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10.11.12

Give & Take का खेल


अरविंद केजरीवाल इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि 2013 में 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही 2014 के आम चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा। ऐसे में अपनी ताकत सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर केजरीवाल अब राजनेताओं के साथ ही उद्योगपतियों की घेराबंदी में जुट गए हैं। अपने चौथे खुलासे में अरविंद केजरीवाल ने राजनीति दलों के साथ ही जिस तरह से उद्योग घरानों और उद्योगपतियों की घेराबंदी की है...उससे तो यही लगता है कि केजरीवाल के निशाने पर चुनाव में राजनीतिक दलों को बड़ी आर्थिक मदद करने वाले उद्योग घराने और उद्योगपति भी हैं। यानि कि केजरीवाल इन पर निशाना साध कर राजनीतिक दलों की कमर तोड़ने की तैयारी में हैं ताकि चुनाव में वे इन से मिलने वाली आर्थिक मदद से वंचित हों और जनता के पैसे से चुनाव लड़ने का दावा करने वाली केजरीवाल एंड कंपनी इन राजनीतिक दलों को कड़ी टक्कर दे सके। ये बात जग जाहिर है कि चुनाव में उद्योग घराने और उद्योगपति राजनीतिक दलों को बड़े पैमाने पर फंडिंग करते हैं जिसका इस्तेमाल राजनीतिक दल चुनाव में करते हैं। इसके बदले सत्ता में आने पर राजनीतिक दल इन उद्योग घरानों और उद्योगपतियों को तमाम तरह के कॉन्ट्रेक्ट देने के साथ ही तमाम तरह की छूट देते हैं...जिससे ये लोग मोटा पैसा बनाते हैं। यानि कि इसे हम सीधे तौर पर Give & Take का धंधा कह सकते हैं। वैसे काले धन को लेकर हो हल्ला तो लंबे समय से मचता रहा है और इससे पहले योगगुरु बाबा रामदेव काले धन को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं...और रामदेव ने तो खुलकर कांग्रेस के खिलाफ नाम लेकर जंग का ऐलान भी कर दिया है। लेकिन सरकार काले धन के मुद्दे पर कार्रवाई की बात कहकर सिर्फ आश्वासन ही देती नजर आई...जिससे सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े उठते हैं...शायद यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने खुद के पास जुटाई गई जानकारी के आधार पर कुछ बड़े उद्योग घरानों, उद्योगपतियों और नेताओं को बेनकाब करने की कोशिश की है...औऱ बकायदा ये भी बताने की कोशिश की है कि किसका कितना काला धन विदेशी बैंकों में जमा है। हालांकि जिन पर आरोप लगे हैं वे इन्हें निराधार बताते हुए किसी प्रकार का काला धन न होने की बात कर रहे हैं...लेकिन केजरीवाल का ये दावा कि ये जानकारी उन्हें भाजपा और कांग्रेस के राजनेताओं ने नाम न छापने की तर्ज पर ही उपलब्ध कराई है ये इस बात पर सोचने के लिए जरूर मजबूर करता है कि कहीं न कहीं केजरीवाल के दावों में दम जरूर है। वैसे भी जिस तरह हमारे राजनेता भ्रष्टाचार और घोटाले में लिप्त हैं और जिस तरह सरकार ने देश के संसाधनों की बंदरबांट बड़े बड़े उद्योग घरानों को की है...उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये लोग काले धन के मालिक न हों। बहरहाल काले धन पर बाबा रामदेव के बाद केजरीवाल के खुलासे ने एक बार फिर से सरकार पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं...ऐसे में देखना ये होगा कि कभी दिल्ली के रामलीला मैदान में तो कभी हरियाणा के सूरजकुंड में मंथन कर और अपनी मजबूरियां बताकर अपना दामन पाक साफ बताने की कोशिश में लगी सरकार अब कालेधन पर आगे क्या स्टैंड लेती है। क्या सरकार काले धन के मुद्दे पर किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करती है या फिर अपने भ्रष्ट मंत्रियों और नेताओं की तरह इनको भी पूरा संरक्षण देती है ?

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