लोकपाल-भ्रष्टाचार, अन्ना-बाबा और सत्ता के प्यादों के बीच जनता
प्रख्यात समाजसेवी और गांधीवादी अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आमरण अनशन से हलकान सरकार द्वारा लोकपाल समिति पर बैठकों के आयोजन बहिष्कार और बयानबाजी के बीच आम लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए जाने के इन्तजार के बीच अंततः बाबा रामदेव द्वारा आखिरी कदम के रूप में दिल्ली के प्रख्यात राम-लीला मैदान में अनशन की घोषणा और उसके बाद अनशनकारियों पर पुलिसिया कार्यवाही से देश में 70 के दशक के बाद फिर से आपातकाल जैसी स्थिति होती नज़र आ रही है। देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बनती पार्टियों और अनशन, विरोध प्रदर्शनों के बीच घोटालों की नित नई खुलती पोल से कांग्रेस पर बढते दबाव से सरकार मुसीबत में है । जिसपर दिग्विजय सिंह जैसे बडबोले लोगों द्वारा बयानबाजी घाव में नमक जैसा कार्य कर रही है। एक तरफ कांग्रेस की तरफ से केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ, सपा प्रमुख मुलायम सिंह, बसपा सुप्रीमों मायावती तथा भाजपा आडवाणी, गडकरी, सुषमा स्वराज आदि नेता इस मुद्दे पर बाबा के साथ नजर आ रहे हैं तो वही दिग्गी राजा, प्रणव मुखर्जी, कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेता बाबा रामदेव के खिलाफ जमकर जहर उगल रहे हैं.। कुछ दिनों पहले भट्टा-परसौल जैसे मुद्दे पर उत्तर-प्रदेश सरकार को घेरने वाले 'अमूल बेबी' राहुल गांधी पूरी तरह से चुप और खामोश होने के साथ कही छुपे हुए नजर आते है वही कांग्रेस मुखिया सोनिया गांधी का मुह बंद होता नज़र आ रहा है। द्रमुक, माकपा, भाकपा, लोजपा जैसी पार्टियां इस मुद्दे पर जहां पूरी तरह खामोश है वही रेड्डी बंधुओं, येदुरप्पा के कारण दक्षिण की अपनी एकमात्र सरकार एवं उत्तराखंड में निःशंक के कुम्भ मेले के समय के घोटालों में फसने के कारण अपनी डावांडोल स्थिति के बावजूद भाजपा खुले-आम बाबा रामदेव का समर्थन कर रही है।
एक तरफ जहाँ इन मुद्दों पर खूब राजनीति हो रही है तो वही दूसरी तरफ अपना सबकुछ दांव पर लगाये बैठी जनता कुछ खास होने के इन्तजार में है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि जहां लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे द्वारा आमरण अनशन की घोषणा के बाद पहले सरकार के कानो पर जून तक नहीं रेगने के बावजूद सारी दुनिया में मिले समर्थन और दिनों-दिन बिगड़ते हालत के बीच सराकर पिछले पैर पर आ गई थी वही बाबा रामदेव द्वारा काले-धन और भ्रष्टाचार के मूड पर पहले उन्हें लुभाने की कोशिश, फिर परदे के पीछे हुए समझौतों, बाबा द्वारा विजय प्रदर्शन करने के साथ ही कपिल सिब्बल द्वारा समझौते की पर्ची दिखाकर आम-जनता में भ्रम जैसी स्थिति फैलाते हुए बाबा के दमन की पूरी कोशिस की गई।
वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने भी बाबा रामदेव के आंदोलन को अपना समर्थन दिया और कहा कि वह देश की चुराई गई सम्पत्ति को वापस लाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। बाबा रामदेव को समर्थकों की संख्या में दिनों-दिन इजाफा होने के बीच विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का भी समर्थन मिल रहा है, विहिप दिल्ली के महामंत्री सत्येंद्र मोहन ने विहिप का बयान जारी करते हुए कहा कि देश को एक स्वच्छ व्यवस्था देने के लिए लड़ी जाने वाली इस लड़ाई में विहिप बाबा रामदेव के साथ है। बाबा को मिलने वाले समर्थनो के बीच अभी तक किसी आध्यात्मिक गुरु के उनका कुछ खास समर्थन नहीं किया था, इस कमी को पूरा करते हुए श्री श्री रविशंकर ने बाबा रामदेव के अभियान को समर्थन दिया उन्होंने कालेधन के खिलाफ योग गुरु बाबा रामदेव के अनिश्चितकालीन अनशन को समर्थन देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हम सभी साथ हैं।
