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27.6.11

लोकपाल विधेयक और अन्ना हजारे।


लोकपाल विधेयक और अन्ना हजारे।
दिनांकः-27/6/2011
देश मे लोकपाल विधेयक को लेकर होने वाले अनशन और नौ बैठकों पर एक सरसरी निगाह डाले तो उसमे एक तरफ सरकारी लोकपाल ड्राफ्टिंग और दूसरी तरफ जन लोकपाल ड्राफ्टिंग दोनो को सुनने और लोगों के राय जानने के बाद अन्ना हजारे के टीम द्वारा बनाया गया ड्राफ्ट ज्यादा सशक्त और प्रभाव कारी लगता है। क्यों कि जहां सरकारी लोकपाल मे सिर्फ पहले दर्जा के अधिकारीयों तक ही जांच की बात की गई है, इससे प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों,सांसदो और सीबीआई को इससे अलग रखा गया है। वहीं अन्ना के जनलोकपाल मे इन सभी को इसके दायरे मे रखा गया है। इन मुद्दों पर दोनो ड्राफ्टें ठिक एक दूसरे के विपरीत है। जबकि सोनिया गांधी के नेतृत्व मे चलने वाली राष्ट्रीय सलाहाकार परिषद भी लोकपाल पर अपना ड्राफ्ट बना रहा है। ऐसे मे फिर एक बार सरकारी नजरिया साफ हो जाता है कि खुद सरकार कितना जन हित की बात करती और सोचती है। उच्चे स्तर पर विराजमान लोंग जो भी करें बह सब सही हैं। गरीब और मध्यम तबके लोग गरीब ही रहें। तभी तो देश मे सरकारें चला कर भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारीयों के धन को सुरक्षित किया जा सकेगा।  इस तरह के अंग्रजी सोच आज तक हमारे देश मे कायम है और उसको अभी भी जिंदा रखने की कोशिसें हमारे ही देश के चुने हुए लोगों द्वारा लगातार चलाई जाती रही। इस समय जब जनता का दिलो दिमाग लोकपाल बिल को लेकर उलझा और सही समय जान सरकार बहुत चतुराई से रसोई गैस कि कीमतो मे बृद्धि कर, समय का फायदा उठाने मे लग गई। जहां प्रश्न बाबा राम देव और अन्ना हजारे का है बाबा राम देव आज जो अन्ना हजारे को साथ शमिल होने की बात कर रहें हैं ऐसा निर्णय पहले ही कर उन्हें अन्ना के साथ पहले ही शामिल हो जाना चाहिए था। अगर ऐसा हुआ होता तो यह मुहिम मजबूत और सुरक्षित होता। खैर यह एक अलग मुद्दा है कि दोनो के विचार मे फर्क हो सकता है लेकिन अन्ना और बाबा का मूल उद्देश्य एक ही हैँ। ऐसे मे यह प्रश्न उठता है कि क्या कोई बीच का रास्ता नही निकाला जाना चाहिए जिससे आज 62 सालो से संसद से पास होने के इंतिज़ार में लटका विधेयक कहीं फिर इस बार भी लटका न रह जाए ऐसे मे लगता है कि क्या इसी तरह की अनशन और विरोध प्रर्दशन आने वाले दिनों मे भी जारी रहेगा और तरह-तरह के पार्टीयां और मुद्दे इससे जुड़ कर यह मुहिम राजनीति के भेंट बार-बार चढ़ता रहेगा।

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