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25.6.11

मैडम का योगा .......और घुरहू का योग

                                            एक ज़माना था .....मारुती 800 नई नई हिन्दुस्तान में launch हुई थी .........और रातों रात पूरे देश की चहेती बन गयी ........वाह क्या ज़माना था .......फुर्र से निकल जाती थी बगल से .....कितनी सुन्दर लगती थी .........status symbol बन गयी थी सोसाइटी का .......बड़े बड़े रईस लोग  चलते थे ........उनकी बीवियां इठलाती थीं उसमें बैठ के ............मारुती ने भारत देश को कार में चढ़ना सिखाया .........फिर ज़माना बदला .....नयी नयी गाड़ियाँ बाज़ार में आने लगीं ...एक से एक शानदार .....लम्बी लम्बी ......महँगी महँगी .....और मारुती आम आदमी तक पहुँचने लगी .....जो लोग कल तक स्कूटर और साईकिल पर चलते थे ...वो भी मारुती पर चढ़ने लगे ....मारुती अब जन जन की कार बन गयी थी .......अदना सा आदमी भी मारुती खरीद रहा था ......अरे क्या है ...सिर्फ 3000 रु की तो किश्त है महीने की ...ले लो .........और ये क्या ....अचानक वही मारुती ,जो कल तक देश की आँख का तारा थी .......लोगों की दरिद्रता का द्योतक बन गयी .........पिछले दिनों एक बड़ा मजेदार किस्सा हुआ .......हुआ यूँ की हमारे एक दोस्त हैं .......दो गाड़ियाँ है उनके पास ........एक फाबिया है शायद और एक पुरानी मारुती 800 .........मारुती अक्सर खड़ी रहती है और दोनों लोग ज़्यादातर फाबिया पे चलते है ....एक दिन यूँ हुआ की मित्र महोदय 2 -3 दिन के लिए कहीं बाहर गए और फाबिया ले गए.....अब उनकी मैडम को पीछे से किट्टी पार्टी में जाना था पर उन्होंने कहा की .........मारुती 800 में   ???????   कभी नहीं .....मेरी इज्ज़त का फलूदा हो जायेगा शहर में .........वाह क्या बात है ....जो लोग कल तक मारुती में बैठ कर इठलाते थे वो अब उसके पास खड़े होने में भी तौहीन महसूस करते है .........क्योंकि मारुती अब गरीब की गाडी हो गयी है ......हाय  राम........ मैं मारुती में चलूंगी तो लोग क्या कहेंगे ....मेरे इतने खराब दिन आ गए हैं की मैं मारुती में ......
                                             एक बहुत बड़े योगाचार्य हुए हैं हमारे देश में .......BKS  AIYANGAR  साहब ...........सुना है की 95 साल के हैं .........पिछले 75 साल से योगा  सिखा रहे हैं पूरे विश्व में .........अभी पिछले दिनों चीन में थे ...वहां उन्होंने फरमाया की इस रम देउआ ( बाबा राम देव )   ने योग का भट्ठा  बैठा दिया है ............एकदम सड़क छाप बना दिया है ........योग तो बहुत ऊंची चीज़ है .........ये इसे कपाल भाती का package बना के बेच रहा है ........अय्यंगर साहब की व्यथा मैं समझ सकता हूँ .......आखिर 75 साल से योगा  सिखा रहे हैं वो .......यानी की जब रम देउआ पैदा हुआ तो उनको योगा  सिखाते 30 साल हो गए थे ...........मुझे याद है.....आज से लगभग 30 साल पहले .....हम लोग स्टुडेंट थे तब....... किताबों में पढ़ा करते थे ...की हमारे देश में किसी ज़माने में .........बड़े बड़े ग्रन्थ होते थे .........वेद ....उपनिषद ..........दर्शन शास्त्र .....और योग होता था ...बड़े बड़े योगी होते थे ...........सालों गुफाओं में बैठ के तपस्या और योग करते थे ....फिर जब योग सिद्ध हो जाता था तो बड़ी अलौकिक शक्तियां प्राप्त हो जाती थीं .......हवा  में उड़ जाते थे .......पानी पर चलने लगते थे ........ये की भगवान् कृष्ण बहुत बड़े योगी थे ......यानी की भगवान् टाइप लोग योग से ही भगवान् हो गए थे ........इस से बड़ी श्रद्धा होती थी योग के प्रति ......फिर अस्सी के दशक में एक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी प्रकट हुए ..........वो भी पहुंचे हुए योगी थे .......उनके बारे में पता लगा की ये इंदिरा गाँधी के गुरु हैं .......अरे वाह ......इंदिरा जी योगा  भी करती थीं और इसी से इतनी बड़ी नेता हो गयीं विश्व की ........सो धीरेन्द्र ब्रह्मचारी रोज़ टीवी पर आ कर योगा  सिखाने लगे ............और सुना जाने लगा की देश की बहुत बड़ी बड़ी हस्तियाँ ....टाटा .बिडला और अम्बानी जैसे लोग उनसे सीखने लगे ............तो साहब अपने दिमाग में तो ये बात एकदम पत्थर की लकीर बन गयी की योगा  कर के तो आदमी परधान मनतरी  तक बन जाता है ....टाटा बिडला बन सकता है .......स्वाभाविक सी बात है हम लोगों के दिल में योगा  के लिए अपार श्रद्धा पैदा हो गयी ......फिर एक दिन मेरे पिता जी मुझे बताने लगे की वैसे ये धीरेन्द्र ब्रह्मचारी  है तो बहुत बड़ा चोर  पर योग इसका  एकदम सिद्ध है क्योंकि ये कलकत्ते  में मजमा  लगा के लोगों को दिखाता  था की कैसे  योग से आदमी को एक बाल्टी पानी पिलाते है तो उसका पूरा digestive system साफ़ हो जाता है ...