बाबा रामदेव द्वारा काले धन के मुद्दे पर अनशन के पर 23 मई को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने समर्थन देते हुए कहा कि विदेशी बैंक में जमा काले धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव द्वारा चार जून को दिल्ली में आयोजित सत्याग्रह का देश के हर नागरिक के साथ केंद्र सरकार का एक-एक व्यक्ति साथ देगा.. वहीं लोकपाल के मुद्दे परा बाबा रामदेव के इस बयान के बाद "कि लोकपाल एक जटिल विषय है, लिहाजा प्रधानमंत्री व सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को लोकपाल की परिधि में लाने के मामले में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। इस विषय पर तार्किक विश्लेषण किया जाना चाहिए" पर अन्ना समिति में शामिल सदस्य बनते हुए नज़र आये.. इस बात से अन्ना हजारे भी नाराज नजर आये कि लोकपाल के मुद्दे को बाबा-किनारे रख रहे हैं. इसके बावजूद उन्होंने बाबा का साथ देने की घोषणा की, अरविन्द केजरीवाल व प्रशांत भूषण ने बाबा रामदेव के अभियान का समर्थन किया जबकि अनशन के मुद्दे पर आना हजारे ने बाद में जवाब देने की बात कही.। 31 मई को बाबा रामदेव के अनशन की योजना के बीच सीसीपीए(राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति) की बैठक की बैठक हुई जिसमे स्थिति पर नजर रखने पर जोर दिया गया साथ ही लोकपाल विधेयक का प्रारूप तय करने के लिए हुई बैठक में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच उभरे मतभेद और योग गुरु स्वामी रामदेव के अनशन की योजना पर भी बातचीत की गई।लोकपाल विधेयक का स्वरूप तय करने के लिए गठित संयुक्त मसौदा समिति की सोमवार को हुई बैठक में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को विधेयक के दायरे में लेने के मुद्दे पर जहां गतिरोध उत्पन्न हो गया वहीं, समिति के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने विधेयक के इस विवादास्पद पहलू पर सभी राजनीतिक दलों और मुख्यमंत्रियों की राय जानने के लिए उन्हें पत्र लिखा। भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे का पूरा लाभ उठाते हुए बाबा रामदेव के अनशन पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने योग गुरु की मांगों को 'स्वीकार' करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा, जबकि प्रधानमंत्री ने बाबा रामदेव से अनशन पर न जाने की गुजारिश करते हुए कहा कि सरकार अपनी पूरी क्षमता के साथ काले धन और भ्रष्टाचार की समस्या से निपट रही है।
बाबा रामदेव के 1 जून को उज्जैन से दिल्ली पहुचने पर केन्द्रीय मंत्रियों की फ़ौज उन्हें मानाने में दिनभर डटी रही लेकिन बाबा अपनी मांगो से टस से मस नहीं हुए.. भ्रष्टाचार एवं विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ अनशन शुरू न करने के लिए बाबा रामदेव को राजी करने की कोशिशों के तहत केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल तथा दो अन्य मंत्रियों ने दिल्ली हवाईअड्डे पर योग गुरु से मुलाकात की। लेकिन बाबा रामदेव के पीछे न हटने की स्थिति में कपिल कपिल सिब्बल ने बातचीत जारी रखने की घोषणा करते हुए कहा कि हम भ्रस्ताचार से खुद ही निपट रहे हैं, इसके लिए अनशन की क्या जरुरत है ? वही देर शाम को गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों ने रामदेव को अपना समर्थन देने की घोषणा करते हुए हर कदम साथ देने की बात कही थी। जिसकी कड़ी में बाबा रामदेव एवं उनके समर्थकों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और सरकार के गैरजिम्मेदाराना कार्यों के विरोध में 8 मई को जंतर-मंतर पर धरना देने की घोषणा की गई। जिसको बाद में सुरक्षा कारणों से दिल्ली पुलिस ने रद्द करते हुए राजघाट को धरना-स्थल के रूप में चुनने को कहा. जहां आज – दिन भर शान्ति पूर्ण अनशन चला..बाबा रामदेव को अन्ना हजारे ने पहले ही चेता दिया था कि सरकार उन्हें इस मुद्दे पर बेवकूफ बना सकती है। जबकि बाबा रामदेव के प्रस्तावित अनशन को रोक पाने में विफल रहने के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार 3 जून की रात योग गुरु को आश्वस्त किया कि विदेशी बैंकों में जमा काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करने पर विचार किया जा रहा है।
