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10.6.11

आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे लोग .....


इधर रामदेव और उनके आन्दोलन पे काफी कुछ लिखा जा रहा है ....एक बात पे सभी लेखक सहमत है ...फिर वो चाहे अंग्रेजी के हों या हिंदी के .....कि बाबा आठवीं फेल है ......8th drop out .....अब मैं आपको बता दूं कि बाबा ने स्कूल ( अगर आप उसे स्कूल मानें तो ) आठवीं में छोड़ दिया और गुरुकुल खानपुर चले गए ......... फिर वहां 20 साल तक उन्होंने संस्कृत का व्याकरण , litrature और दर्शन शास्त्र ...philosophy पढ़ा .......संस्कृत की पढ़ाई अष्टाध्यायी से शुरू होती है और महाभाष्य पे ख़तम पे होती है .इसमें बेहद brilliant students भी कम से कम दस साल लगाते है ..वैसे महाभाष्य के लिए तो सुना है की 20 साल भी कम हैं .....और महाभाष्य पढ़े student के सामने ये PhD लोग बच्चे लगते हैं ......अब हमारे मीडिया के ये पढ़े लिखे ( BA ) भाई लोग अगर बाबा को आठवीं फेल लिखते हैं अगर ,तो उनकी बुद्धि पर तरस आता है मुझे ......बीस साल तक संस्कृत litrature और grammar पढ़ा लिखा आदमी ....उसे ये लोग 8th dropout लिखते हैं ......यानि संस्कृत कोई subject ही नहीं और पढ़ा लिखा वो जो कॉलेज से BA की डिग्री ले ........और एक बात बता दूं आप लोगों को ...पिछले ,महीने मुझे एक हफ्ता एक गुरुकुल में रहने का मौका मिला ...वहां का स्टुडेंट रोज़ सुबह 3 .45 पे उठता है .........और कोई उठाता नहीं है जनाब ....अपने से उठता है ......रोज़ 8 से 10 घंटे स्वाध्याय करता है .....10 साल तक .......exam गुरु जी लेते हैं..... कहीं से कोई question पेपर नहीं आता .......नक़ल मार के कॉपी नहीं भरता है .......और संस्कृत litrature और philosophy पढने के लिए तो 50 साल भी कम हैं .
जहाँ तक बात योग की है तो योग मात्र चार आसन और deep breathing मात्र नहीं है ......ये एक जीवन दर्शन है ........यानि एक संपूर्ण जीवन शैली है ....जो आपके thought process और stress level को regulate करती है ...आपके life style में changes लाती है .......अब आपकी पूरी medical science खुद कहती है की सारी problems की जड़ ये stress और life style ही है .....इसे योग से ठीक किया जा सकता है ........योग को इस से सरल भाषा में नहीं समझाया जा सकता .......पर इसे फील करने के लिए आपको इसे करना पड़ेगा ....इस से पहले मैं भी ये सारी बातें सिर्फ सुनता था .......पिछले एक महीने से योग कर रहा हूँ ....6 किलो वज़न कम हो चुका है ....बिना किसी dieting के.........स्ट्रेस गायब है जिंदगी से ........मैं अपने जीवन में आनंद महसूस कर रहा हूँ ...वैसे मैंने सुना है की आनंद की अनुभूति कोकीन का shot लेने के बाद भी होती है .......अब ये आप को decide करना है कि आपको कौन सा आनंद चाहिए ......किसी आदमी के लिए कुटिया में भी आनंद ही आनंद है और अपने मुकेश भाई अम्बानी को अपने उस 23 मंजिला घर में भी आनंद मिला या नहीं मैं कह नहीं सकता ........और आज मुझे ये भी पढने को मिला कि बाबा के ज़्यादातर समर्थक intellectually challenged lower middle class लोग हैं ......मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ .....की हम सब लोग जो उस दिन रामलीला मैदान में भूखे प्यासे बैठे
थे ...रात भर पुलिस से पिटते रहे ......अगले दिन धूप में...... 41 डिग्री में ....सारा दिन अपने दोस्तों को ढूंढते रहे ........( तकरीबन सबके फोन बंद हो चुके थे ..चार्ज न होने के कारण ) हम लोग वाकई intellectuals नहीं है ....intellectual होते तो अपने बेडरूम में ac 16 डिग्री पे चला के सोते ...देश तो जैसे तैसे चल ही रहा है .......intellectual वो होता है जो morning walk पे भी अपनी SUV में जाता है .......जिसकी लड़की की शादी में 850 dishes serve होती हैं जिसमे 25 किस्म के तो पुलाव होते हैं .......हम दाल भात खाने वाले लोग ........हमें बात बात में कंधे उचका के oh noooo ....oh shit कहना तक नहीं आता .......हम भोजपुरी और हरयाणवी में बात करने वाले लोग .......हम कहाँ के intellectual .....

