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20.3.21

आम जनता से पाँच-दस किलोमीटर के लिए भी टोल वसूलने का बहाना है टोल प्लाज़ा हटाने का वादा

धर्मवीर-

देश के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गड़करी के द्वारा कल लोकसभा में दिए गए बयान के अनुसार आने वाले एक वर्ष में देश से सभी टोल प्लाज़ा हटा दिए जाएँगे । टोल का कलेक्शन सीधे GPS +फ़ास्टटैग + बैंक अकाउंट की सहायता से किया जाएगा । मंत्री जी के अनुसार इस नये क्रांतिकारी बदलाव के कारण टोल टैक्स पर लगने वाले समय और तेल की बचत होगी।


है ना शानदार ख़बर  ..?

पर रुकिए ..... ठहरिए । क्या सच में ऐसा होने जा रहा है या इसमें कुछ और झोल है ..?

देश में फ़ास्ट टैग अनिवार्य हुए कुछ ही वक्त बीता है और देश के ज़्यादातर टोल प्लाज़ा बिना लाइन के ही मिलते हैं क्यूँकि फ़ास्ट टैग अपने आप में ही बहुत तेज सिस्टम है और कैश वाले सिस्टम से कंपेयर करें तो फ़िर यह कई गुना बेहतर सिस्टम है । फ़िर ऐसे में मंत्री जी टोल प्लाज़ा हटाने की बात क्यूँ कह रहे हैं ..?

हम आपको समझाते हैं यह पूरी कहानी ।

कहानी अगर एक वाक्य में समझना चाहें तो  नितिन गड़करी जी ने वाहन चालकों से वसूली का एक और फ़ुल प्रूफ़ प्लान अर्थात् ब्रह्मास्त्र चला दिया है । ब्रह्मास्त्र इसलिए क्यूँकि टोल प्लाज़ा हटने और समय बचने की लुभावनी घोषणा के बाद देश का हर पढ़ा लिखा आदमी भी वाह वाह करेगा । सरकार समर्थक तो ख़ैर हर बात पर वाह वाह करने को ही अपना मुख्य कार्य मानते है  । लेकिन सुनिए ... यह टोल प्लाज़ा ख़त्म करने की योजना नहीं बल्कि पाँच - दस किलोमीटर के लिए भी हाइवे के इस्तेमाल करने को चार्जेबल करने की वृहद् योजना है ।  कैसे ..? पूरा पढ़िए ।

हाइवे को निज़ी हाथों में सोंपने के समय शुरूआती नीति थी कि हर सौ किलोमीटर के बाद टोल प्लाज़ा बनाए जाएँगे । फ़िर नेताओं और कम्पनियों को लगा कि 00  KM से चलकर 99 KM  तक अगर कोई वाहन हाइवे छोड़ देता है तो वह बिना  टोल दिए ही चला गया । सो आधुनिक भारत की तथाकथित मसीहा सरकारों ने दो टोल प्लाज़ा के बीच की दूरी 60 किलोमीटर कर दी ।  वर्तमान में चूँकि MLA / MP ख़रीदने का ख़र्चा काफ़ी बढ़ गया है सो जनता की  हितैषी सरकारों  की मेहरबानी से दो टोल प्लाज़ा 35 KM  की दूरी पर भी स्थापित किए जा सकते हैं । उदाहरण आपके आस पास ही बहुत हैं सो ख़ुद जाँच लें ।

अब नितिन गड़करी जी को “ आई मीन टू से दैट “ धन्ना सेठों को इस 35  किलोमीटर तक फ़्री चलने से भी ऐतराज़ होने लगा है । उदाहरण के लिए भरतपुर से फ़तेहपुर सीकरी के बीच हज़ारों वाहन रोज़ निकलते हैं लेकिन टोल देने की अनिवार्यता से बचे हुए हैं । ऐसा ही हाल आगरा के दक्षिणी बाई पास का है जहां तीस किलोमीटर तक आराम से बिना टोल दिए चला जा सकता है । अब बताइए यह कोई इंसाफ़ हुआ टोल कम्पनी के साथ ..? राष्ट्रवादी सरकार है सो टोल कम्पनी के हर हित का ख़याल रखना इनकी ज़िम्मेदारी है सो अब टोल कलेक्शन को सीधे गाड़ी के GPS + फ़ास्ट टैग + आधार से लिंक्ड बैंक अकाउंट से जोड़ा जा रहा है । हमारे पास विदेशों में हाईवे पर चलने का  जितना  अनुभव है उसके लिहाज़ से कहूँ तो आने वाले समय में टोल प्लाज़ा तो नहीं हटेंगे लेकिन हर पाँच किलोमीटर की दूरी पर वाहनों की स्पीड और नंबर को नोटिस करने वाले राडार लगाए जाएँगे।

वह राडार इतने शक्तिशाली होते हैं कि हर वाहन के नम्बर प्लेट को रीड कर पाते हैं । आने वाले कुछ ही महीनों में केवल हाईटेक नम्बर प्लेट अर्थात् HSRP ही वैलिड मानी जाएँगी सो हर वाहन की नम्बर प्लेट उस राडार के अनुसार रीडेबल होगी । हर प्लेट वैलिड ID के साथ मिलेगी सो साफ़ है कि वाहन के नम्बर मात्र से ही वाहन स्वामी और उनके आधार नम्बर तक ट्रैकिंग की जा सकेगी । सो जिस तरह से किसी रूल के उल्लंघन पर ट्रैफ़िक पुलिस हमें नोटिस भेजती थी ठीक उसी तर्ज़ पर टोल कम्पनी टोल वसूली करेगी । सो तैयार रहिए हर पाँच  किलोमीटर चलने के बाद पंद्रह - बीस रुपए + GST अपने बैंक खाते से कटवाने के लिए।

एक और ग़ज़ब बात पता है आपको ...? ग़ज़ब यह है कि टोल प्लाज़ा फ़िर भी नहीं हटेंगे क्यूँकि टोल कम्पनी को डर रहेगा कि आपने GPS सिस्टम को बाई पास किया है सो वहाँ ऑटमैटिक गेट्स बने रहेंगे । भले ही  बिना कर्मचारी के ही क्यूँकि कर्मचारी हर महीने तनख़्वाह माँगता है जबकि औटोमेटिक गेट बिना तनख़्वाह काम करता है । अपना अनुभव तो यही है । बाक़ी जय श्री राम ।

(लेखक का समसामयिक विषयों पर आधारित अपना YouTube चैनल है Dharam Veer Live के नाम से । आप भी ज़रूर सब्सक्राईब करें।)

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