मेरा भी फतवा उनका सर कलम करने का,
जिनकी हवेलियों ने
धूप रोक ली झोपडी की...
जिनकी हवस ने पूरा चाँद ढककर
रात और काली कर दी गरीब की...
मेरा भी फतवा उनका सर कलम करने का,
जिनकी वासनाओं ने हवाओं को
इस कदर बरगलाया -कि
आत्महत्याओं का तूफ़ान
थम नहीं रहा बस्ती में...
मेरा फतवा उनका सर कलम करने का
जो शर्म के नाम पर
आदमी का
सर कलम करने का फतवा देते हैं.
कुत्ता पालते हैं/आदमी मरते हैं....
मेरा फतवा उनका सर कलम करने का
जो अपने मांस के लोथड़े पर
सदन में खद्दर लपेटे हुए
कार्यालयों में गर्दन पर
साहबियत कि टाई ऐंठे हुए.
जिन्हें गरीब की बात पर भी
घिन आ जाती है....----अतुल कुशवाह
3 comments:
atul bhai mzaa aa gya tbiyat khush kar di aapke is ftve ne to bhai hm bhi apke sath hain ..akhtar khan akela kota rajsthan
इस फ़तवे को मेरा भी समर्थन है।
इस फ़तवे को मेरा भी समर्थन है।
Post a Comment