*Other God ! अन्य ईश्वर
मैं सच कहूँगा , मैं असफल नहीं होना चाहता | कोई नहीं चाहता ,भले ही अंत में वह असफल ही हो | मैं अच्छी तरह जानता
हूँ कि मैं ईश्वर को कितना भी ना मानूँ , ईश्वर इस संसार से , मनुष्य के मन से जाने वाला नहीं | क्योंकि उसके वजूद के ठोस कारण हैं | विज्ञानं भी छवियों की हकीक़त को इन्कार नहीं कर सकता , जैसे कलाओं में एब्सट्रेक्ट का स्थान स्वीकृत और सर्वमान्य है |
फिर भी इस बात से मुँह मोड़ना भी संभव नहीं है और घातक भी है कि उसका वैसा अस्तित्व जैसा कि कुप्रचार में है , हमें स्वीकार नहीं हो सकता | या यूँ कहें कि वैसा ईश्वर , ईश्वर का वैसा स्वरुप हमारे मन को नहीं भाता | तो रास्ता यही बनता है कि हम सब अपना –अपना अलग – अलग ईश्वर बनायें | तब हम उसके प्रति ज्यादा ईमानदार हो सकेंगे , उसके प्रेमी और रसिक | और जिंदगी तब ज्यादा आनंदपूर्ण हो सकेगी जो अभी साम्प्रदायिकता के जंजाल में फँसी मनुष्य को परेशान किये हुए है |
इसे मैं अभी “ OTHER GOD MOVEMENT “ अन्य ईश्वर आन्दोलन" की संज्ञा देना चाहूँगा | जो सबका अपना -अपना अलग -अलग होगा ,नया -नया विलक्षण | कहा था न बाबा ने ? जाकी रही भावना जैसी , प्रभु मूरत देखी तिन तैसी |अर्थात मैं कोई नयी बात कह भी नहीं रहा हूँ ##
2 comments:
aap bilkul nayee bat naheen kah rahe hain aur yahee to hindu dharm kee visheshata hai ki isne aastikata ko ishwar ko maanane ya naheen maanane se naheen joda . isliye hinuon mein dhaarmikata hai saampradaayikata naheen. 'Hari ananant , harikatha ananta .'
Thanks for publishing this article.
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