[ नागरिक उवाच ]
* बराबरी तो अच्छी बात है , लेकिन इसके झाँसे में नहीं आना चाहिए |
* सत्ता का तो हो सकता है , पर जनता का कोई विकल्प नहीं है | उसे बदला नहीं जा सकता |
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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