बाबा रामदेव के अनशन पर बैठने से एक दिन पहले कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया कि बाबा रामदेव भाजपा और विहिप के एजेंडे पर कार्य करा रहे हैं जबकि बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान से सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे आंदोलन का कोई गुप्त राजनीतिक या साम्प्रदायिक एजेंडा नहीं है बल्कि यह आंदोलन देश में व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि वह विदेशों में जमा भारतीयों के 400 लाख करोड़ रुपये के काले धन को वापस लाकर देश की गरीबी और भुखमरी दूर करना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने मांग की कि भ्रष्टाचारियों को फांसी दी जानी चाहिए.। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी थी कि उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश महंगी साबित होगी। इस बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से मिलकर रामदेव के साथ जारी बातचीत पर उन्हें जानकारी दी।
बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ 4 जून से दिल्ली के रामलीला मैदान पर कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े जनसमूह के साथ अनशन शुरू किया। जिसका समर्थन पूरे देश में हुआ.. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न तबकों के लोगों ने धरना प्रदर्शन की तथा बाबा के समर्थन में नारे लगाए। बिहार में बाबा रामदेव के समर्थन में बिहार के लोग भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। पटना में महिलाए, बुजुर्ग, छात्र, समाजसेवी और समाज के अन्य तबकों के लोग बड़ी संख्या में अनशन और धरने पर बैठ गए। उड़ीसा में भी बाबा रामदेव के समर्थन में विभिन्न तबकों के लोग अनशन एवं धरने पर बैठे। भ्रष्टाचार खत्म करने, कालाधन वापस लाने तथा व्यवस्था परिवर्तन की मांग को लेकर दिल्ली में अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव को मध्य प्रदेश में भी समर्थन मिला। बाबा रामदेव के अनुयायी और समर्थकों ने राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालयों में अनशन और धरना दिया। बाबा रामदेव के अनशन को देश भर से समर्थन को व्यापक समर्थन मिलने से घबराए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव के अनशन को पांच सितारा सत्याग्रह करार दिया। वही कांगेस ने दोतरफा घेरने की साजिस के तहत एक तरफ सरकार योग गुरु बाबा रामदेव से बातचीत जारी रखे हुए थी,वहीं दूसरी ओर आरोप लगायाकि भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के आंदोलन का रिमोट कंट्रोल भारतीय जनता पार्टी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के हाथों में है।
बाबा रामदेव के अनशन प्रतिक्रिया देते हुए जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ और काले धन को वापस लाने की मांग को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव के अनशन को शनिवार को 'राजनीतिक साजिश' करार दिया। उनका कहना है कि साम्प्रदायिकता भ्रष्टाचार से बड़ा मसला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव के अनिश्चितकालीन अनशन पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव जिस तरीके से राजनीतिक मंच पर आ रहे हैं वह रहस्यमय है। जबकि कांग्रेस महासचित दिग्गी राजा ने बाबा रामदेव की जीवनशैली पर ही सवाल उठाते हुए उनपर विलासितापूर्ण होने का आरोप लगाते हुए कहा कि योग गुरू का अनशन 'पांच सितारा सत्याग्रह' है। साथ ही उन्होंने बाबा पर RSS और विहिप के साथ भाजपा का एजेंट होने के आरोप भी लगाए जिसपर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से सवाल कि वह किसके एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत में पूछा कि दिग्विजय सिंह पहले यह बताएं कि वह किस हैसियत से ऐसे आरोप लगा रहे हैं। जिसपर योग गुरु बाबा रामदेव ने स्पष्ट किया कि वह किसी राजनीतिक संगठन या पार्टी के एजेंट नहीं हैं।
