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30.11.12

मनमोहन पर भारी “M”

एफडीआई पर सरकार भले ही अपनी सुविधानुसार अपने सहयोगियों का नरम रूख देखते हुए दोनों सदनों में बहस के साथ ही वोटिंग के लिए तैयार हो गई हो...लेकिन मनमोहन सिंह पर एक बार फिर से एम फैक्टर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। एम फैक्टर में सरकार से अलग हो चुकी ममता बनर्जी के साथ ही सरकार की बैसाखी बने मुलायम सिंह और मायावती का पल पल बदलता रूख मनमोहन सिंह की बेचैनी बढ़ाने के लिए काफी है। एफडीआई पर गतिरोध समाप्त होने से पहले तक किसी भी नियम के तहत वोटिंग के लिए तैयार होने की बात करने वाली सपा और बसपा का रूख बदलने से सरकार की मुश्किल बढ़ गई है। मुलायम सिंह की सपा ने जहां राज्यसभा में एफडीआई पर नियम 168 के तहत बहस के बाद वोटिंग में जहां सरकार के खिलाफ वोट करने का ऐलान कर दिया है तो लोकसभा में अपना रूख अभी तक स्पष्ट नहीं किया है। ऐसा ही कुछ हाल बसपा का भी है। सरकार से अलग हो चुकी एक और एम यानि ममता बनर्जी एफडीआई का पहले ही खुलकर विरोध कर रही है। ऐसे में सरकार के पास राहत के नाम पर सिर्फ एक ही एम मौजूद है...ये हैं सरकार के सबसे बड़े सहयोगी एम करूणनिधि...जिनके 18 सांसद ही फिलहाल सदन में सरकार की इज्जत बचाने के लिए सामने आते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार के सहयोगियों के दोहरे चेहरे का दावा करने वाली भाजपा की बात एफडीआई पर वोटिंग के दौरान सामने आ जाएगी या फिर फिलहाल मनमोहन सरकार की मुश्किल बने एम फैक्टर मुलायम और मायावती सरकार के लिए एक बार फिर से संकटमोचक की भूमिका निभाएंगे...हालांकि इसकी उम्मीद कम है...लेकिन अगर ऐसा हो भी जाता है तो बड़ा सवाल ये है कि लोकसभा में तो सरकार की लाज बच जाएगी...लेकिन राज्यसभा में सरकार का क्या होगा ?

deepaktiwari555@gmail.com

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