पत्रिका अखबार गुलाब कोठारी के राज में क्या से क्या हो गया। कर्पूर चंद्र कुलिश जी के समय वाली बातें अब कहां? ढंग की खबर के लिये स्थान अब कहां। पूर्ण व्यावसायीकरण कर दिया। मुखपृष्ठ जो पत्रिका की जान हुआ करता था, आज एडवर्टाईजमेंट के लिये आरक्षित है।
अखबार का पूर्णतः स्थानीयकरण कर दिया। पाली में रहने वाले को नागौर की खबर नहीं मिलती। कल हो ना हो की तर्ज पर २६ अगस्त २०१५ का परिवार पृष्ठ २५ अगस्त २०१५ को ही फेंक देते हैं। हॉकर्स भी बहुत बदल गये। पत्रिका अखबार तब तक ही अपनेपन से लबरेज था जब तक केसरगढ से चलता था। अब तो मजबूरी में पढते हैं। मैं १९८९ से पत्रिका लगातार पढता आ रहा हूं मगर अब वो लगाव नहीं रहा। पहले जिस दिन पत्रिका नहीं पढता उस दिन ऐसा लगता कि दिनचर्या में कुछ खालीपन का अहसास है। आशा है पत्रिका के कर्ताधर्ता इसे बर्बादी के कगार पर पहुंचने से पहले संभाल लेंगे। धन्यवाद कोठारी जी।
TEJKARAN LAKHAWAT
tejkaran.lakhawat@gmail.com
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