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1.1.12

नए साल की प्रातः बेला में-ब्रज की दुनिया

 

नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ;
ईश्वर से हम करें प्रार्थना,
उच्च आदर्शों के  पुष्प चढ़ाएँ.

सरक जाता है जिस तरह रेत
समझ ले मानव मुठ्ठी से,
निकल गया यह कालखंड भी
सरककर आज हमारी मुठ्ठी से;
दुर्गुणों पर विजय करें हम
देश का जग में मान बढाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.

क्या खोया क्या पाया हमने,
देखी प्रभु  की माया हमने?
भटक रहे हम जिसकी खोज में
क्या उसे पाकर भी पाया हमने?
भटक गए हम स्वयं के अरण्य में
आओ खुद का पता लगाएँ;

नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.

क्या सीखा हमने इस बीते वर्ष से?
क्या किया हमने इस बीते वर्ष में?
सोंचा है कभी शांतचित्त होकर
करना क्या है नए वर्ष में?
आओ मिलकर सोंचें-विचारें
नववर्ष की योजना बनाएँ;

नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.

आया है समय नए अवसर लेकर
करें प्रयत्न हम नव निर्माण का;
बीते दिनों के ध्वंस भुलाकर
करें स्वागत हम नवविहान का;
जाना है हमें मंजिल तक
आओ मिलकर कदम बढाएँ;  

नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ;
ईश्वर से हम करें प्रार्थना,
उच्च आदर्शों के  पुष्प चढ़ाएँ.

2 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर ...आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

ब्रजकिशोर सिंह said...

कैलाश जी को बहुत-२ धन्यवाद् और सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.