श्रीगंगानगर—पति भोजन कर रहा है। पत्नी उसके पास बैठी हाथ से पंखा कर रही है। जो चाहिए खुद परोसती है मनुहार के साथ। “एक रोटी तो और लेनी पड़ेगी। आपको मेरी कसम।“ पति प्यार भरी इस कसम को कैसे व्यर्थ जाने देता। रोटी खाई। तारीफ की। काम पर चला गया। यह बात आज की नहीं। उस जमाने की है जब बिजली के पंखे तो क्या बिजली ही नहीं हुआ करती थी। संयुक्त परिवार का जमाना था। रसोई बनाता चाहे कोई किन्तु खिलाने का काम माँ का और शादी के बाद पत्नी का था। पति रोटी आज भी खा रहा है। मगर पत्नी घर के किसी दूसरे काम में व्यस्त है। रोटी,पानी,सब्जी,सलाद जो कुछ भी था ,लाकर रखा और काम में लग गई। पति ने कुछ मांगा। पत्नी ने वहीं से जवाब दिया... बस करो। और मत खाओ। खराब करेगी। “तुमको मेरी कसम। आधी रोटी तो देनी ही पड़ेगी। पति ने कहा।“ “ नहीं मानते तो मत मानो। कुछ हो गया तो मुझे मत कहना। यह कहती हुई वह आधी रोटी थाली में डालकर फिर काम में लग गई।“ पति कब पेट में रोटी डालकर चला गया उसे पता ही नहीं लगा । तब और आज में यही फर्क है। रिश्ता नहीं बदला बस उसमें से मिठास गायब हो गई। जो रिश्ता थोड़ी सी केयर से मीठा होकर और मजबूत हो जाता था अब वह औपचारिक होकर रह गया। यह किसी किताब में नहीं पढ़ा। सब देखा और सुना है। रिश्तों में खिंचाव की यह एक मात्र नहीं तो बड़ी वजह तो है ही। एक दंपती सुबह की चाय एक साथ पीते हैं। दूसरा अलग अलग। एक पत्नी अपने पति को पास बैठकर नाश्ता करवाती है। दूसरी रख कर चली जाती है। कोई भी बता सकता है कि पहले वाले दंपती के यहाँ ना केवल माहौल खुशनुमा होगा बल्कि उनके रिश्तों में मिठास और महक होगी जो घर को घर बनाए रखने में महत्वपूर्ण पार्ट निभाती है। क्योंकि सब जानते हैं कि घर ईंट,सीमेंट,मार्बल,बढ़िया फर्नीचर से नहीं आपसी प्यार से बनते हैं। आधुनिक सोच और दिखावे की ज़िंदगी ने यह सब पीछे कर दिया है। यही कारण है कि घरों में जितना बिखराव वर्तमान में है उतना उस समय नहीं था जब सब लोग एक साथ रहते थे। घर छोटे थे। ना तो इतनी कमाई थी ना सुविधा। हाँ तब दिल बड़े हुआ करते थे। आज घर बड़े होने लगे हैं। बड़े घरों में सुविधा तो बढ़ती जा रही है मगर एक दूसरे के प्रति प्यार कम हो रहा है। बस, निभाना है। यह सोच घर कर गई है। पहले सात जन्म का बंधन मानते थे। अब एक जन्म काटना लगता है।
कुंवर बेचैन कहते हैं—रहते हमारे पास तो ये टूटते जरूर, अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए। एक एसएमएस...अच्छा दोस्त और सच्चा प्यार सौ बार भी मनाना पड़े तो मनाना चाहिए। क्योंकि कीमती मोतियों की माला भी तो टूटने पर बार बार पिरोते हैं।
1 comment:
sarthak post prastut ki hai aapne .sahmat hun aapki baton se .aabhar
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