इन सब क्रियाकलापों के योग गुरु बाबा रामदेव ने शनिवार को दावा किया कि सरकार काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करने और विदेशों में धन जमा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की उनकी मांग पर राजी हो गई है। लेकिन उन्होंने कहा कि उनका अनशन तभी समाप्त होगा, जब सरकार उन्हें लिखित आश्वासन देगी। सरकार की तरफ से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार बाबा रामदेव की अधिकांश मांगों पर राजी हो गई है। जिसके कुछ ही देर बाद बाबा रामदेव ने सरकार पर धोखा देने का आरोप लगाया और कहा कि उनका अनशन तबतक जारी रहेगा, जबतक कि सरकार उनकी मांगों पर अध्यादेश नहीं जारी कर देती।
इस बीच सरकार ने बाबा रामदेव पर परदे के पीछे समझौता करने का आरोप लगते हुए उन्हें अपने निजी स्वार्थ के लिए आन्दोलन करने का आरोप लगा जबकि बाबा रामदेव ने सरकार को धोखेबाज़ कहते हुए अपना आन्दोलन जारी रखा, इन्ही आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच बातचीत पटरी से उतर जाने के बाद दोनों पक्षों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई। जिसके कारण अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव को रविवार तड़के पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उन्हें धरना स्थल से उठा ले गई। इस दौरान पुलिस कार्रवाई में कई लोग घायल हो गए और धरना स्थल को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है। पुलिसिया कार्यवाही में 100 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हो गए.. पांडाल में आंसू गैस के गोले छोड़े जाने एवं दौड़ा-दौड़ा कर पीते जाने से कई लोग बेहोश हो गए जिनमे से कुछ का इलाज अभी तक चल रहा है। इस सबके बीच बाबा रामदेव का कही अता-पता न चलने से उनके समर्थकों में रोष पैदा हो गया जिसके कारण सरकार ने स्थिति बिगड़ने के डर से पूरे दिल्ली शहर में धारा - 144 लगाकर निषेधाज्ञा जारी कर दी जो अभी कई दिनों तक आगे भी बनी रहेगी .. बाबा रामदेव का कुछ अता-पता नहीं चलने के कारण 5 जून सुबह दस बजे तक बाबा के गायब होने कि ख़बरें खबरिया चैनलों पर गूंजती रही, जिसके बाद गृह सचिव जी. के. पिल्लै ने बाबा को उत्तराखंड ले जाने की बात कहते हुए कहा कि बाबा रामदेव को हरिद्वार स्थित उनके आश्रम ले जाया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि क़ानून-व्यवस्था के मद्देनजर बाबा रामदेव के दिल्ली में दाखिल होने पर 15 दिन तक प्रतिबंध लगाया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को 'अलोकतांत्रिक' करार दिया। कई सामाजिक संगठनों ने बाबा रामदेव पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की। रामलीला मैदान में आधी रात को हुई कार्यवाही पर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि पुलिस कार्रवाई से ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार मानसिक संतुलन खो बैठी है। इस घटना को गांधीवादी समाजसेवक अन्ना हजारे ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को 'लोकतंत्र का गला घोंटने' की घटना करार दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे जलियावालां बाग कांड की पुनुरावृत्ति हुई है, जबकि बाबा के सहयोगी ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्याधीश से बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जांच का आदेश देने की मांग की। जबकि इस पूरी घटना को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला दिन बताते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के