देखना हो तो इस कदर देखो ,
जैसे हो तुम भी हमसफ़र देखो ।
इससे पहले कि निगाहों में शाम हो जाए ,
पास हो अपने कोई घर देखो ।
साथ इक ख्वाब की कश्ती लेकर ,
आज यादों का समंदर देखो ।
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
देखना हो तो इस कदर देखो ,
जैसे हो तुम भी हमसफ़र देखो ।
इससे पहले कि निगाहों में शाम हो जाए ,
पास हो अपने कोई घर देखो ।
साथ इक ख्वाब की कश्ती लेकर ,
आज यादों का समंदर देखो ।
3 comments:
साथ इक ख्वाब की कश्ती लेकर ,
आज यादों का समंदर देखो ।
bahut sundar bhavabhivyakti .
bahut khoob .badhai
dhanyawaad! shaliniji aur shikhaji .
Post a Comment