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27.6.11

हमारे सपनों का भारत


योगगुरू बाबा रामदेव ने देशवासियों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए ४० पृष्ठों की पुस्तक हमारे सपनों

का भारत का सहारा लिया है। पुस्तक में नेताओं द्वारा की जा रही लूट के बारें में जानकारी दी गई है।

इतना ही नहीं, पुस्तक के माध्यम से भारत को आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, व्यवहारिक और विश्व में

सबसे अलग पहचान बनाने के मूल्यों पर जोर दिया गया है।

रामदेव ने भारत को विश्व में सबसे ऊंचा दर्जा दिलाने के लिहाज से कार्य करना शुरू कर दिया है। बाबा

ने देश को आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और अच्छे स्वास्थ्य निर्माण के लिए एक

योजना बनायी है। योजना के बारे में भारत स्वाभिमान न्यास हमारे सपनों का भारत नाम की किताब

का सहार ले रहा है।

राजनीति के परिपेक्ष्य में पुस्तक में लिखा गया है कि हिन्दुस्तान की राजनीति विदेशी ताकतों और

उनकी ऐजेंसियों का बड़ा हाथ है। इतना ही नहीं देश के कई बड़े मंत्रालय भी इन्हीं के इशारों पर चलते

है। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री यहां तक कि मीडिया प्रबंधन और छवि निर्माण के लिए देश के बाहर

से पैसा आ रहा है। इसका अर्थ है कि भारत की सरकार विदेशी ताकतों द्वारा चलायी जाती है।

किताब में एक नये भारत को पुनः बनाने पर जोर दिया गया है। देश के गांव, कस्बे, शहर और राज्यों

को सभी प्रकार की सुख सुविधाओं से सुसज्जित किया जाये। नागरिकों की आध्यात्मिक उन्नति के साथ

उन्हें स्वदेशी बनाने के लिए स्वाभिमान न्याय ने कार्य करने आरम्भ कर दिये है। पुस्तक में रामदेव के

साथ उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के विचारों को भी छापा गया है। साथ ही बताया गया है कि

भारत अन्य देशों से किस प्रकार भिन्न और अमूल्य है। बाबा रामदेव ने पुस्तक के माध्यम से बताया कि

देश लगभग ८९ तरह की प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर है। इसकी कीमत १०,००० लाख करोड़ रूपये आंकी

गई है। इससे न सिर्फ भारत की गरीबी, भुखमरी, बीमारी मिटाई जा सकती है, अपितु विश्व की पांच बड़ी

संस्थाएं आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, यूएनओ, डब्ल्यूएचओ और डब्ल्यूटीओ को यहीं से संचालित किया जा

सकता है।

रामदेव के अनुसार ऐसा तभी संभव है, जब भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सरकार कड़ी कार्यवाही कर, विश्व के

विभिन्न बैंको में जमा देश के पैसे को वापस ले आयेगी। पुस्तक में सरकार से अपील की गई है, कि

काले पैसों को राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित कर देनी चाहिए। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक राय ये भी है

कि देश में निर्गमित बड़े नोट १०००, ५०० और १०० रूपये को प्रतिबंधित कर दिया जाये। ऐसा होने से

रिश्वत के मामलों में अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। भ्रष्टाचार और काले धन के सम्बंध में मृत्युदंड़ और

आजीवन कारावास जैसे सख्त दंड़ का प्रावधान होना चाहिए।

बाबा रामदेव का सपना एक ऐसे देश का निर्माण करना है, जो अफगानिस्तान से बर्मा, कैलाश

मानसरोवर से कन्याकुमारी तक अखंड़ भारत के रूप में विश्व में उभर कर सामने आये। रामदेव ने

स्वदेशी चिकित्सा शैली और प्राकृतिक चिकित्सा शैली से होने वाले लाभ, योग से होने वाले शारीरिक

और मानसिक फायदों को पुस्तक में दर्शाया गया है। पुस्तक के जरिये देशवासियों से आग्रह किया गया

है, कि वो देश में निर्मित वस्तुओं का ही उपयोग करे। इससे देश का आर्थिक विकास होगा। कई विदेशी

कम्पनियां अपने भ्रामक विज्ञापनों के जरिये देश को अपरोक्ष रूप से लूट रही है। ऐसी कम्पनियों के

उत्पादों को खरीदने से विदेशी कम्पनियों को लाभ पहुंच रहा है। इससे भारतीयो की मेहनत का पैसा देश

के बाहर जा रहा है। देश को इससे बचना होगा।

बाबा की योजना है कि पुस्तक के जरिये देशभर के सभी स्कूलों, कॉलेजों में छात्रों को देश की संस्कृति,

स्वदेशी उत्पादों का प्रयोग और उनसे होने वाले लाभ के बारें में पढ़ाया जाना चाहिये।

रामदेव ने भारत के कानून के सम्बंध में कहा कि देश केवल नाम से ही आजाद हुआ है। वास्तविकता

तो यह है कि १४ अगस्त १९४७ को देश की शक्ति का हस्तांतरण हुआ था। भारत आज भी ब्रिटिश द्वारा

बनाये गये ३४,७३५ कानूनों के बल पर खड़ा है। उस दिन केवल देश की सत्ता हमारे हाथों में आई थी।

लेकिन भारत को हम आज भी अपने मुताबिक नहीं चला पा रहे है।

सूरज सिंह

2 comments:

Bharat Swabhiman Dal said...

सच है कि 1947 में ब्रिटिस सरकार ने अपने चाटुकार सत्ता के दलालों को सत्ता हस्तांतरण किया था और आज भी देश के नेता विदेशी शक्तियों के इसारे पर भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का काम कर रहे है । लेकिन इन गद्दार नेताओं को सबक सिखाने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द जैसा दृढ संकल्प चाहिये , क्या वह संकल्प भारत स्वाभिमान के नेतृत्वकर्ताओं में है !

Dr.Manoj Rastogi said...

बाबा रामदेव ने गलत क्या लिखा है ।