लिए देश से माफी मांगे। वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से संसद का एक आपात सत्र बुलाने की मांग की। माकपा ने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए सरकार और बाबा रामदेव के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को लेकर किए गए गुप्त समझौते पर दोनों की आलोचना की। जबकि भाजपा पुलिस की कार्रवाई को 'भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में शर्मनाक अध्याय' करार दिया है। इस घटना पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर देर रात की गई पुलिस कार्रवाई की निन्दा की। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धरना स्थल पर हुई पुलिस कार्रवाई को लोकतंत्र के लिए शर्मसार करने वाला बताते हुए कहा कि इस घटना ने मध्ययुगीन बर्बरता की याद दिला दी। पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की। उड़ीसा में राजनीतिक दलों, धार्मिक नेताओं तथा आम लोगों ने इसे 'हैरान करने वाला' एवं 'शर्मनाक' बताया। बाबा रामदेव के समर्थन में नेपाल में प्रदर्शन हुए .. बाबा रामदेव का अनशन हरिद्वार के पतंजलि योग पीठ में जारी है लेकिन इसका असर अब देश के बाहर भी दिखाई देने लगा है। दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा के समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में सोमवार से नेपाल में लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया ।
इस बीच कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने योग गुरु बाबा रामदेव पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन की आड़ लेकर लोगों को भड़काने का काम किया। जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मोहरे हैं। लालू ने बाबा रामदेव को आरएसएस के चंगुल से मुक्त होने और लोगों को योग सिखाने की नसीहत भी दे डाली। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मोहरा होने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराया..कांग्रेस पार्टी ने बाबा रामदेव साम्प्रदायिक, राजनीतिक ताकतों का मोहरा बताते हुए कहा कि योग गुरु उन साम्प्रदायिक एवं राजनीतिक ताकतों के मोहरा हैं, जिन्हें मतदाताओं ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने इन ताकतों के मकसद के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए देश भर में सार्वजनिक सभाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है।
बाबा रामदेव ने पूरी घटने के गवाह 4 जून की रात को इतिहास की सबसे काली रात करार दिया.. उन्होंने रिहा होने के बाद देहरादून में कहा कि बीती रात इतिहास की सबसे काली रात थी। उन्होंने केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को कुटिल करार दिया और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी सीधा हमला बोला। साथ ही बाबा रामदेव ने कहा कि बर्बर और वीभत्स अत्याचार को याद करके उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बाबा रामदेव ने कहा कि उन्हें जान से मारने की साजिश रची गई थी। जबकि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने योग गुरु बाबा रामदेव का खुला समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली से जबरन यहां भेजे जाने के बाद उन्हें अपना विरोध जारी रखने के लिए राज्य में 'पूरी स्वतंत्रता' है। हम सब आपके साथ है। आप यहां से अपना विरोध प्रदर्शन जारी रख सकते हैं.. इस बीच नई दिल्ली की सीमा में घुसने से लगे प्रतिबंध के बावजूद अनशन जारी रखने के लिए दिल्ली जा रहे बाबा रामदेव उत्तर प्रदेश प्रशासन के अनुरोध पर रविवार रात हरिद्वार वापस लौट गए। इसके बाद बाबा रामदेव ने हरद्विार स्थिति पतंजलि योगपीठ में ही अनशन जारी रखने का फैसला किया है।बाबा रामदेव ने हरिद्वार में रहकर अनशन करने का निर्णय लिया।
