एक बार एक बोईंग यात्री जहाज जब हवाई पट्टी से टेक ऑफ कर गया तब उसका मुख्य पायलट जोर से ठहाका लगाकर हंसा । को-पायलट ने जब उसके एकाएक हंसने की वजह जाननी चाही तो मुख्य पायलट ने कहा कि जब पागलखाने वालों को पता चलेगा कि मैं यहां पर हूं तब तो उनके होश ही उड़ जायेंगे ।
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मित्रों यही हाल आजकल कांग्रेस का भी है । कांग्रस का जहाज आजकल पागल दिग्विजय सिंह उड़ा रहे हैं । वे कांग्रेस को किस वीराने में जाकर क्रैश करेंगे ये न तो उनको मालूम है और न ही कांग्रेस को । मैडम और युवराज दोनों ही ये नहीं जानते की हिंदुत्व के उभार से कांग्रेस जमींदोज हो जायेगी लेकिन वे उसको उकसाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं । उन्हें गुजरात और बिहार की करारी हार याद नहीं आती । वे वही गलती बार बार दुहरा रहे हैं ।
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आज के अखबार में खबर है कि दिग्विजय सिंह ने एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे से 26 नवंबर 2008 की शाम 5:44 पर अपने मोबईल से एटीएस के दफ्तर में बात की थी ।
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इसके पहले मुंबई हमले के दो साल बाद उन्होंने यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि एटीएस प्रमुख ने 26 नवंबर 2008 की शाम उनसे बात करके हिंदू उग्रवादियों से अपनी जान को खतरा बताया था । उनके इस बयान को अवसरवादिता का घटिया उदाहरण माना गया था । इसके बाद दैनिक जागरण ने यह पता लगाया कि उस शाम करकरे के मोबाईल से कोयी कॉल दिग्विजय सिंह को नहीं की गयी थी और इसके साथ ही हेमंत करकरे की विधवा पत्नी ने भी पति की शहादत पर जो कि पाकिस्तानी आतंकी कसाब की गोलियों का शिकार हुये थे, दिग्विजय सिंह से कोयी राजनीति न करने की अपील की थी क्योंकि हेमंत करकरे ने ऐसे किसी भी खतरे के बारे में अपने परिवार को नहीं बताया था ।
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सबसे पहले दिमाग में यह प्रश्न आता है कि जब हेमंत करकरे ने दिग्विजय सिंह को कोई कॉल नहीं की थी तब एटीएस के दफ्तर में दिग्विजय सिंह ने उस शाम क्यों फोन किया । वे मात्र कांग्रेस महासचिव हैं न कि महाराष्ट्र राज्य या केन्द्र सरकार के गृह मंत्री । तब क्या प्रज्ञा ठाकुर मामले की देखरेख कांग्रेस भारत सरकार के माध्यम से नहीं बल्कि अपने व्यक्तिगत राजनैतिक लाभ के लिये करना चाहती थी/है और इसलिये दिग्विजय सिंह को उसने इस मामले को देखने के लिये नियुक्त किया था । दिग्विजय सिंह का कोयी अधिकार नहीं बनता है किसी राज्य या केन्द्र सरकार की जांच एजेंसी के प्रमुख से किसी जांच की जानकारी लेने का । उनका कोयी भी संवैधानिक अधिकार नहीं है ऐसी किसी जानकारी को प्राप्त करने का । इसके अलावा दिग्विजय सिंह का आजमगढ़ प्रेम और शहीदों की शहादत को अपमानित करने का (बाटला हाउस काण्ड और करकरे की शहादत) रहस्मय, पाकपरस्त इतिहास रहा है ।
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मुंबई हमले के दो साल बाद अचानक उनको याद आता है कि हेमंत करकरे ने उनसे 26 नवंबर की शाम हिंदू चरमपंथियों से अपनी जान को खतरा बताया था । वे दो साल तक सोचते रहे कि इस टेलिफोन रिकार्ड का कब और क्या इस्तेमाल करना चाहिये । उनको यह वक्त सबसे ज्यादा मुफीद लगा जब यूपीए और कांग्रेस गले तक भ्रष्टाचार के कीचड़ में डूबी हुयी थी और प्रधानमंत्री जेपीसी से दूरी बनाने के बहाने तलाश रहे थे ।
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इस बात का क्या सबूत है कि हेमंत करकरे ने ठीक यही कहा था कि उनकी जान को हिंदू चरमपंथियों से खतरा है । शहीद हेमंत करकरे के जीवित रहते वे यह बयान देते तो इसका कोयी मतलब भी था । उनकी मृत्यु के बाद उनकी आत्मा यह गवाही देने आने से रही कि उस शाम मेरी उनसे क्या बात हुयी थी ।
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हो सकता है कि हेमंत करकरे ने कोयी दूसरी बात की हो । दिग्विजय सिंह जिनका की कोयी अधिकार नहीं बनता है एटीएस प्रमुख से किसी भी बातचीत का तो यह भी माना जा सकता है कि हेमंत करकरे प्रज्ञा ठाकुर मामले की जांच दिग्विजय सिंह के दिशा निर्देशन में कर रहे थे और इस जांच में दिग्विजय सिंह आर एस एस को भी लपेटने के लिये दिशा निर्देश दे रहे थे । इस षडयंत्र में कांग्रेस पार्टी मुख्यरूप से अपने राजनीतिक लाभ के लिये सम्मिलित थी क्योंकि यूपीए सरकार के दौरान देश में आतंकी गतिविधियों और देश के 40 प्रतिशत हिस्से में उपद्रव कर रहे नक्सलियों पर उनका कोयी बस नहीं चल रहा था ।
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उस दिन दोनो में क्या बातचीत हुयी ये सिर्फ वे दोनों ही जानते हैं । हेमंत करकरे की मृत्यु के पश्चात दिग्विजय सिंह उस शाम हुयी बातचीत का सिर्फ राजनैतिक लाभ लेते दिख रहे हैं क्योंकि यह कोयी साबित नहीं कर सकता कि दोनों के बीच क्या बातचीत हुयी । वे कुछ भी मनगड़ंत बात कह सकते हैं क्योंकि इसे साबित नहीं किया जा सकता है ।
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4 comments:
bhayi yeh diggi raaja hen or kai salon se raj paath se dur hi nhin bhut dur hen isliyen s ochne smjhne ki shkti pr asr pdh gya he. akhtar khan akela kota rajsthan
rochak abhivyakti .mere blog 'vicharonkachabootra'par aapka hardik swagat hai .
Digvijay Media Mein Ane ke liye ye sab faltu ke bayan baji karte rahte hai.
apne ghar (MP) ko sambhal to nahi para raha duniya ko bewkuf banane nikla hai
mishra ji vandematram
हिंगलिश में कमेन्ट करने का मन हुआ सो कर दिया,
दिग्गी रजा की खूब बखिया उघेड़ी है...आप उनके निर्वाचन क्षेत्र का पता करो और मैं हिंदू आतंकवाद के मुद्दे पर उनके विरुद्ध चुनाव लड़ता हूँ..धुल न छठा दिया तो कहियेगा...जय भारत जय इंडिया
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