Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

25.6.11

मुझे गलत समझो

बिलावजह baat, Thoughts for reasons beyond reason
 तर्कातीत By-उग्रनाथ 'नागरिक',Peculiar Secular@"Citizens Don't Mind(बेपरवाह)"group.
-------------------------------------------------------------------------------------------
0 अभी उस दिन दो लड़के सीवर साफ करते समय ज़हरीले गैस के कारण दम घुटने से मर गये । मैं सोचता हूँ कि मैला मुक्ति भला कहाँ संभव हुआ ¿   (समय)
*तुम्हारा ही पत्थर है
तुम्हारी ही छेनी हथौड़ी
तुम्हारी ही मूर्ति है ।  (कविता)
0 बड़ी मुश्किल से
भीगने का
मौका मिला था
उसने
छाता उढ़ा दिया ।  (कविता)
0 साँप , कोई ज़रूरी नहीं
कि काटे ,
उसके काटने का भय भी
आदमी को
मार सकता है ।0   (कविता) 
0 इसीलिए
कमाई खूब है ,
क्योंकि मँहगाई
बहुत है ।   (सं-पीपली लाइव)
0 भेड़ियाधसान है
सरकार बनाने के लिए
मतपत्रों का डाला जाना ,
भेड़ियाधसान ही है
सरकार के खिलाफ़
आन्दोलन किया जाना ।  (कविता)
0 यह तो कहिए कि बहुत से लोग किसी नीति पर क़ायम नहीं रहते , वरना वे पगला जाँय और उनका हर किसी से झगड़ा हो जाय ।    (उवाच)
0 जनता ¿ कौन सी जनता है जिसे आप लोकतंत्र के पक्ष में लाने का दम भरते हैं ¿    (उवाच)
0 भुक्खड़ देश में ईमानदारी ¿ पहले भूख का इलाज करो      (उवाच)
0 अपने प्रायवेट बाथरूम में भी कोई बाल साफ करने का क्रीम खुले में नहीं रखता । (उवाच)  
0 अपनी पत्नी की
मुझे लाज रखनी है ,
इसलिए नज़रें
पराई ओर रखता हूँ ।  (बदमाशी)
0 क्रांति वही जो
बहुत तीब्र न हो
धीरे धीरे हो     (हाइकु)
0 क्रांति वही जो
पब्लिक मन भाये
प्रण निभाए ।    (हाइकु)
0 अभी देखा है
अभी और देखोगे
देखते जाओ ।   (हाइकु)
0 इनके आन्दोलन बीजेपी , आरएसएस से क्यों न जोड़े जाँय , आखिर हैं तो ये  (Human) Rightist , दक्षिणपंथी ही ।   (व्यंग्य)
0 (गीतारंभ)    यह सब द्वंद्व चला करता है ।
कभी नाव गाड़ी पर होती
गाड़ी कभी नाव पर होती,
कभी पुलिस पीटती हमें तो
कभी पुलिस हमसे भी पिटती,
            हनन हंत होता रहता है ।
कभी सड़क पर कोई लड़की
बलात्कृत निश्चय ही होती,
कभी छेड़खानी का वह तो
झूठे भी आरोप लगाती ,
           यह स्वच्छंद हुआ करता है ।
कोई मुनि दधीच दानी तो
अपनी हड्डी तक दे देता ,
कोई भक्त जनों को छलकर
उसका तन-मन-धन ले लेता,     
                             फिर भी संत बना करता है ।  0कृपया इसे पूरा करें0
0 मुझे गलत समझा जा सकता है , पर मै एक छोटा आदमी विवशतः यह मानता हूँ कि मैं व्यक्तिगत तौर पर ही ईमानदार हो सकता हूँ , किसी अन्य को ईमानदार होने के लिए विवश नहीं कर सकता । हाँ,यह काम नैतिक संत, समर्थ शिक्षक, सक्षम अधिकारी अवश्य कर सकते हैं । जैसे मैं अपने वकील से नहीं कह सकता कि मेरी फीस को ईमानदारी से इनकम टैक्स रिटर्न मे दिखाओ । मेरे पास इतना नैतिक साहस नहीं है कि डॉक्टर से कह दूँ मेरे बच्चे को कुछ भी हो जाय मैं तुम्हे कोई पैसा नहीं दूँगा । मैं तो  पोस्टमैन तक को होती-दीवाली की त्योहारी माँगने से मना नही कर सकता । इत्यादि- इत्यादि- इत्यादि । इसे दैनिक जीवन के अनुभव से समझ सकते हैं ।इसे कृपया केवल दिमाग से नहीं, उसमें अपना दिल भी जोड़कर सोचें । नैतिकता नितांत निजी मामला है , और ईमानदारी नैतिकता से संबंधित है। इसलिए ईमानदारी निजी नैतिकता है ।
           
0 मुझे अब लिखकर रखना पड़ रहा है कि इस उम्र में मुझे अब अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है । खाने-पीने में, चलने-फिरने में,सड़क पार करने में ।  (व्यक्तिगत)
0 मैं बहुत कोशिश करता हूँ गालियाँ उचारने की , लेकिन ज़ुबान गंदा करना मुझसे हो नहीं पाता । जबकि , मैं स्वीकार करता हूँ कि मेरे भीतर गुस्सा बहुत है , और मैं जन-जग जीवन से बहुत आहत रहता हूँ ।   (व्यक्तिगत)
------------------------------------------------------------------------------- 25/6/11
For more,please visit – nagriknavneet.blogspot.com       Phone 09415160913

No comments: