मानेसर, गुडगाँव। 20 सितम्बर 2015। 18 सितम्बर 2015 को ब्रिजस्टोन पफैक्टरी में 400 से उपर मज़दूरों को यूनियन बनाने का कानूनी हक़ माँगने पर काम से निकाल दिया गया। बाउन्सरों को बुलाकर मज़दूरों को मारा पीटा गया। महिला मज़दूरों से बद्तमीजी की गई। यह सब सिर्फ मज़दूरों द्वारा उनके हक़ माँगने की वजह से किया गया। लेकिन ब्रिजस्टोन के मज़दरों ने झुकने से मना कर दिया है। वे लड़ रहे हैं। 18 सितम्बर से पफैक्ट्री के 400 मजदूर पुलिस और कंपनी द्वारा बुलाये गए गुंडो की ध्मकियों का सामना करते हुए अपने जायज़ हक़ के लिए आवाज उठा रहे हैं। मगर अभी तक कंपनी प्रशासन, श्रम विभाग या हरियाणा सरकार द्वारा इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कोई करवाई नहीं की गयी है।
ब्रिजस्टोन पफैक्टरी के मज़दूर करीब पिछले 6 महीनों से यूनियन पंजीकरण की कोशिश कर रहे थे। मजदूरों के अनुसार तभी से ही उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। मैनेजमैन्ट ने यूनियन नेताओं को चेन्नई ट्रांसफर करने की कोशिश तो कभी यूनियन के द्वारा श्रम विभाग में जमा किए गए दस्तावेजो को झूठे रिकॉर्ड व पैसे खिलाकर किसी भी तरह यूनियन पंजीकरण में बाध ड़ालने की कोशिश की। परन्तु मज़दूरों द्वारा बिना रूके प्रयासों को तोड़ने के लिए मैनेजमैन्ट ने बिना किसी नोटीस के 20 मज़दूरों को काम से निकाल दिया।
इसके खिलापफ़ 16 तारीख को मज़दूरों ने कोर्ट का ऑर्डर लेकर टूल डाउन करने का आह्नान किया परन्तु मालिको ने पुलिस के जरिए मज़दूरों को पफैक्टरी में नहीं घुसने दिया। अगले दिन मैनेजमेन्ट ने मज़दूरों के साथ बाउन्सरों को बुलाकर काम पर आए मज़दूरों के साथ मारपीट की व महिला मज़दूरों के साथ बद्तमीजी की और उनसे जबरन मोल्डिंग का काम, जो काम पुरूष मज़दूर करते हैं, करवाया जबकि वे डिफ्रलेशिंग का काम करती हैं। इसके बाद मैनेजमैन्ट ने 400 मज़दूरों को काम से निकाल दिया है और लेबर चौक से मज़दूरों को लाकर काम करवा रहा है। अभी भी मजदूर पफैक्ट्री से 100 मीटर की दूरी पर बैठ कर कंपनी प्रबंध्न के ख़िलाप़फ धरने पर बैठे हैं।
संयोजक
अनन्त
ऑटोमोबाइल इन्डस्ट्री कान्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन
21.9.15
यूनियन बनाने की मांग करने पर 400 मजदूरों को काम से निकाला
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