राकेश भदौरिया
शिक्षक दिवस ५ सितम्बर को है, परन्तु पूरे भारत में सभी स्कूलों में आज ४ सितम्बर को ही शिक्षक दिवस मनाने की औपचारिकता पूरी की जा रही है। यहाँ तक कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी आज ही शिक्षक दिवस मनाकर छात्रों की क्लास ले रहे है और उनसे संवाद कर रहे हैं। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि क्या किसी दिवस को एक दिन पहले ही मनाना चाहिए। तर्क दिया जा रहा है कि कल ५ सितम्बर को श्री कृष्णा जन्माष्टमी होने के कारण एक दिन पहले ही शिक्षक दिवस मनाने की औपचारिकता पूरी की जा रही है।
मेरे विचार से यह एक दम गलत परम्परा है। यदि १५ अगस्त और २६ जनवरी को भी कोई त्यौहार आ जाए तो क्या हम इनको भी एक दिन पहले मनायेगे ? जो देश किसी त्यौहार के चक्कर में शिक्षक दिवस पर अपने शिक्षको को भूल जाता है,शिष्य अपने गुरुओ को भूल जाते हैं और उसको मनाने की औपचारिकता एक दिन पहले ही पूरी कर अपने कर्तव्यो की इतिश्री समझ लेता है उस देश का भविष्य दुनिया के नक़्शे पर क्या होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। क्या हम त्यौहार होने के बाद भी शिक्षक दिवस को शिक्षक दिवस के दिन नहीं मना सकते थे? क्या हमारा शिक्षको के प्रति आदर सम्मान इतना मर गया है कि हम अपनी सुविधा के लिए शिक्षक दिवस को इधर उधर हटाते रहे? ये सब तब और दुखद लगता है जब यह सब उस देश में हो रहा होता हैं जिसमे शिक्षको के लिए कहा जाता है --
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरवे नमः
मेरा यहाँ पर प्रत्येक वास्तविक शिष्य से अनुरोध है कि चाहे दुनिया का कोई भी त्यौहार हो , कोई भी बाधा हो,दिन हो रात हो , आंधी या तूफ़ान हो, अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए ५ सितम्बर को ही शिक्षक दिवस मनाये और ५ सितम्बर को ही शिक्षक दिवस की शुभ कामनाये प्रेषित करे।
राकेश भदौरिया
एटा
उत्तर प्रदेश
9456037346
4.9.15
पांच की जगह चार सितंबर को ही शिक्षक दिवस मनाना हमारे गुरुओं का अपमान है
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