इन घटनाओं के बीच आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर ने योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ की गई पुलिस कार्रवाई पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए लोगों से शांति के साथ दृढ़ता बनाए रखने की अपील की। जबकि बाबा रामदेव पर कार्रवाई के खिलाफ भाजपा रविवार शाम 24 घंटे का सत्याग्रह शुरू किया था।
वरिष्ठ गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ योग गुरु बाबा रामदेव के अनशन के दौरान पुलिस कार्रवाई की रविवार को कड़ी निंदा की। इसे लेकर उन्होंने आठ जून को एक दिन के लिए जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठने का ऐलान किया। साथ ही लोकपाल मसौदा समिति की होने वाली अगली बैठक का इसमें शमिल सामाजिक संगठन के सदस्यों ने बहिष्कार करने का फैसला किया है। सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से जारी बयान में रविवार शाम यह बात कही गई। कर्नाटक के लोकायुक्त एन. संतोष हेगड़े ने कहा कि 'बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई से आपातकाल की याद' ताजा हो गई। वहीं प्रधानमंत्री ने बाबा रामदेव पर हुई कार्रवाई का बचाव किया था। अपना मुंह खोलते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया लेकिन साथ ही इस कार्रवाई का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारियों के पास इसके अलावा 'कोई और विकल्प नहीं' था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को योग गुरु बाबा रामदेव पर की गई दमनात्मक कार्रवाई को सही ठहराने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, अप्रत्याशित और अजीब बताया।
शनिवार मध्यरात्रि को हुई पुलिस कार्रवाई को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय गृह सचिव जी. के. पिल्लै तथा दिल्ली पुलिस के प्रमुख बी. के. गुप्ता को नोटिस जारी किया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठी चलाए जाने की घटना के बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसे संज्ञान लेना स्वागतयोग्य कदम बताया।बाबा रामदेव के अपमान के विरोध में पतंजलि योग समिति की बिहार इकाई के मंगलवार को एक दिवसीय बिहार बंद के आह्वान का मिला-जुला असर देखा गया। इस दौरान कई स्थानों पर रैलियां निकाली गईं और कई स्थानों पर सड़क यातायात अवरुद्ध किया गया।
इन सब घटना क्रमों के बीच बाबा रामदेव अपना आन्दोलन जारी रखे हुए हैं। वो दिल्ली में नहीं आ सकते। बाबा ने सरकार द्वारा इतने अप्रत्याशित कदम उठाने बावजूद कहा कि मैंने सरकार की कार्रवाई को भुला दिया.. उन्होंने कहा कि मैंने अपने तथा समर्थकों के खिलाफ सरकार के इशारे पर हुई पुलिस कार्रवाई को भुला दिया है। और आगे की बातचीत के रास्ते खुले हुए है.. बाबा रामदेव ने घोषणा की है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके आंदोलन को बाधित करने वाले असामाजिक तत्वों और पुलिस से निपटने के लिए वह 11,000 लोगों की एक सशस्त्र सेना तैयार करेंगे। वह 11 हजार महिलाओं और पुरुषों की मजबूत सेना तैयार करेंगे ताकि अगली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में हम लड़ाई हारकर नहीं लौटे। उन्होंने हालांकि कहा कि सेना का गठन केवल आत्मरक्षा के लिए किया जाएगा और वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
बाबा रामदेव ने कहा, "सेना हमारी और अनुयायियों की रक्षा करेगी। यह किसी की जिंदगी लेने के लिए नहीं होगी।
जब कि आज बाबा रामदेव के खिलाफ हुए अत्याचार के खिलाफ अन्ना के यहां राजघाट पर अनशन किया। देखते हैं आगे यह कहानी कहाँ तक चलती है। लेकिन इतना तो तय है कि भारतीय जनता अब जाग चुकी है शायद अब नेता भी जान चुके हैं कि इसे ज्यादा दिन तक बेवकूफ बनाना आसान नहीं होगा। जनता को पता चल गया है कि असली ताकत वही है। आने वाले दिनों में जनता का यह अंदाज कुछ बड़ा बदलाव लाने कि तैयारी कर चुका है। बात धीरे-धीरे सामने आएगी....
