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14.9.11

सख्त धर्मपाल बिल

* - मेरी पीड़ा समाप्त होती नज़र नहीं आ रही है ।अन्ना हजारे इतने बुज़ुर्ग होकर भी अपने देश के जनीय , सामाजिक भ्रष्टाचार के बहू आयामी मर्म को तनिक भी छू नहीं पा रहे हैं , और एक छुद्र राजनीतिक गिमिक में फंसे हुए हैं । भगवान् को पूजा -पाठ -फूल -बताशा का घूस ,लड़की की शादी के लिए घूस , पोता पैदा हो तो घूस --- कहाँ तक गिनाएं समाज में गहराई से व्याप्त है । तिस पर भी इनकी अक्ल में कोई समझदारी की बात आ ही नहीं रही है । बस एक जन लोकपाल द्वारा ख्याति शिखर प्राप्त करने के हारे चारे के माध्यम से इनके साथी इन्हें बकरी बनाये हुए हैं ।
अब ये चले हैं ज़बरदस्ती स्टेंडिंग कमेटी के सदस्यों पर दबाव बनाने । तर्क द्वारा उन्हें समझाने नहीं , क्योंकि उनके तर्क में दम कम अहंकार और जिद ज्यादा है । मैं , सत्ता की राजनीति से बाहर क एक व्यक्ति , भी सहमत नहीं हूँ उनके बिल से । मै प्रधान मंत्री और न्यायाधीश को लोक पल के अधीन लेन के खिलाफ हूँ । तो क्या मुझसे आप ज़बर दस्ती करेंगे ? इंतज़ार कर लीजिये उस समय का जब आपसे जन प्रतिनिधि सहमत हो जायं । अभी जो लोकपाल वे लायें उसे आजमा कर देख लीजिये ।
एक कटु वार्ता भी अभी सामने रख दूं । अभी जिस तरह वह अपने जन लोकपाल पर अड़े हैं , और गणेश पूजा में व्यस्त हैं , जिस किसी दिवस कोई भारत का नास्तिक आध्यात्मिक संत - जाबाली -चार्वाक- सांख्य - मीमांसा का दार्शनिक अपने एक सख्त " धर्मपाल बिल " पर उत्कट जिद लेकर बैठ जायगा , उस दिवस आपको भी आटा - डाल का भाव मालूम पड़ जायगा । जो अभी नालियों पर कब्ज़े करके मंदिरें बनवा रहें ,दिन -रात लाउड स्पीकरों के शोर से वातावरण दूषित किये रहते हैं , उनके खिलाफ बोलियेगा तो पता चलेगा कि आपके साथ कितनी जनता है ?
सम्प्रति बस ।
डायरी :-
१ - सवालों के गलत उत्तर देने वाले परीक्षार्थी भी अब ताल ठोंककर अन्नागिरी कर सकते हैं कि प्रश्नों के उनके उत्तर ही पूर्ण सत्य मेने जाँय और उन्हें पूरे नंबर दिए जाँय । वरना वे परीक्षक का घेराव कर उनका जीना दूभर कर देंगे । 0
2 - Haiku]
फौजी आदमी
फौज़ी की तरह ही
बात करता । 0
मिट्टी पलीत
जन लोकपाल से
होगी अन्ना की । 0
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3 comments:

जीवन और जगत said...

किसी लक्ष्‍य को पाने के लिए जुनून की जरूरत होती है, कुछ लोगों को यह पागलपन लग सकता है, लेकिन जुनून जरूरी है। अन्‍ना ने एक सूत्र पकड़ा है, उनकी आलोचना के बजाय हमें उनका सहयोग करना चाहिए। उन्‍होंने राह दिखाई है, हम सबको उस तरफ बढ़ना है। यह सही है कि भ्रष्‍टाचार को खत्‍म करना इतना आसान नहीं है, और केवल जन लोक पाल बिल का लागू होना ही भ्रष्‍टाचार खत्‍म होने की गारन्‍टी नहीं है। लेकिन यह एक सार्थक पहल है। लोकपाल की रिपोर्ट के आधार पर ही हाल ही में एक भ्रष्‍ट मुख्‍यमंत्री को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है।

Ugra Nagrik said...

मा. संतोष हेगड़े वर्तमान व्यवस्था के लोकायुक्त थे, जन लोकपाल नहीं ।

Ugra Nagrik said...

Wah ganga Ji ! Kya baat kahi aapne -Vichar navneet.