28 सितम्बर को चूड़ामणि ग्रहण होने के कारण सुख- समृद्धि और शांति प्रदान करेगा। सोमवार 28 सितंबर 2015 को चन्द्रग्रहण होने जा रहा है। इससे पहले 13 सितंबर को सूर्यग्रहण लगा था लेकिन यह ग्रहण भारत में नहीं दिखा था इसलिए इसके सूतक का विचार नहीं किया गया। लेकिन चन्द्रग्रहण कुछ समय के लिए भारत के कुछ भागों में नजर आएगा भाद्रपद, पूर्णिमा, सोमवार को भारत के केवल पश्चिमी राजस्थान तथा पश्चिमी गुजरात के कुछ क्षेत्रो में कुछ ही मिनट के लिए चन्द्रास्त के समय आरम्भ होता हुआ दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत के अन्य किसी भी नगर में दिखाई नहीं देनेवाला है । इसलिए इसका सूतक लगेगा और इसका प्रभाव भी कई क्षेत्रों और राशियों पर भी भारत में देखने को मिलेगा।
28 सितंबर 2015 को सुबह 6 बजकर 37 मिनट पर यह ग्रहण लगेगा और 9 बजकर 57 मिनट पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण चूंकि सोमवार को हो रहा है इसलिए इसे चूड़ामणि चन्द्रग्रहण कहा जा रहा है। जब सूर्य एवं चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा पर नहीं पड़ता है। चूंकि ग्रहों व उपग्रहों का अपना कोई प्रकाश नहीं है, ये केवल सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं अतः चन्द्रमा पर सूर्य का प्रकाश न पड़ने के कारण ही चन्द्र ग्रहण होता है। चन्द्रग्रहण का प्रकार और उसकी लम्बाई चन्द्रमा की सापेक्षिक स्थितियों व उसके कक्षीय पथ पर निर्भर करती है। जब हम जमीन पर खड़े होते हैं और सूरज कि रोशनी हमारी शारीर पर पड़ती है, तो जमीन पर हमें अपनी परछाई दिखती है ठीक इसी प्रकार चन्द्रमा और पृथ्वी पर सूर्य के प्रकाश के पड़ने पर परछाइयां आकाश में बनती हैं.चुकि पृथ्वी और चन्द्रमा का आकार गोल है, इसलिए इसकी परछाइयां शंकु के आकार कि होती हैं.ये परछाइयां बहुत लम्बी होती हैं
एक महीना में दो ग्रहण (सूर्य एवं चंद्र ग्रहण) हों तो भूकंप, बाढ़, उपद्रव का संकेत होता है। ग्रहण के दौरान समुद्र में ज्वार भाटा तेज हो जाता है। लहरें ऊंची ऊंची उठने लगती हैं। सूर्य और चन्द्र का प्रकाश प्रभावित होने से प्रकृति पर उसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। फिर इंसानों पर पड़ना भी सामान्य है हालांकि तीव्रता कम या ज्यादा हो सकती है। हालांकि कुछ विद्ववानो व पंडितों में इस पर मतभेद है। कुछ एक ग्रहण को हानिकारक ब दूसरे को शांतिदायक मानते हैं तो कुछ दोनों ग्रहण के मिले जुले फल का बताते हैं। 28 सितम्बर को चूड़ामणि ग्रहण होने के कारण सुख- समृद्धि और शांति प्रदान करेगा।
चन्द्र ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ, अनुष्ठान, दान आदि का अत्यधिक फल मिलता है। मत्स्य पुराण के अनुसार ग्रहण काल के दौरान जातक को श्वेत पुष्पों और चन्दन आदि से चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। चन्द्र ग्रहण के खत्म होने पर जातक को स्नान और दान (विशेषकर गाय का दान) करना चाहिए। जानिए इस ग्रहण का आपकी राशि पर क्या असर होगा। चूड़ामणि चंद्रग्रहण" मीन राशि और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हो रहा हैं। इसलिए यह ग्रहण इस राशि और नक्षत्र वाले व्यक्तियों के लिए अधिक पीड़ा परेशनिदायक हैं॥ मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुम्भ एवं मीन राशि वाले जातक सावधान रहें।