और ये की पहले तो पेट से मल द्वार से गन्दा पानी निकलता है पर बाद में एकदम साफ़ पानी निकलता है .........एकदम इतना साफ़ जैसा नल से निकलता है ...........अब ये सुन के तो योगा  के प्रति हमारी श्रद्धा और बढ़   गयी ........हे भगवान् .....न     जाने कैसी कैसी विलक्षण योगिक क्रियाएं होती होंगी  ....काश हम भी कभी कर पाते  .........ख़ास  तौर पे जब कभी कब्ज हो जाती थी तो पिता जी की वो बात ....पेट साफ़ करने वाली बहुत याद आती थी .........और मैं कोसता  था की देखो  ये धीरेन्द्र ब्रह्मचारी ...स्साला मर गया ......और इतनी विलक्षण योगिक क्रिया का ज्ञान  भी अपने साथ  ही ले गया .............
                                                            फिर भैया हुआ यूँ की अस्सी के दशक में ही अमेरिका से ये खबर आयी  की भैया ये जो योगा है न ...ये बहुत अच्छी  चीज़ है ....और ये की अमेरिका और यूरोप  में  अंग्रेज  सब  बहुत ज्यादा  पैसा  दे  कर सीखते  हैं और उनको इस से बहुत लाभ हो रहा है ........अब इस से तो योगा की इज्ज़त देश में बहुत जादा  बढ़ गयी  ........की देखो भगवान् कृष्ण योगा  करते थे ......इंदिरा गाँधी करती थी ....टाटा बिडला करते है ...और अब अंग्रेज भी करते हैं तो निश्चित   रूप से योगा बहुत अच्छी चीज़ है ......अब अंग्रेज जिसकी  तारीफ  कर रहा है वो चीज़ कैसे खराब हो सकती  है ....मुफ्त में तो अंग्रेज अपने बाप की भी तारीफ नहीं करता ...........सो अपने गुरु अय्यंगर जी ...और ऐसे  ही न जाने कितने  ( महेश  योगी ,हरभजन  योगी ) जैसे international योगी गुरुओं ने खूब चाँदी काटी .......बड़े बड़े आश्रम बनाए देश विदेश में ........और योगा को खूब popular किया .......पर दिक्कत ये थी की योगा popular तो बहुत था पर लोकप्रिय नहीं हो पा रहा था .........बस ऊंची सोसाइटी की चीज़ बन कर रह गया था ..........हेमा मालिनी ....elizabeth taylor और jane fonda तो योगा करती थी पर अपनी कोसल्या मौसी को इसके बारे में कुछ पता नहीं था ........
                                                            फिर भैया....न जाने कहाँ से ...ये मुआ ....रम देउआ आ गया  ........और इसने  इतनी ऊंची चीज़ को एकदम सड़क छाप बना दिया ..........जिसे भगवान् कृष्ण जैसे लोग करते थे ......उसे अब गाँव में घुरहू कतवारू करने लगे ..........पहले मर्सिडीज़ में बैठ के लोग करते थे ........drawing room में ac चला के करते थे .......अब टूटी चौकी पे फटी हुई दरी बिछा के लोग कर रहे हैं ........और पिछले महीने तो हद ही हो गयी ....यहाँ हरिद्वार में भैया बोले ...चलो आज शंख प्रक्षालन करते हैं ........हमने कहा वो क्या ...अरे कुछ नहीं 2 -2 गिलास पानी पीते जाओ ...ये 6 simple exercise करते जाओ .......15 -20 मिनट में सारा पानी पेट से निकल जाएगा .........पहले एक दो बार गन्दा निकलेगा फिर एकदम साफ़ निकलेगा ..........मुझे वो पिता जी वाली बात याद आ गयी ........और फिर जब मेरा पेट साफ़ हो गया तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई .....ख़ुशी इस बात की तो थी ही  की पेट साफ़ हुआ ...पर इस बात की और ज्यादा थी की वो दुर्लभ विद्या जो मै समझता था की सिर्फ धीरेन्द्र ब्रह्मचारी को आती थी .....मुझे भी आ गयी  थी ...और अब पिछले हफ्ते मैंने अपनी पत्नी को सिखा दी ........
                                                          बाबा राम देव की ये देन है की उन्होंने योगा को, लोगों के drawing room से निकाल के गाँव गिरांव की चट्टी पर योग बना करआम आदमी  तक पहुंचा  दिया ........अब गुरु अय्यंगर जैसे लोग जो अमेरिका और यूरोप के अरबपतियों को सिखा रहे थे .....उनको तकलीफ होना तो स्वाभाविक है .........आपको क्या लगता है ........जिस दिन हिन्दुस्तान के सड़क छाप लोग मर्सिडीज़ चलाने लगे तो क्या ये अरबपति भी उसे चलाएंगे .........अजी नहीं जनाब ....तब ये उसके पास खड़े होने में भी अपनी तौहीन समझेंगे ............याद है न मारुती वाला किस्सा .........
                                                            पिछले 6 हफ्ते में मैंने अपना वज़न 7 -8 किलो कम किया है .....कोई dieting नहीं की ......कोई exercise नहीं की .......सिर्फ प्राणायाम करता हूँ रोज़ सुबह एक घंटा ....उसमे भी ख़ास तौर पे ....कपाल भाती .....बिना रुके आधा घंटा .........अब मुझे किसी  योग गुरु के certificate की ज़रुरत नहीं है की  कपाल भाती फर्जी है या असली .........या बाबा रम देव ठग है या साधू  .........हम तो भैया सुबह सुबह शुरू हो जाते हैं ......कुर्सी पे बैठ के .........फों फों  करने .......अय्यंगर जी कराएं योगा ..........हम तो योग कर रहे हैं ........

