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14.6.11

जुल्म -अन्याय की खिलाफत मानव का पुनीत कर्त्तव्य


अरविन्द विद्रोही लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से निर्वाचित सरकार जब अपने देश-समाज के प्रति कर्त्तव्य पथ से विमुख होती है तब सत्याग्रह ,सविनय अवज्ञा , बहिष्कार, जन चेतना, और आम चुनावो में जुल्मी सरकारों की पराजय सुनिश्चित करने के लिए अपना जीवन लगाना यह सजग नागरिको व देश के नागरिक प्रहरियो का पुनीत कर्त्तव्य है| कुछ लोग भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ लड़ाई पे,उसको लड़ने वालो पे, लड़ाई के तरीको पे सवालिया निशान लगाते है,और इस प्रकार के सवाल हर युग में जुल्मी सल्तनत के खिलाफ लड़ने वालो के ऊपर लगाये जाते रहे है| जुल्म की खिलाफत करने की जगह कायरो की तरह सिसकने वाले नपुन्सको तुम क्या जानो जुल्म की खिलाफत करने वालो के इरादे| क्रांति की राह पे चलने वाले अपने भविष्य की चिंता नहीं करते वो तो सिर्फ अपनी जन्म-भूमि और आम जन के लिए अपनी जान दे भी सकते है और जुल्मी की जान ले भी सकते है|अराजकता की बात करते हो तुम कायरो? यह जो भ्रष्ट तंत्र के वाहको व निरंकुश सरकारों का गठबंधन व्यापक अराजकता फैलाये है ये तुम्हे नहीं दिखाई देती? जनता की मेहनत की कमाई लूटने वालो की खिलाफत करने से अराजकता फैलती है तो फैलनी ही चाहिए| कब तक हमको भ्रष्ट तंत्र की चक्की में पीसोगे? तोडना ही होगा यह भ्रष्ट तंत्र,हर संभव तरीके से,और जब यह बात किसी मतवाले के जेहन में समां जाती है तो जुल्मी शासक वर्ग उसको पागल और देश में अराजकता फ़ैलाने वाला साबित करने में जुट जाता है| लेकिन क्या जुल्मी हुकूमत आज तक इन मतवालों के कदम रोक सकी है जो अब रोक लेगी? ब्रितानिया हुकूमत की गुलामी से मुक्ति के मतवाले बलिदानियो की,क्रांति पथ के सेनानियो की,महात्मा गाँधी की सारी मेहनत पर पानी फेरने का दुष्कर्म आजाद भारत में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से चयनित सरकार कर रही है| आजादी मिलने के तुरंत बाद महात्मा गाँधी ने सत्ता के उच्च पदों पे बैठे लोगो के भ्रस्टाचार के सम्बन्ध में चेतावनी दी थी| डॉ राम मनोहर लोहिया और मधु लिमये संसद में भी भ्रस्टाचार के मामले उठाते रहते थे| जयप्रकाश का आन्दोलन आज भी नजीर है| जवाहर लाल नेहरु के प्रधान मंत्रित्व काल में सत्ता की कोख में पल्लवित-पोषित भ्रस्टाचार भारत में आज आम नागरिको की नसों में रक्त बन कर प्रवाहित हो रहा है | भ्रस्टाचार की खिलाफत करने वालो को सत्ता मद में चूर,भ्रस्टाचार में सरोबौर , साम्राज्य वादी निरंकुश सरकारे पुलिसिया दमन की बदोलत कुचलने की कुचेष्टा में अपना सर्वस्व लगा रही है | पूंजीवाद का घिनौना तांडव भारत के आम नागरिक के प्रति दिन के जीवन का उपहास उडाता है और आम नागरिक मन मसोस कर अपनी किस्मत का रोना रो रहा है| कुछ लोग कहते है कि भारत विकास के पथ पर अग्रसर है,अरे जरा वातानुकूलित गाडियो से निकल के किसी सवारी गाड़ी की यात्रा तो कर के देखो,माल में राशन खरीदने वालो कभी राशन की दुकान से राशन लेने का कष्ट तो उठाओ,कभी सरकारी अस्पताल में पर्ची कटा के इलाज तो करवाओ,अपने बच्चो को सरकारी विद्यालय में पढ़ा के काबिल बनाओ,,क्या हिम्मत जुटा पाओगे भारत की आम जनता किसान और मजदूर की तरह जिंदगी जीने की कल्पना मात्र करने का? नहीं ना,अब अपने मेहनत का दंभ ना भरो ना ही काबिलियत का दावा करो| यह जो मेहनत कसो की मेहनत लूट के उनके अरमानो की