केन्द्रीय इस्पात मंत्री
बेनी प्रसाद वर्मा वैसे तो अपने अजीबो गरीब बयान के लिए चर्चा में ज्यादा रहते
हैं...लेकिन इस बार बेनी बाबू ने जो बोला उस पर सहसा विश्वास नहीं होता कि बेनी
प्रसाद वर्मा ऐसा भी सोचते हैं। बेनी प्रसाद वर्मा ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश
सरकार के फैसलों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सपा सरकार मुसलमानों के वोटों के लिए
उत्तर प्रदेश में सिर्फ मुसलमानों में कृपा बरसा रहा है। दरअसल बेनी बाबू को
अखिलेश सरकार के उस फैसले पर एतराज है जिसमें सपा सरकार ने राज्य के मुसलमान परिवार
की बेटियों के विवाह और पढ़ाई के लिए 30 – 30 हजार रूपए बांट रही है। बेनी बाबू का
कहना है कि क्या सिर्फ मुसलमान ही गरीब हैं ? बेनी साहब ये भी कहते हैं कि अगर 70 फीसदी मुसलमान गरीब हैं तो फिर 95 फीसदी
अनुसूचित जाति, 25 फीसदी पिछड़े और 10 फीसदी सामान्य वर्ग के लोग भी बेहद गरीबी का
जीवन जी रहे हैं...ऐसे में सरकार सिर्फ मुसलमानों पर ही नेमत क्यों बरसा रही है।
उत्तर प्रदेश की सपा सरकार के फैसले पर ऊंगली उठाने वाले ये वही बेनी बाबू हैं जो
कुछ दिन पहले तक सपा सरकार को सौ में से सौ नंबर दे चुके हैं। वैसे मंत्री जी के
सपा सरकार को 100 नंबर देने पर ज्यादा अचरज नहीं हुआ था...क्योंकि बेनी बाबू के
श्रीमुख से ऐसे ही बयानों की उम्मीद की जाती रही है। लेकिन मुसलमानों के साथ ही
दूसरे वर्ग के गरीबों पर बेनी बाबू की चिंता ने बहस का नया विषय तो खड़ा कर ही
दिया है। लेकिन देखने वाली बात ये है कि क्या ये सिर्फ बेनी प्रसाद वर्मा जी का
सिर्फ एक बयान है या फिर 2014 के आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए दिया गया बयान।
बेनी बाबू कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैं और हालिया विधानसभा चुनाव में उत्तर
प्रदेश में कांग्रेस युवराज राहुल गांधी के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी कांग्रेस
की हालत किसी से छुपी नहीं है...ऐसे में विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों को
साधने में नाकाम रही कांग्रेस कहीं 2014 में अन्य वर्ग के वोटों को साधने की
तैयारी में तो नहीं है...! मंत्री जी का बयान इस ओर भी ईशारा करता दिखाई दे
रहा है। बहरहाल मुद्दे की अगर बात करें तो मुद्दा बेहद गंभीर है और इस बात से
इंकार नहीं किया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश क्या देशभर में मुसलमानों के अलावा भी
जो आबादी है उसका भी एक बहुत बड़ा वर्ग बेहद गरीब है...ऐसे उत्तर प्रदेश के लिहाज
से ही अगर बात करें तो यहां पर स्थिति वाकई में गंभीर है और सिर्फ मुसलमानों के
अलावा भी बड़ा वर्ग गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहा है। ऐसे में अगर अखिलेश सरकार सिर्फ
मुसलमानों को फायदा पहुंचाती है या कोई योजना शुरु करती है तो सवाल खड़े उठने
लाजिमी है। वैसे सपा सरकार के इस फैसले के पीछे की वजह खोजने की कोशिश की जाए तो
स्पष्ट होता है कि सपा की निगाहें भी 2014 के आम चुनाव पर ही है...और देश की
राजनीति तय करने वाले सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के रास्ते दिल्ली की सत्ता
में तीसरे मोर्चे के सहारे काबिज होने का मुलायम सिंह का पुराना सपना साफ नजर आता
है...और हालिया घटनाक्रमों के बाद इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि मुलायम
सिंह इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। कांग्रेस इस पर इसलिए भी सवाल उठा रही
है कि वो अच्छी तरह जानती है कि उसे केन्द्र की सत्ता में तीसरी बार काबिज होना है
कि उत्तर प्रदेश में अपनी स्थ्ति सुधारनी होगी। बहरहाल विधानसभा चुनाव में
समाजवादी पार्टी को सिर आंखों में बैठाने वाली उत्तर प्रदेश की जनता 2014 में
प्रस्तावित केन्द्र की सत्ता की लड़ाई की चाबी सौंपने लायक किसे बनाएगी ये तो
भविष्य के गर्भ में है...लेकिन इस चाबी को हासिल करने के लिए सियासी जंग शुरु जरुर हो चुकी है और जो खासी रोचक होने की भी पूरी
उम्मीद है।
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