राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ ने ‘धान का कटोरा’ के तौर पर देश-दुनिया में पहचान रखी है। प्रदेश की प्राचीन संस्कृति व लोककला यहां की प्रमुख विरासत है। छग में दूसरे राज्यों तथा अन्य देशों से जब भी कोई पहुंचते हैं तो वे सहसा ही यहां के लोगों की आत्मीयता से अभिभूत हो जाते हैं। वनांचल क्षेत्रों की आदिवासी संस्कृति व परंपरा जानकर हर कोई वाह-वाह किए बगैर नहीं रहता और यहां की यादों को अपनी संस्मरण में उतार लेते हैं। छत्तीसगढ़ के लिए अक्सर कहा जाता है - ‘छत्तीसगढ़िया-सबसे बढ़िया’। यह उक्ति आज की बनाई हुई नहीं है, बल्कि बरसों से ऐसा ही छत्तीसगढ़ियों के लिए प्रचलित है। प्रदेश के रहवासियों को इसलिए ऐसा कहा जाता है, क्योंकि वे सहज, सरल होने के साथ-साथ आत्मीयता के गुणों से लबरेज माने जाते हैं। इस बात को जब भी अवसर मिलता है, तब-तब छत्तीसगढ़ियों ने साबित भी किया है। छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा तो मिला हुआ है ही, साथ ही यह राज्य में ‘गुरतुर गोठ’ के तौर पर भी जानी जाती है। छत्तीसगढ़ी में इतनी मिठास है कि दूसरे राज्यों से आकर यहां रहने वाले लोग भी धीरे-धीरे इस भाषा को बोलचाल में शामिल कर लेते हैं।
इधर दो दिनी छत्तीसगढ़ के दौरे पर राजधानी रायपुर पहुंची, राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भी प्रदेश की अवाम की आत्मीयता से गदगद नजर आईं। वैसे राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल, दूसरी बार छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आई हैं। लिहाजा, संबोधन के दौरान उनका छग तथा यहां के रहवासियों से सीधा जुड़ाव देखा गया। राजधानी की विधानसभा में बने सेंट्रल-हॉल का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि छग में वे दूसरी बार आई हैं और जिस तरह यहां की जनता में आत्मीयता है, वह काबिले तारीफ हैं। साथ ही उन्होंने छग के विकास के मामले में बढ़ते सोपान के लिए प्रदेश की जनता को बधाई दी। उन्होंने नक्सलियों को हिंसा व बंदूक की लड़ाई छोड़, मुख्यधारा में लौटने का आह्वान करते हुए, अपराध व हिंसा को समाज, राज्य तथा देश के लिए खतरनाक बताया। महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल ने कहा कि छग में लिंगानुपात, अन्य दूसरे राज्यों की अपेक्षा बेहतर है, उन्होंने बढ़ते भ्रूणहत्या को घोर अपराध करार दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान की दिशा में हर स्तर पर प्रयास होना चाहिए, इसके बगैर सामाजिक विकास संभव नहीं है। जब महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो निश्चित ही प्रदेश व देश प्रगति करेगा और समाज विकसित होगा।
इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल श्री शेखर दत्त, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे समेत विधानसभा के सदस्यगण व अफसर उपस्थित थे।
न कांग्रेस की जीत, न भाजपा की
अपने प्रवास के दूसरे दिन अर्थात् 25 जून को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल, रायपुर नगर निगम की नई बिल्डिंग को लोकार्पित करेंगी। इस तरह बिल्डिंग के लोकार्पण के बाद यह विवाद भी थम जाएगा कि आखिर भवन को किसके हाथों लोकार्पित कराया जाए ? दरअसल, नगर निगम में कांग्रेस की महापौर श्रीमती किरणमयी नायक हैं और प्रदेश में भाजपा की सरकार तथा सभापति भाजपा के हैं, ऐसे में पिछले कुछ महीनों से यह विवाद छाया रहा। कांग्रेस के लोग चाहते थे कि इस भवन का लोकार्पण, यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी या फिर प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह करें, दूसरी तरफ भाजपा के लोग यह चाहते थे कि भवन का लोकार्पण राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी या फिर लालकृष्ण आडवाणी करें। हालांकि, इस विवाद का अंत बेहतर तरीके से हो रहा है, क्योंकि न तो कांग्रेस की जिद पूरी हुई और न ही, भाजपा की। यह कहना सही होगा कि निगम की नई बिल्डिंग का लोकार्पण महामहिम राष्ट्रपति के हाथों होना भी एक सुनहरा पल होगा, क्योंकि इतनी बड़ी उम्मीद किसी को न थीं। आखिर कहा भी जाता है- जो होता है, अच्छे के लिए होता है।
