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15.3.21

बासी खबरों-फोटो के सहारे नम्बर वन बनना चाहता है भास्कर

'नया कलेवर, तीखा तेवर' स्लोगन से आगे बढ़ रहे दैनिक भास्कर ने 25वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। भास्कर को और अधिक बेहतर बनाने के लिए मालिक सुधीर अग्रवाल चाहे जितनी कोशिश कर लें मगर इनके कार्मिक ही इस अखबार की साख को भट्टा बैठाने में लगे हैं। ताजा मामला राजस्थान के ब्यावर ब्यूरो ऑफिस का है। वहां तैनात भास्कर टीम की लापरवाही का आलम ऐसा है कि पुरानी और बासी खबरों के सहारे पन्ने भरे जा रहे हैं। संपादक की मेहरबानी के चलते बरसों से एक ही दफ्तर में जमी ब्यावर टीम न सिर्फ खबरों की खानापूर्ति, बल्कि लापरवाही की हदें पार कर रही है। थोड़े-थोड़े समय बाद पुरानी खबरों और तस्वीरों को फिर से छापना इनकी फितरत बन गई है।


ब्यावर भास्कर में 22 दिसंबर 2020 के अखबार में पिंडवाड़ा हाइवे की फोटो-खबर आधे पेज पर आठ कॉलम लीड छपी है। यही फोटो-खबर भास्कर में ही डेढ़ साल पहले 12 जुलाई 2019 को भी छप चुकी है। दोनों ही फोटो में फोटोग्राफर का नाम भी छपा है। अब यह जनता को गुमराह करने के लिए किया गया कृत्य है या मालिक सुधीर अग्रवाल को।

वैसे ब्यावर भास्कर में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। ऐसा तो अक्सर ही होता रहता है। गत 19 दिसंबर 2020 को ब्यावर भास्कर में डीएफसी कॉरिडोर की खबर और फोटो चार कॉलम प्रकाशित हुई थी। यही खबर-फोटो आठ माह पूर्व 26 अप्रैल 2020 को आठ कॉलम में रिपोर्टर और फोटोग्राफर के नाम सहित प्रकाशित हो चुकी है।

गोरखधंधे की हद तो तब पार हो गई जब 1 नवंबर 2020 को हुए कार्यक्रम की खबर भास्कर ने एक महीने बाद 2 दिसंबर 2020 के अंक में छापी। शायद उस दिन भी अखबार का पन्ना भरना होगा इसलिए दूसरे अखबार में एक महीने पहले छपी खबर हूबहू कॉपी करके छाप दी। इस कारनामे से भास्कर का फोटोग्राफर और पत्रकार अपने प्रबंधन की आंखों में तो धूल झोंक सकते हैं मगर पाठकों की पैनी निगाहों से नहीं बच सकते। ऐसा लगता है कि अपने प्रतिद्वंद्वी अखबारों को पीछे छोड़ने के लिए 'जिद करो, दुनिया बदलो' के स्लोगन ने शायद कर्मचारियों को ऐसे कारनामे करने की छूट दे रखी है। तभी तो जो गलतियां पाठक पकड़ रहा है वो गलतियां भास्कर प्रबंधन नहीं देख पा रहा, या शायद अनदेखा कर रहा है।

अगर दैनिक भास्कर ऐसे ही बासी खबरों व तस्वीरों से देश में नम्बर 1 बनने के लिए बढ़ता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पाठक इन्हें नकारकर नीचे धकेल देंगे। आए दिन सामने आ रही इन गलतियों पर गंभीर होकर भास्कर प्रबंधन को अपनी साख बचाने के लिए आंखें खुली रखनी होगी। वरना लापरवाह कर्मचारियों की गलती का खामियाजा मालिक को भुगतना पड़ सकता है।




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