पड़े हैं। साधारण जनों के बीच साधारण व्यक्ति के रूप में रहकर यह जाना जा सकता है कि जनता मोदी के बारे में क्या सोचती, कहती है। वैसे रावत जैसे भक्तों की ऐसी उक्तियां सुनकर मोदी बहुत मुदित होते होंगे। खूब मजा आ रहा होगा उन्हें। बहुत लोग तीरथ साहब में भी भगवत्ता देख रहे हैं, वे उनके साथ खिंचाई गई फोटो सोशल मीडिया पर शेअर कर अपनी भक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। रावत साहब के दर्शनों उनकी निकटता पाने को लालायित हैं। मूढ़ों और चमचों की जय हो।
वैसे मोदी के अलावा अमित शाह, योगी आदित्यनाथ जैसे कई लोगों में तमाम लोगों को देवत्व या भगवत्ता नजर आती है। निश्चित रूप से जो लोग मोदी इत्यादि को भगवान मानते होंगे वे कम से कम अपने को उनका सेवक हनुमान समान समझते होंगे। अब ऐसे लोग राम और हनुमान से भी बहुतों का भरोसा डिगा सकते हैं। ऐसे में रावत साहब को जबकि दिव्यज्ञान प्राप्त हो ही गया है तो अपने अगले प्रवचनों में वे इसका भी बखान करें कि राम ने क्या-क्या जनकल्याण के काम किये थे।
-अयोध्या प्रसाद ‘भारती’ (स्वतंत्र पत्रकार)
रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) उत्तराखण्ड
ईमेल : peoplesfriend9@gmail.com
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