छत्तीसगढ़ ने ‘धान का कटोरा’ के तौर पर देश-दुनिया में पहचान रखी है। प्रदेश की प्राचीन संस्कृति व लोककला यहां की प्रमुख विरासत है। छग में दूसरे राज्यों तथा अन्य देशों से जब भी कोई पहुंचते हैं तो वे सहसा ही यहां के लोगों की आत्मीयता से अभिभूत हो जाते हैं। वनांचल क्षेत्रों की आदिवासी संस्कृति व परंपरा जानकर हर कोई वाह-वाह किए बगैर नहीं रहता और यहां की यादों को अपनी संस्मरण में उतार लेते हैं। छत्तीसगढ़ के लिए अक्सर कहा जाता है - ‘छत्तीसगढ़िया-सबसे बढ़िया’। यह उक्ति आज की बनाई हुई नहीं है, बल्कि बरसों से ऐसा ही छत्तीसगढ़ियों के लिए प्रचलित है। प्रदेश के रहवासियों को इसलिए ऐसा कहा जाता है, क्योंकि वे सहज, सरल होने के साथ-साथ आत्मीयता के गुणों से लबरेज माने जाते हैं। इस बात को जब भी अवसर मिलता है, तब-तब छत्तीसगढ़ियों ने साबित भी किया है। छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा तो मिला हुआ है ही, साथ ही यह राज्य में ‘गुरतुर गोठ’ के तौर पर भी जानी जाती है। छत्तीसगढ़ी में इतनी मिठास है कि दूसरे राज्यों से आकर यहां रहने वाले लोग भी धीरे-धीरे इस भाषा को बोलचाल में शामिल कर लेते हैं।
इधर दो दिनी छत्तीसगढ़ के दौरे पर राजधानी रायपुर पहुंची, राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भी प्रदेश की अवाम की आत्मीयता से गदगद नजर आईं। वैसे राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल, दूसरी बार छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आई हैं। लिहाजा, संबोधन के दौरान उनका छग तथा यहां के रहवासियों से सीधा जुड़ाव देखा गया। राजधानी की विधानसभा में बने सेंट्रल-हॉल का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि छग में वे दूसरी बार आई हैं और जिस तरह यहां की जनता में आत्मीयता है, वह काबिले तारीफ हैं। साथ ही उन्होंने छग के विकास के मामले में बढ़ते सोपान के लिए प्रदेश की जनता को बधाई दी। उन्होंने नक्सलियों को हिंसा व बंदूक की लड़ाई छोड़, मुख्यधारा में लौटने का आह्वान करते हुए, अपराध व हिंसा को समाज, राज्य तथा देश के लिए खतरनाक बताया। महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल ने कहा कि छग में लिंगानुपात, अन्य दूसरे राज्यों की अपेक्षा बेहतर है, उन्होंने बढ़ते भ्रूणहत्या को घोर अपराध करार दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान की दिशा में हर स्तर पर प्रयास होना चाहिए, इसके बगैर सामाजिक विकास संभव नहीं है। जब महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो निश्चित ही प्रदेश व देश प्रगति करेगा और समाज विकसित होगा।
इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल श्री शेखर दत्त, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे समेत विधानसभा के सदस्यगण व अफसर उपस्थित थे।
न कांग्रेस की जीत, न भाजपा की
अपने प्रवास के दूसरे दिन अर्थात् 25 जून को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल, रायपुर नगर निगम की नई बिल्डिंग को लोकार्पित करेंगी। इस तरह बिल्डिंग के लोकार्पण के बाद यह विवाद भी थम जाएगा कि आखिर भवन को किसके हाथों लोकार्पित कराया जाए ? दरअसल, नगर निगम में कांग्रेस की महापौर श्रीमती किरणमयी नायक हैं और प्रदेश में भाजपा की सरकार तथा सभापति भाजपा के हैं, ऐसे में पिछले कुछ महीनों से यह विवाद छाया रहा। कांग्रेस के लोग चाहते थे कि इस भवन का लोकार्पण, यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी या फिर प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह करें, दूसरी तरफ भाजपा के लोग यह चाहते थे कि भवन का लोकार्पण राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी या फिर लालकृष्ण आडवाणी करें। हालांकि, इस विवाद का अंत बेहतर तरीके से हो रहा है, क्योंकि न तो कांग्रेस की जिद पूरी हुई और न ही, भाजपा की। यह कहना सही होगा कि निगम की नई बिल्डिंग का लोकार्पण महामहिम राष्ट्रपति के हाथों होना भी एक सुनहरा पल होगा, क्योंकि इतनी बड़ी उम्मीद किसी को न थीं। आखिर कहा भी जाता है- जो होता है, अच्छे के लिए होता है।
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