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9.1.11

आध्यात्म से आत्मा

आप हैं एक साधारण से शरीर में असीमीत आध्यात्म शक्तियों के भण्डार रखे हुए हुये श्री कृष्णानन्द जी महाराज । इनके बारे में मुझे हमारे साथी मित्र डी.डी.1 के आँखो देखी के  कमल शर्मा जी नें बताये (बताये क्या बता बता कर दिमाग खा गये थे) जब सुनो तब गुरूदेव करेंगे, गुरूदेव बतायेंगे सुन सुन कर भेजा आउट हुए जा रहा था गुरूदेव का आगमन 2 जनवरी को भिलाई में हुआ सो जाहिर है कि जाना तो पडा ही और जब गया तो दर्शन भी होना था अपने मित्र अनिल राठी के साथ अग्रसेन भवन पहुंचा जहां गुरूदेव पधारे थे । लेकिन ये क्या ..... दोपहर 2 बजे से शाम के 5 बज गये पर गुरूदेव के दर्शन ही नही हुये । दिमाग उखड गया तो वापस अपने घर की ओर चल दिये । 3 तारिख को कुछ सामान छोडने के लिये दुसरे दिन मैं अकेले भवन गया तो कमल शर्मा जी नें अपने गुरू भाइयों से परिचय करवाये जो तिल्दा के थे कुछ देर रूकने के बाद मैं वापसी के लिये निकलना चाहा तो एक मित्र नें कहे कि अब थोडी देर रूक जाओ भाई गुरूदेव से मुलाकात कर लो लेकिन मैं अपनी व्यस्तता बताते हुए बाहर निकला तो दो लोग किसी गुप्त विज्ञान की कक्षा की बात कर रहे थे उनकी बातें सुन कर मैं रूक कर उनसे चर्चा करने लगा तो पता चला कि दुसरे दिन (4 जनवरी) को दिव्य गुप्त विज्ञान की कक्षा लगने वाली है जिसकी फिस 2500 रूपये है । अब क्या था जहां सुना कि पैसे देकर कुछ मिलने वाला है तो तुरंत शर्माजी को पकडा और फटाफट अपना नाम दर्झ करवा दिया पता चला कि मुझे सबेरे 8 बजे तक पहुंचना है थोडा सा मन कुनमुनाने लगा फिर भी सोचा चलो एक दिन की तो बात है आखिर बिना गुरूदेव के दर्शन किये दुसरे दिन सीधे कक्षा में जा पहुंचा सिखना प्रारंभ हुआ कुछ देर तो लगा मैं सिख रहा हूँ फिर उसके बाद तो मैं मैं ही नही था बिना खाए पिये शाम को 5 बजे तक जडवत सब सिखता रहा । अद्भुत चीजें , अद्भुत, ज्ञान ... सब कुछ अलग अलग सा कोई सन्यास की बातें नही ठोस भौतिकी ज्ञान फर्क रहा तो इतना कि अपने प्राचीन दिव्यास्त्र ज्ञान को पाने के बाद मैं अपने को धन्य समझने लगा और मन में आय़ा कि जिस सद्पुरूष के आचार्य़ ऐसे हैं तो वे स्वयं कैसे होंगे इसलिये दुसरे दिन प्रातः 7 बजे जाकर अपने जीवन की प्रथम गुरूदीक्षा ग्रहण कर लिया ।
                                    मैने 2500 रूपयों के बदले में ऐसा हथियार पाया कि तोप तलवार सब धरे रह जाएं । अब मैं अपने को एक समर्थ पुरूष कह सकता हूँ । मैं अपने दिव्यास्त्रों के प्रयोग से आप की भी मदद करने में अपने को सक्षम पा रहा हूँ लेकिन गुरूदेव की आज्ञा होगी तभी । अब आपको लग रहा है कि मैं झेला रहा हूँ (जैसे कभी कमल जी मुझे झेलाते थे ) लेकिन ये एक ऐसा सत्य है जिसके बिना हम सब अधुरे हैं । मैं ब्रह्मकुमारी , श्री रविशंकर जी, आसाराम बापू के शिष्यों की भी संगत रखे हुए था उनके आश्रमों में यदा कदा चले जाता था लेकिन जो दिशा मुझे परम पुज्य गुरूदेव श्री कृष्णानन्द जी महाराज से मिली वह पूर्णता की ओर ले जाती है । मैने गुरूदेव की रचित तीन पुस्तकें स्वर से समाधी (यदि आपने संभोग से समाधी पढे हैं तो इसे जरूर पढें ), यंत्र-मंत्र रहस्य और कहै कबीर कुछ उद्यम कीजै .. लेकर आया और पढने बैठा ...... यकिन जाने दिमाग में लगातार विस्फोच सरीखे होने लगे हर वाक्य से कुछ ना कुछ सिखने को मिल रहा था । जहां संत जन कहते हैं कि क्या रखा है इस संसार में वहीं हमारे गुरूदेव कहते हैं कि सब कुछ इसी संसार में है बाहर कुछ नही है । और जब मैने अपने शरीर में झांका तो सारा स्वर्घ यहीं पर था । टेली पैथी का नाम सुना था अब स्वयं कर रहा हूँ (अभी तो केवल गुरूदेव का आदेश या समझाइश आती है )  मैं ये सब लिख रहा हूँ क्योंकि गुरेव के आदेश पर ही ये सब लिखना हो रहा है । मैं विगत एक माह से घर से बाहर रहा इसलिये मेरी इंरनेट लाइन कट चुकी है फिर भी आज सुबह अनायास चालू मिली और मै यह सब अब लिख रहा हूँ बिना इंटरनेट के ..... हाहाहाहाहाहा 
                                   है ना मेरी हंसी उडाने का सबसे अच्छा शब्द लेकिन यही सत्य है । गुरूदेव  अपनी सभा में किसी नेता अधिकारी या भ्रष्टाचारी के हाथों सम्मानीत नही होते वे ऐसे लोगों से दूर रहते हैं जो देश को क्षति पहुंचाते है लेकिन अपने पुत्रों (शिष्यों ) को उनसे लडने के लिये हथइयार दे रहे हैं । वे कहते हैं कि यदि कोई भ्रष्टारी सामने आये तो पहले उसे समझाओ ना समझे तो उसे छोटा सबक सिखाओ फिर भी ना माने तो उसका पद समाप्त कर दो । अभी तो मैं अपने आपको गुरूसेवा में 21 दिनों के लिये बंद करके रखा हुआ हूँ तीन दिनों में जो मिला है उससे 21 दिनों बाद के अपने स्वयं के होने की कल्पना करके रोमंच भी होता है । मैं अपने को मानसिक रूप से बेहतर समझता था (कभी किसी नें सम्मोहित नही कर पाया) लेकिन अब क्या हुआ है मैं स्वयं नही जानता और ना ही अब जानना चाहता हूँ । 
                                         बाकि कुछ और घटा तो फिर बताऊंगा .. बशर्ते इंटरनेट चालू रहे क्योंकि मैं अब इंटरनेट का पैसा नही पटाऊंगा ये ठान लिया हूँ ।
                 बाकि गुरूहरि इच्छा


1 comment:

Beqrar said...

aapki post padhkar jigyasa si jaag uthi hai man me. kripya aur jaankaari den.
MY mail Id is chobey@gmail.com
sadhuwad