ग्रहण काल में चन्द्र के प्रभावों को शुभ करने के लिये चन्द्र की वस्तुओं का दान किया जाता है चन्द्र की दान वस्तुओं में मोती, चांदी, चावल, मिसरी, सफेद कपड़ा,सफेद फूल, शंख, कपूर,श्वेत चंदन, पलाश की लकड़ी, दूध, दही, चावल, घी, चीनी आदि का दान करना शुभ रहेगा ,
कुंडली के अनुसार चन्द्रमा को मन और माँ का कारक माना गया है जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस भाव में हो उसके अनुसार दान करना चाहिए . चन्द्र वृष राशी में शुभ और वृश्चिक राशी में अशुभ होता है , जब चन्द्र जन्म कुण्डली मे उच्च का या अपने पक्के भाव का हो तब चन्द्र से सम्बन्धित वस्तुऑ का दान नही करना चाहिए, अगर चन्द्र दितीय चतुर्थ भाव मे हो तो चावल चीनी दुध का दान न करे , यदि चन्द्र वृश्चिक राशी में हो तो चन्द्र की शुभता प्राप्त करने के लिए मन्दिर,मस्जिद, गुरुद्धारा, शमशान या आम जनता के लिए प्याउ( पानी की टंकी ) बनवाए या किसी मिटटी के बर्तन में चिड़ियों के लिये पानी रखे .
चन्द्र का वैदिक मंत्र :- चंद्रमा के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु चंद्रमा के वैदिक मंत्र का 125000 जप करना चाहिए।.
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः
या
ऊँ सों सोमाय नमः
बिजनेस की सफलता के लिए चंद्रग्रहण के दिन यह प्रयोग करें
चन्द्र ग्रहण 28 सितम्बर,2015 (सोमवार) को ग्रहण से पहले नहाकर लाल या सफेद कपड़े पहन लें। इसके बाद ऊन व रेशम से बने आसन को बिछाकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। जब ग्रहण काल प्रारंभ हो तब चमेली के तेल का दीपक जला लें। अब दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला लें तथा बाएं हाथ में 5 गोमती चक्र लेकर नीचे लिखे मंत्र का 54 बार जप करें- ऊँ कीली कीली स्वाहा
अब इन गोमती चक्रों को एक डिब्बी में डाल दें और फिर क्रमश: 5 हकीक के दाने व 5 मूंगे के दाने लेकर पुन: इस मंत्र का 54 बार उच्चारण करें। अब इन्हें भी एक डिब्बी में डालकर उसके ऊपर सिंदूर भर दें। अब दीपक को बुझाकर उसका तेल भी इस डिब्बी में डाल दें। इस डिब्बी को बंद करके अपने घर, दुकान या ऑफिस में रखें। आपका बिजनेस चल निकलेगा। ऐसा मेरा विश्वास है।
किसी जन्म कुंडली में चन्द्र ग्रहण योग निवारण का एक आसान उपाय ( इसे ग्रहण काल के मध्य में करे)---
1 किलो जौ दूध में धोकर और एक सुखा नारियल चलते पानी में बहायें और 1 किलो चावल मंदिर में चढ़ा दे, अगर चन्द्र राहू के साथ है और यदि चन्द्र केतु के साथ है तो चूना पत्थर ले उसे एक भूरे कपडे में बांध कर पानी में बहा दे और एक लाल तिकोना झंडा किसी मंदिर में चढ़ा दे.
प० राजेश कुमार शर्मा
भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र
मेरठ 09359109683
26.9.15
28 सितंबर2015 को चूड़ामणि चन्द्रग्रहण
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