प्रयास संस्थान की ओर से सूचना केंद्र में हुए कार्यक्रम ‘अंवेर’ में तीन अनुवाद पुस्तकों का विमोचन, कोलकाता प्रवासी सराफ का अभिनंदन, वरिष्ठ साहित्यकार देवकिशन राजपुरोहित, डॉ हनुमान दीक्षित, डॉ रामकुमार घोटड़ सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों ने की शिरकत
चूरू, 12 सितंबर। प्रयास संस्थान की ओर से शहर के सूचना केंद्र में शनिवार को आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम ‘अंवेर’ में भाड़ंग के दुलाराम सहारण द्वारा अनूदित ‘जेवड़ी व घांघू के कुमार अजय द्वारा ‘कानूरु की चौधरण’ व ‘खांडी मूरतां बिचाळै’ पुस्तकों का विमोचन किया गया। समारोह में वक्ताओं ने राजस्थानी भाषा की समृद्धि व विशाल साहित्य भंडार पर चर्चा करते हुए कहा कि अनुवाद कार्य का किसी भी भाषा की समृद्धि में विकास कार्य का भी बड़ा योगदान होता है।
कोलकाता प्रवासी रामप्रसाद सराफ की अध्यक्षता में हुए समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थानी के दिग्गज साहित्यकार देवकिशन राजपुरोहित ने अनुवादकों को बधाई देते हुए कहा कि अनुवाद का कार्य अत्यंत श्रमसाध्य कार्य है, जिसमें अनुवादक को पूरे समर्पण के साथ काफी समय देना पड़ता है लेकिन साहित्य जगत में अनुवाद की महत्ता असंदिग्ध है। इससे हमें दूसरी संस्कृतियों के नजदीक आने का अवसर मिलता है तथा अन्य भाषाओं के सापेक्ष अनुवाद भाषा की अभिव्यक्ति क्षमता का भी आकलन होता है। उन्होंने राजस्थानी भाषा की समृद्धि व ऎतिहासिक विरासत पर चर्चा करते हुए कहा कि अब राजस्थानी को मान्यता दिए जाने का वक्त आ गया है।
विशिष्ट अतिथि नोहर के वरिष्ठ साहित्यकार हनुमान दीक्षित ने साहित्य जगत की विसंगतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि राजस्थानी के नए लेखकों को विज्ञान, वाणिज्य व तकनीकी विषयों पर भी लिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्य के विस्तार व विकास के लिए लेखकों को तकनीक का भी इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थानी के विशाल शब्दकोष व अकूत साहित्य भंडार की चर्चा करते हुए कहा कि राजस्थानी विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषाओं में से एक है।
विशिष्ट अतिथि सादुलपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामकुमार घोटड़ ने कहा कि अनुवाद का कार्य परकाया प्रवेश जैसा है। यह अत्यंत कठिन कार्य है लेकिन दूसरी भाषा व संस्कृति के प्रति अपनी समझ बढती है। उन्होंने कहा कि क्षेतर्् में राजस्थानी साहित्य की समृद्धि के अत्यंत व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण व हर्ष की बात है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने में अब देर नहीं है तथा हम सभी को मायड़ भाषा के प्रचार-प्रसार का कार्य करना चाहिए।
अध्यक्षता करते हुए कोलकाता प्रवासी रामप्रसाद सराफ ने कहा कि राजस्थानी भाषा के लिए साहित्यकारों व राजस्थान के लोगों द्वारा किया जा रहा संघर्ष रंग लाएगा और जल्द ही राजस्थानी को मान्यता मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रवासी राजस्थानी अपने घरों में राजस्थानी का उपयोग करते हैं तथा वे और प्रयास करेंगे कि राजस्थानी भाषा की समृद्धि में प्रवासियों का योगदान बढे। वरिष्ठ साहित्यकार भंवर सिंह सामौर ने अतिथियों का स्वागत किया। अतिथियों ने साहित्य जगत में प्रयास संस्थान की गतिविधियों की सराहना करते हुए लीलटांस पत्रिका के ताजा राजस्थानी कहानी अंक की सराहना की। प्रयास के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने आभार जताया। कार्यक्रम के दौरान प्रयास संस्थान की ओर से प्रवासी रामप्रसाद सराफ का साफा बांधकर व शॉल ओढाकर अभिनंदन किया गया। संचालन कमल शर्मा ने किया।
इस दौरान मुरारीलाल सराफ, जयसिंह पूनिया, रामेश्वर रामसरा, सुधींद्र शर्मा सुधी, शिवकुमार मधुप, सोहन सिंह दुलार, रामगोपाल बहड़, डॉ सत्यनारायण शांडिल्य, शंकर झकनाड़िया, श्यामसुंदर शर्मा, मोहन चक्र, महावीर सिंह नेहरा, शोभाराम बणीरोत, काशीप्रसाद शर्मा, डॉ राजकुमार लाटा, भवानीशंकर शर्मा, बीरबल नोखवाल, धर्मपाल शर्मासत्यनारायण स्वामी, बाबूलाल शर्मा, अरविंद भांभू, बजरंग बगड़िया, विजेंद्र सिहाग, केशर देव प्रजापत, सुनील शर्मा, अखिलेश बाटू सहित बड़ी संंख्या में साहित्यकार, मीडियाकर्मी व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
साहित्य अकादमी की ओर से प्रकाशित हैं पुस्तकें ः समारोह में विमोचित तीनों पुस्तकें भारत सरकार की नई दिल्ली स्थित साहित्य अकादेमी की ओर से प्रकाशित की गई है। मलयालम के महान उपन्यासकार तकषी शिवशंकर पिल्लै की पुस्तक ‘कयर’ का राजस्थानी अनुवाद दुलाराम सहारण ने ‘जेवड़ी’ शीर्षक से किया है। कुमार अजय ने उर्दू के साहित्य अकादेमी अवार्ड से पुरस्कृत सलाम बिन रज्जाक के कहानी संग्रह ‘शिकस्ता बुतों के दरमियान’ का राजस्थानी अनुवाद ‘खांडी मूरतां बिचाळै’ तथा कुवेंपु के कन्नड़ उपन्यास ‘कानूरु हेग्गडिति’ का राजस्थानी अनुवाद ‘कानूरु री चौधरण’ शीर्षक से किया है।
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