ये भी कहा जा रहा है की बाबा को अपना काम करना चाहिए ........जिसका जो काम है उसे वो करना चाहिए ......सबको सिर्फ अपना काम करना चाहिए ......बात भी सही है .......बाबा को योग सिखाना चाहिए ....चंदा बटोर के बड़ा सा AC आश्रम बना के अपने भक्तों से चरण पुजवाने चाहिए ..........किसान खेती करे ...student पढ़ाई करे ...दुकानदार दुकान चलाये ....... गृहणी घर का झाड़ू पोंछा करे ......अभिनेता फिल्म बनाए ...लोगों की शादी में नाचे और पेप्सी बेचे ......हम अखबार और चैनल चलायें .....नेता देश चलायें .......सही बात है ..हम साले दो कौड़ी के लोग ...खेती बाड़ी छोड़ के यहाँ क्या कर रहे हैं, दिल्ली में .......हम अनशन करेंगे तो इनकी बेटी की शादी में 850 dishes बनाने के लिए अन्न कौन उगाएगा .......हमारा बाप ???????? ऊपर से हमें मालूम ही क्या है काले धन की इन कानूनी पेचीदगियों का ......अंतरराष्ट्रीय कानूनों का ...अर्थशास्त्र का .....हमें जा के अपना काम करना चाहिए ......हमने क्या ठेका ले रखा है देश का ....country will be run by these generals of democracy .........ये काम हमें कपिल सिब्बल ,चिदंबरम .मोंटेक .और मनमोहन सिंह,बरखा दत्त और वीर संघवी और cp surendran के लिए छोड़ देना चाहिए .......ये सब विद्वान् ...पढ़े लिखे लोग हैं ....सम्हाल लेंगे ......
सुना है कि अनशन और सत्याग्रह से कोई समस्या हल नहीं होती है ....समाज चलाना ये संतों साधू सन्यासियों का काम नहीं ..........पर मेरे भाई जरा पीछे नज़र तो मारो ...ये देश जो आज थोडा बहुत कुछ है इसमें ,दयानंद ,विवेकानंद ,राम मोहन रॉय ,इश्वर चन्द्र विद्यासागर ,गाँधी और विनोबा जैसे संतों की ही देन है .............समाज को इन्ही लोगों ने सुधारा ......जात पात ,छुआ छूत ,बाल विवाह ,सती प्रथा , स्त्री शिक्षा , बंटे हुए समाज को जोड़ने का काम किया .......पर इन democratic generals ने ???????? . जो जात पात इस देश से जा रहा था उसे पुनर्स्थापित किया ......मंडल कमीशन ....वी पी सिंह ,आरक्षण की राज नीति , जाट आन्दोलन ,गुर्जर आन्दोलन , विकराल भ्रष्टाचार , regionalism , भाषा की लड़ाई .....ये सब किसकी देन है ....... democracy के इन genrals की .....अब इसे ठीक कौन करेगा ...ये लोग ....जी नहीं .......इन संतों के नेतृत्व में ...आप और मैं .......

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
- दुष्यन्त कुमार

8 comments:

Unknown said...

gazab kaha....

saamyik aur sateek post

aabhaar !

तेजवानी गिरधर said...

योग के शीर्ष पर पहुंचने से देश विदेश की राजनीति व अर्थशास्त्र अपने आप बोनस में सीखने में नहीं आ जाता महाराज

Ugra Nagrik said...

Vaarta aur bhasha - shaili hoobahoo Acharya Bal Krishna JI maharaj Kee |Badhai ho , Lekin is se mamla koi saaf nahi hota | Yeh koi nahi kahta ki Yoga ya koi aur kaam karte ho to doosra kaam mat karo | Aashay yeh hota hai ki doosre kaamon ke liye fir aap samay aur samarpan nahi de pate , jiski us kaam ko darkaar hoti hai | Jaise BABA pichhle dinon rajya ke saath sanlagn the , to wah YOGA kahan sikha paaye ? Aur yog ki jo mahima aap bakhaan kar gaye wahi wah maidaan se lekar haspataal tak kahan dikha paaye ? Kauva kaan le gaya na ! wahi haal aap logon ka hai|

Divya K. Rathore said...

Mind Blowing.
Is this the original source? Kindly let me know the original source so that I can spread this amazing article.

Divya K. Rathore said...

Amazing article.
Can you please let me know of the original source (if this blog post is the original source then mention that as well)?

Dr Om Prakash Pandey said...

jaatiwaad ko to aarakshaan ke sahare bhrasht netaaon ne khoob badhawa diya . is par aap aur likhen .

Ugra Nagrik said...

Bhayi divya evam Om prakash ji,
Kis source article ke liye , kisko sambodhit karke aapne comment kiya hai , yhi gyat nahi hota | Yamere samajhne me hi koi truti hai|
Aap dono "Aathvin fail baba --" ke sambandh me kah rahe hain ya Teesri Aankh , Ugranath ke comments par ?

Divya K. Rathore said...

Dar-asal, pehli baar yeh lekh (आठवीं फेल बाबा और ये पढ़े लिखे लोग) Facebook par padha jahan kisi ne isko bagair uchit shreya diye huey chhapa tha. Jaan-na chhah raha tha ki lekhak kaun hain.