आए प्रेममास के पुलकित दिन
ऋतुराज की तरुनाई कहू इसे
या कहूं वसंत का यौवन
आए प्रेममास के पुलकित दिन
हर गुलशन गुलजार हुआ
हर भवरे को मिला निमंत्रण
आए प्रेममास के पुलकित दिन
इसकी सुबह, इसकी शामें, इसकी रातें
क्षण-क्षण मादक हर पल चंचल
आए प्रेममास के पुलकित दिन
विषबेल बन गई अमर बेल
बंजर में गुंजन करें फूल
आए प्रेममास के पुलकित दिन
चौखट-चौखट चंदा चमके
आँगन-आँगन बेला महके
बगिया में खिले गुलाबों पर
जूही रीझे चंपा अकुले
आए प्रेममास के पुलकित दिन
इठलाती नदिया भी रुक-रुक
सागर से हँसी ठिठोल करे
आए प्रेममास के पुलकित दिन
गुमसुम बच्चे भी करें शोर
जीवन की कैसी नई भोर
आए प्रेममास के पुलकित दिन
धरणी पर उतरे कामदेव
रमणी के दिल में उथल-पुथल
आए प्रेममास के पुलकित दिन
कैसी टूटन कैसी सिहरन
हर ओर सृजन हर ओर सृजन
आए प्रेममास के पुलकित दिन
दीक्षांत तिवारी
हिंदुस्तान, आगरा
मीठीमिर्ची.ब्लागस्पाट.कॉम
11.2.09
हर ओर सृजन
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