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30.9.15

मीडिया विमर्श का अगला अंक भारतीयता और पत्रकारिता विषय पर केंद्रित, आप अपनी रचनाएं भेजें


आदरणीय मित्रों,
सादर नमस्कार,

आशा है आप स्वस्थ एवं सानंद हैं। मीडिया विमर्श, मीडिया विषयों पर आधारित पत्रिका है। मीडिया विमर्श ने अपनी निरंतर यात्रा के नौ साल पूरे कर लिए हैं। इस यात्रा में अनेक विषयों पर पत्रिका ने अपने विशेषांकों के माध्यम से सार्थक हस्तक्षेप किया है।


मीडिया विमर्श का अगला अंक भारतीयता और पत्रकारिता विषय पर केंद्रित है। इस अंक में आपकी वैचारिक उपस्थिति से हमारा गौरव बढ़ेगा। इस अंक के माध्यम से हम भारत के मीडिया में भारतीयता की उपस्थिति को रेखांकित करना चाहते हैं। उम्मीद है निम्नलिखित प्रश्नों या इसके अलावा आपके ध्यान में आने वाले मुद्दों को लेख में स्थान मिलेगा-

1.  समकालीन पत्रकारिता में भारतीयता को लेकर आपकी क्या अवधारणा है?

2. क्या आपको लगता है कि प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया में सक्रिय घराने/समूह एवं महत्वपूर्ण हस्ताक्षर इस आवश्यक्ता को पूरा कर पा रहे हैं?

3. क्या मीडिया संस्थानों द्वारा की जा रही विषय प्रस्तुति से भारतीय संस्कृति पुष्ट होती है या वे एक वैश्विक प्रवाह में ही बह रहे हैं?

4. भारतीय मीडिया में समाचारों की प्रस्तुति की शैली भी वैश्विक मानदंडों पर आधारित है। 5w और 1 H से हटने को कोई तैयार नहीं दिखता। इसके चलते क्या भारतीय मूल्यों का प्रवाह बाधित होता है?

5. क्या भारत का मीडिया भारतीयता को पोषित और विकसित करता हुआ दिखता है?

6. समाचार जो उदभूत हो रहे हैं, उनमें राजकाज, बाजार और कुलीन ही केंद्र में हैं। क्या इसका केंद्र समग्र समाज नहीं होना चाहिए?

7.  क्या भारतीय मीडिया वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए निरंतर प्रयत्न करता हुआ नजर आता है? क्या वह सामाजिक समरसता बढ़ाने की दिशा में सचेतन प्रयास करता दिखता है, क्या ऐसे कुछ उदाहरण हमारे पास हैं?

8.  मीडिया में राजकाज के द्वंद प्रमुख हैं या राजकाज की विशेषताएं प्रमुखता पाती है?

9.  इस प्रवृत्ति की तीखी आलोचना के बाद अखबारों ने सन् 2000 के बाद अपना नया सामाजिक चेहरा बनाना प्रारंभ किया, जिसके तहत पर्यावरण, पानी, टाइगर बचाने, सूखी होली जैसे अभियान दिखते हैं। इसी तरह कारपोरेट सोशल रिस्पांस्बिलिटी(CSR) जैसे प्रयत्न क्या कंपनियों के ‘सोशल फेस’ बनाने जैसा नहीं है?

10. क्या मीडिया भारत जैसे विशाल देश की विविधता और बहुलता की अभिव्यक्ति और संरक्षण कर रहा है?

11.  मीडिया सेलिब्रिटी केंद्रित है या गुण और मूल्य केंद्रित है?

12. क्या भारतीय मीडिया कृषि और ग्रामीण समाज को उसकी पारंपरिक संस्कृति के साथ विकसित कर रहा है?

13.  मीडिया कारपोरेट कल्चर और पारंपरिक सामाजिक संस्कृति में किसे प्रधानता देता हुआ दिखाई देता है?

14.      क्या भारतीय मीडिया मूल्यानुगत है और क्या उसके मूल्य मीडिया के कार्य-व्यवहार में परिलक्षित होते हैं?

15.     इंडियन मीडिया को भारतीय मीडिया बनाने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए?

     इस विषय पर अपनी राय, विश्लेषण और विचार अधिकतम 2000 शब्दों में लिखकर हमें भेज दें। साथ में अपना ताजा चित्र भी संलग्न करें। आपकी सामग्री हमें 30 अक्टूबर,2015 तक मिल जाए तो सुविधा रहेगी। आपके सहयोग की प्रत्याशा में-

सादर आपका

संजय द्विवेदी 
कार्यकारी संपादक
मीडिया विमर्श 

मोबाइल-9893598888, ईमेल-mediavimarsh@gmail.com        

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