संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अली बाबा और चालीस चोरों की सरकार है। संप्रग सरकार की दूसरी पारी में जितने घोटाले हुए हैं उतने स्वतंत्र भारत में अब तक नहीं हुए होंगे। बावजूद इसके सरकार इस पर अंकुश लगाने के कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने वाले योग गुरू बाबा रामदेव पर असभ्य टिप्पणी कर रही है। कांग्रेस के एक नेता बाबा रामदेव को ठग की अपमा दे रहे हैं और कांग्रेस आलाकमान मौन हैं। बीते महीने पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की शर्मनाक हार, कालेधन-भ्रष्टाचार-घोटाले पर पार्टी की रणनीति और उमा भारती की घर वापसी के मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सांसद मुख्तार अब्बास नकवी से कोलकाता में शंकर जालान ने बातचीत की। पेश है बातचीत के चुनिंदा अंश-
० काले धन व भ्रष्टाचार के मसले में क्या भाजपा योग गुरू बाबा रामदेव और सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे के साथ है?
--हमारी पार्टी किसी बाबा और सामाजिक कार्यकर्ता के साथ नहीं हैं। हां, इन लोगों द्वारा उठाए गए मुद्दों के साथ भाजपा अवश्य हैं। आप को ध्यान हो इन मुद्दों पर आंदोलन की शुरुआत करने वाली भाजपा ही है। रामदेव व हजारे तो अभी यानी कुछ सप्ताह पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन व सत्याग्रह शुरू किया है।
० आप के शब्दों में भाजपा के उठाए गए मुद्दों को रामदेव व हजारे हवा दे रहे हैं?
--मैंने ऐसा नहीं कहा। मेरे कहने का मतलब है कि काले धन व भ्रष्टाचार के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम सबसे पहले भाजपा ने किया है। यह और बात है कि उस वक्त हमें इतना समर्थन नहीं मिला।
० तो क्या रामदेव व हजारे के सहारे भाजपा फिर खड़ी होना चाहती है?
--भाजपा बैठी ही कब थी, कि उसे खड़ी होने की जरूरत पड़े। भाजपा लगातार जनता हित, समाज हित और देश हित में काम करती आ रही है और करती रहेगी।
० बीते महीनें हुए पांच राज्यों के चुनाव परिणाम तो यहीं बताते हैं कि पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडू, केरल व पांडूचेरी में भाजपा लगभग सोई हुई नजर आई?
--इन पांच राज्यों में ही भारत सिमटा हुआ नहीं है। गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ और बिहार में न केवल हमारी सरकार है, बल्कि बेहतर काम भी कर रही है।
० आपको नहीं लगता कि रामदेव का सत्याग्रह और अण्णा हजारे का अनशन अब राजनीति रंग लेता जा रहा है?
--भले ही बाबा रामदेव व अण्णा हजारे सक्रिय राजनीति से न जुड़े हो, लेकिन इन लोगों ने जो मुद्दा उठाया है उसका समाधान तभी संभव है राजनीति स्तर से ही संभव है। इसलिए यह कहना शायद गलत होगा कि मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है। इसके बदले अगर यह कहे कि मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है, तो ज्यादा ठीक होगा।
०कौन मुद्दों के राजनीतिक रंग दे रहा है?
--बेशक कांग्रेस और उसके नेता।
०सुना तो यह जा रहा है कि बाबा रामदेव व अण्णा हजारे भाजपा के एजंट के रूप में काम कर रहे हैं? इस पर आप की क्या प्रतिक्रिया है?
--मेरे कानों तब अभी ऐसी कोई बात नहीं आई है। वैसे तो कांग्रेस की आदत ही है कि जो काले धन की बात करे वह भाजपा का आदमी है, जो भ्रष्टाचार की बात करे वह आरएसएस का।
०कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्गविजय सिंह ने भाजपा को नाचने वालों की पार्टी करार दिया है। इस पर आप का क्या कहना है?
--जो कहेगी, देश की जनता कहेगी। देश की जनता जानती है कि किस पार्टी में कितने सभ्य और सुलझे हुए विचारों के नेता हैं।
० काले धन, भ्रष्टाचार व घोटाले पर संप्रग सरकार से क्या आशाएं रखते हैं?
-- कुछ नहीं, संप्रग सरकार सही मायने में अली बाबा चालीस चोरों की सरकार है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व संप्रग की चेयरमैन सोनिया गांधी को सबसे पहले देशवासियों को यह बताना चाहिए कि चार जून की रात ऐसा क्या हुआ कि रामलीला मैदान पर सत्याग्रह पर बैठे लोगों को पुलिस ने बेहरमी से खदेड़ दिया। केंद्र सरकार की इस कार्रवाई ने लोगों को यह बता दिया कि संप्रग सरकार में कोई भरोसे लायक नहीं है।
०क्या तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी नहीं?
-बेशक ममता बनर्जी की छवि एक ईमानदारी नेता के रूप में है, लेकिन काले धन, भ्रष्टाचार व घोटालों पर उनकी चुप्पी उनकी छवि पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।
०केंद्र सरकार अब बाबा की संपत्ति को लेकर उसे घेरने के मूड पर, इस बार आप की क्या राय है?
-सरकार जांच किसी पर भी करवा सकती है। चाहे वह बाबा हो या फिर हजारे। मैं आप को बता दूं भाजपा न तो रामदेव को जयप्रकाश नारायण मानते हैं और न ही अण्णा को महात्मा गांधी।
०उमा भारती की घर वापसी यानी भाजपा में लौटने को आप क्या मानते हैं?
-निश्चित तौर पर इससे पार्टी मजबूत होगी।
19.6.11
संप्रग यानि अली बाबा और चालीस चोरों की सरकार - नकवी
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