चिता पे अपनी अट्टालिकाएं बना ली है तुम पूंजीपतियो ने, यह तुम्हारे द्वारा किये गये शोषण और बेईमानी की मिसाल है| सरकारों की अराजकता ,सरकारी कर्मिओ का भ्रस्टाचार और मनमाना-पन देखना हो तो कभी किसी लेखपाल से खतौनी बनवा के देखो,किसी थाने में अपने साथ हुई किसी घटना की रिपोर्ट दर्ज करा के देखो| मत ले जाना किसी प्रभावी व्यक्ति को , जरा जा के देखो एक आम नागरिक के रूप में| शोषण का वो नज़रिया देखोगे कि अगर आत्मा होगी तो लहू लुहान हो जाएगी और क्या कहू ? यहाँ तो अब वो व्यवस्था है कि जो सरकारी तंत्र के लूट की खिलाफत करे उसी पर सरकारी काम में बाधा का आपराधिक कृत्य अभियोग दर्ज हो जाता है,सोचो क्या आम जनता को लूटना अब मान्यता प्राप्त सरकारी काम हो गया है ? भ्रष्ट राजनेता-अपराधी-भ्रष्ट नौकरशाहों का काकस भारत के आम जन मानस के अधिकारों को,उनके स्वाभिमान को अपनी सत्ता की ताकत व अवैध अकूत सम्पदा के दम पे रौंदने का काम बदस्तूर जारी रखे है | इन भ्रष्ट तंत्र के वाहको व जनता का शोषण करने वालो के खिलाफ जन चेतना का काम करने वालो पर, आत्म सम्मान-स्वाभिमान का भाव जगाने , आत्म-रक्षा का बल पैदा करने वालो पर कांग्रेस की केंद्र सरकार का अत्याचार भारत के सुलगते मन को ज्वालामुखी बनाने का काम कर रहा है| और यह पूंजीवादी व्यवस्था की पोषक,निरंकुश भ्रष्टाचारियो की हितैषी कांग्रेस सरकार लोकतंत्र के नाम पर एक परिवार के इशारे पर नाचने वाली कठपुतली सरकार भ्रष्टाचारियो पर कार्यवाही की बजाय सत्याग्रहियो को लठिया कर जनतंत्र में जन की आवाज को दबाकर आखिर लोकतंत्र को किस खाई में धकेलना चाहती है ? आज हमारे देश की जो हालत है,किसान अपनी कृषि भूमि को बचाने के लिए जान दे रहा है, सरकारी नौकरियो में पैसे का चलन ,हर जगह लोलुपता ,यह जो सरकारी अराजकता है इसका शिकार आम नागरिक बदस्तूर हो रहा है,अब सरकारी तंत्र की मनमानी और अराजकता की खिलाफत करने से अगर अराजकता फैलने की बात होती है , वो भी सरकारी तंत्र द्वारा तो यह तो वो कहेंगे ही| शायद लोग भूल रहे है की जनता के लिए कानून तोड़ कर ही गाँधी महात्मा बना,भगत सिंह सरीखे युवा क्रांति की मिसाल बने, रासबिहारी बोष ने आजाद हिंद फौज बनाई और सुभाष बाबु ने उसकी कमान संभाली| आजाद भारत में जनता के लिए डॉ लोहिया धारा १४४ तोड़ने के कारण कई बार जेल गये | जन विरोधी काले कानून समाप्त होने चाहिए |भ्रष्टाचार ख़त्म होना चाहिए | क्या दिक्कत है? दिक्कत है कि कोई अपने खिलाफ कार्यवाही कैसे कर सकता है? आम नागरिको को उनके अधिकारों और देश - समाज के प्रति कर्त्तव्य के प्रति जागृत करना,अधिकार प्राप्ति के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देना भारत के नव निर्माण व समता मूलक समाजवादी समाज की स्थापना के लिए किया जाने वाला देश भक्ति पूर्ण कृत्य है| यही शाश्वत सत्य है कि मानव जाति को किसी पर भी अत्याचार करने का अधिकार नहीं है और जो भी व्यक्ति, शासक या शासन सत्ता अत्याचार करती है उसका प्रतिकार करना वीरोचित-न्यायोचित धर्म है|

3 comments:

Dr Om Prakash Pandey said...

arvind vidroheeji , aapke aalekh mein aakrosh , bhawukata ewam manawata ka samvet swar mila , par chintan ko kuchh aur gahra karne ki awashyakta hai .

निर्मला कपिला said...

लेकिन विद्रोही होने वाले लोगों को खुद पाक साफ होना चाहिय्रे तभी विद्रोह सफल होते हैं।

अरविन्द विद्रोही said...

Thanx Dr Om Prakash Pandey jee & निर्मला कपिला jee....