मुद्दत से जो गांठ बंधी थी, आज हमीं ने खोल दी
नफरत की कालिख हटाकर चंदन-रोली घोल दी
अरसे से जिनकी पेशानी पर छाया था घोर अंधेरा
आज प्रीत की खुशबू वाली वहां रोशनी ढोल दी
- कुंवर प्रीतम
5-11-2012
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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