श्रवण कुमार शुक्ल
आईएएनएस
@ बिना अनुमति प्रकाशन अवैध. हर आर्टिकल के लिए मेहनत किया जाता है इसलिए प्रकाशन से पहले अनुमति लेना अनिवार्य..
(NOTE-आर्टिकल एक सप्ताह पूर्व ही लिखा जा चूका था .. कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण यहां पब्लिस होने में देर लगी ..)
6 comments:
बाकी सब तो ठीक है पर राम जेठमलानी कनिमोझी की भी वकालत कर रहे हैं.तो ज़रा इस काले कोट वाले से बचकर...
वनमानुष.. नाम जैसा व्यवहार न करें.. मानवीयता एक तरफ है और धंधा एक तरफ.. दोनों में फर्क समझिए और अपने नजरिये को बदली..उम्मीद है आप समझ गए होंगे
एस के एस वारीअर,आप सिद्धांत-व्यवहार,कथनी-करनी,भाषणबाजी-व्यवसाय में दोगलेपन के समर्थक मालूम पड़ते हैं, पर दूसरों से ऐसी अपेक्षा मत कीजिये.
एक और महत्त्वपूर्ण बात, बंदरों को पूजने वाले वनमानुषों को आचरण सिखाएं,ये भी एक दोगली प्रवृत्ति है.
हास्यास्पद बातें कहकर आप पल्ला नहीं झाड सकते.. बाकी आप क्या हैं आपको पता है .. भाषणबाजी आती नहीं ... धंधे मै करता नहीं.. हाँ फर्क जरुर मालूम है ..इसीलिए किसी के तलवे नहीं चाटा और ना ही किसी की मानसिकता का गुलाम रहा.....सच लिखने की आदत है ... जहाँ तक रही जेठमलानी या बाबा के धंधे की ..तो वह अलग बात है ... यहां एक उदाहरण देना चाहूँगा.. यशवंत सिंह जी अपने वेबसाइट पर खबर छापते हैं यह अलग बात है और उसी वेबसाइट पर एड देने की बात अलग..समझे? एक बात और.. मैंने पूजने वाली बात नहीं की.. बस नाम के हिसाब से आचरण रखने की सलाह दी.. पहले आप सही से लिखना तो सीख लें .. गालियां बाद में दे सकते हैं .. एसकेएस_दि_वारियर
वाकई भडास के नाम के अनुरूप चर्चा हो रही है, धन्य हो आपने इस ब्लॉग का नाम सार्थक कर दिया
एस के एस..तुम्हारी विडम्बना ये है कि 'तात्पर्य' समझे बिना ही तुम प्रत्युत्तर दे रहे हो और फिर बिना 'आरोप' लगाए ही सफाई देने लगते हो.यहाँ किसी ने तुम्हे तलवे चाटने वाले या किसी मानसिकता के गुलाम होने की संज्ञा नही दी.फिर न जाने अपनी आत्मकथा का सार लिखकर तुम क्या साबित करना चाह रहे हो.
जेठमलानी भ्रष्टाचार के विरुद्ध भाषण बाजी तो बहुत करता है पर भ्रष्टाचारियों और खूनियों की वकालत करना और उन्हें संरक्षण देना भी एक भ्रष्टाचार है,ज़रा उसके केसों की केस स्टडी करो फिर यहाँ सवाल जवाब करना.'मानवीयता' और 'व्यवसाय'(कथनी और करनी) में इतना भी अंतर नही होना चाहिए कि दिन में ब्रह्मचर्य का उपदेश दो और रात में शरीर का सौदा करो, और अगर तुम्हे लगता है कि यह क्षम्य है और अगर तुम्हारे अनुसार भ्रष्ट आचरण वाले भ्रष्टाचार विरोध आन्दोलन के सर्वेसर्वा बन सकते हैं तो फिर ऐसी सोच तुम्हे ही मुबारक हो.यही मैंने पहले भी कहा था.
पहले स्वयं में लिखा हुआ समझने की परिपक्वता विकसित कर लो,फिर दूसरों को लेखनी सुधारने के उपदेश देना.;-)
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