- यह सब इस्लाम के आने की पूर्व सूचना है | वहां बाबा दाई , आंत्रिक -तांत्रिक के लिए कोई जगह नहीं होती , सिर्फ एक अल्लाह के अलावा , और उसका एकमात्र, अंतिम सन्देश वाहक |
- जब दो पक्ष एक साथ बात चीत के लिए बैठते हैं तो कोई पक्ष यह नहीं कह सकता कि उसकी हर बात दूसरे पक्ष को अनिवार्य रूप से मान ली जाय | लेकिन हमारा असभ्य सिविल सोसायटी लोक पाल बिल का मसौदा करने में यही कर रहा है | वह जिद पर अड़ा है कि प्रधान मंत्री और मुख्य न्याया धीश को लोकपाल के अधीन लाओ | इसके खतरों से तमाम अन्य बुद्धिजीवी आगाह कर रहे हैं कि लोकपाल को कोई महा शक्ति मत बनाओ | लेकिन यह अन्ना कम्पनी को समझ नहीं आता | इस से सिद्ध होता है कि ये लोकतान्त्रिक सोच के लोग नहीं हैं | इन्हें लगता है मानो कल को ये ही कल को लोकपाल बनने वाले हैं | कमेटी के बाहर का एक नागरिक , मैं स्वयं इनकी मांग और हठ धर्मी से सहमत नहीं हूँ , तो क्या मैं सभ्य नहीं हूँ ? इनकी यह हालत तब है जब कि इनका कमिटी में लिया जाना ही गलत है [जैसा कि , इनसे कम नहीं पढ़े लिखे विशेषज्ञ बताते हैं ] , और इनके पास कोई कानूनी ताक़त नहीं है | सोचने की बात है कि कल को यदि सचमुच यही लोकपाल हो गए तो सारी विधायिका , न्याय पालिका , कार्यपालिका की नाक में दम कर देंगे | सचमुच ये तानाशाह लोग हैं , जो बिना चुनाव लड़े बैक डोर से सत्ता हथियाना चाहते हैं | इसीलिये ये लोकपाल के लिए असीम शक्तियों की मांग कर रहे हैं | यह एक तरह से सिविलियन कूप [coup] होगा फौजी कब्ज़े का प्रशांत स्वरुप | इनकी मंशा को नष्ट किया जाना चाहिए | मैं माँग करता हूँ कि इन्हें कमेटी से निकाल बाहर किया जाय | इनकी जगह पर या तो दूसरे सभ्य नागरिक रखे जाँय , या फिर सभी राजनीतिक दलों के एतराज़ को देखते हुए सरकार स्वयं बिल तैयार करे | इनके अहंकार की हास्यास्पद हालत यह है कि इन्हें अपने अलावा किसी और का देश भक्त होना स्वीकार ही नहीं है | इसलिए ये चाहते हैं कि देश के मालिक यह अकेले बनें , चाहे वह अन्ना हों या बाबा रामदेव |कोई साधारण नागरिक भी ज़रा इनकी हैसियत को चुनी हुयी केन्द्रीय सरकार के मुकाबले रखकर आँक सकता है और इनके दुराग्रह को भी तब ठीक से समझ सकता है | पर दिक्कत यह है कि इस पेंच को तमाम लोग समझते नहीं और लोकतंत्र की हवाई उड़ान में हैं , जिसकी उन्हें कोई समझ नहीं है |
- अब इनका यह कुप्रचार जारी है कि ४ जून को जलियाँ वाला बाग़ हो गया और हालत इमरजेंसी की है | पहले तो मैं यह गलत बात ही कह दूं कि यदि इसके लायक व्यवहार करोगे तो ऐसा शासन पाओगे ही | लेकिन यह तो देखो कि जनमत के दबाव का सम्मान करते हुए ही कानून से परे जाकर गैर सरकारी सदस्यों को कमेटी में लिया | अन्धविश्वासी भक्तों का भी आदर करते हुए चार मंत्रियों ने बाबा रामदेव से बात की , जिसके लिए सरकार ने भीतर -बाहर लांछित भी हुयी | और क्या चाहते हैं ? आप चाहते हैं कि सरकार कुछ काम न करे , पर तमाम लोग सरकार को सुपुष्ट और सक्रिय देखना चाहते हैं , क्योंकि यह उनकी सरकार है , जिसकी कमजोरी का अर्थ है - गुलामी | आप को दिख नहीं रहा है कि आप देश को किस तरह गुलामी में ढकेलते जा रहे हैं |##
- एक साम्य दिख रहा है नक्सलवादियों और गाँधी वादी कार्य शैली में | माओवादी भोले - भाले जंगल वासियों को अपने काम के लिए तैयार करते , उनका इस्तेमाल करते हैं | सभ्य आन्दोलनकारी किसी सीधे -साधे गाँधी वादी को पकड़ कर उन्हें आने काम के लिए तैयार करते , उन्हें भूखो मारने का जतन करके उनका इस्तेमाल करते हैं | नतीजा - मरना तो है जंगल वासी को , या गांधीवादी को | गौर करें , गैर गाँधीवादी बाबा तो मंच से कूद कर भाग जायेंगे | ##
20.6.11
सिविलियन कूप
Labels: Citizens' blog
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
लगता है आप केवल व्यक्ति विशेष के खिलाफ है। अन्यथा आपके तर्को मे कोई दम नजर नहीं आता।
Post a Comment