3 comments:

शिखा कौशिक said...

सार्थक आलेख आपके द्वारा प्रस्तुत .आभार

tension point said...

महोदय आपने घर बैठे फ्री में योग करके लाभ लिया है पर दुनिया वाले तो कहते हैं कि हजारों रूपये फ़ीस पड़ती है रामदेव जी का योग करने में | इसीसे वो लोग (अड़अंगर जैसे) नराज हैं जो लाखों की फ़ीस लेकर योग को रहस्यमयी विद्या बताते थे, इस बुढ़ापे में बेचारे कहाँ जायेंगे किसका मुहं ताकेंगे पेट पालने को ? उनकी तो रोजी रोटी बंद हो गयी | और आप और ज्यादा प्रचार कर रहे हैं कि घर बैठे योग के लाभ लिए जा सकते हैं |
खैर........ एक सार्थक लेख के लिए धन्यवाद |

अजित गुप्ता का कोना said...

मारुति के माध्‍यम से बहुत ही सटीक बात कह दी है। आम होना ही गलत है, खास रहना ही ठीक है। यह भी कोई बात हुई कि इतनी खाय क्रिया को आम बना दिया गया, बहुत कसूरवार हैं बाबा। इन्‍हें तो सजा मिलनी ही चाहिए। मुझे तो अब लग रहा है कि भारत में अब अंग्रेजी माध्‍यम के स्‍कूल भी बन्‍द कर देने चाहिए, क्‍योंकि यदि बच्‍चा बच्‍चा अंग्रेजी बोलने लगा तो फिर खास लोगों की भाषा कौन सी होगी?