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30.9.11
धरती पर बढ़ेंगे अभी और बलात्कार !!
http://baatpuraanihai.
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भड़ास मित्रों से सलाह लेनी है
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एक बात
* - मुसलमानों के साथ रहना , गुज़र -बसर करना एक बात है । यहाँ आप जिन्ना से फर्क हो सकते हैं । लेकिन उनके साथ मिलकर राज्य चलाना संभव नहीं है । यहाँ आपको जिन्ना की बात माननी पड़ेगी । क्योंकि वे हिन्दू सांस्कृतिक राज्य नहीं मानेंगे , यह तो अलग बात है ,वे लोकतंत्र के वैश्विक नियमों को भी नहीं चलने देंगे । राज्य के रूप में तो उन्हें सिर्फ इस्लाम चाहिए । यह दिक्कत है जो भारतीय राज्य के समक्ष दरपेश है । और इससे भी विकत बात यह है कि भारतीय राजनीति और बढ़ाकू बुद्धि जीवी इस ज़मीनी सत्य को स्वीकार ही नहीं कर रहे हैं , इसका निदान क्या ढूंढेंगे !
* इन्हें इस्लाम के अतिरिक्त किसी और कि जय करना मंज़ूर नहीं । अब हिन्दुस्तान तो जैसा सेकुलर है , वह है ही । यदि इसे इस्लामी राज्य घोषित कर दिया जाय तो देखिये इनसे बड़ा देशभक्त कोई क्या होगा !
* सुब्रमणियम स्वामी ने कहा तो है कि जो मुसलमान अपने पूर्व हिन्दुत्त्व को न माने उनसे वोट देने का अधिकार छीन लिया जाना चाहिए ।लेकिन यह कैसे व्यवहारिक होगा ? क्या सभी मुस्लिमों से कोई शपथ पत्र लिया जाना संभव है ? और वे लिख कर दे भी देन तो क्या फर्क पड़ जायगा ? किस पैमाने से नापेंगे उनकी आस्था ? इसकी अपेक्षा तो मेरा ही सुझाव बेहतर है कि पूरा हिन्दुस्तान केवल दलितों को वोट करे । मुसलमान भी सहमत हों और भाजपाई हिन्दू भी । दलित तो सबसे पुराने हिन्दू हैं न स्वामी जी ? फिर क्या दिक्कत है ? मुसलमान वैसे भी छंट जायेंगे । #####
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भारतीय हिन्दी साहित्य मंच( http://bhartiyahindisahityamanch.blogspot.com )
हिन्दी की स्थापना तो बहुत पहले हो गई
थी मगर इसकी पहचान अधूरी अब
भी अधूरी है।
हिन्दी हमारी मातृभाषा है। मगर
क्या हम सही मायने मेँ हिन्दी का उपयोग
करते हैँ? नहीँ ना?
इस मंच की स्थापना हिन्दी को एक नई
दिशा देना चाहता है।
हम इस मंच के लिए कुछ
कवियोँ,कथाकारोँ एवं साहित्य के हर
विधाओँ से संबन्ध रखने वाले
लोगोँ का चुनाव इस मंच के सदस्योँ के रुप मेँ
करेँगे।
अगर आप इच्छुक होँ तो आप हमेँ कुछ
प्रश्नोँ के जवाब लिखकर
bhartiyahindisahityamanch@gmail.com
पर भेजेँ।
1. आपका नाम
2. आपका ब्लॉग पता (अगर हो)
3. आप साहित्य की किस विधा से संबन्ध
रखते हैँ?
4. आपका मोबाईल नंबर (महिला वर्ग के
लिए आवश्यक नहीँ)
5. और उस विधा का एक उदाहरण (जैसे
अगर आप कवि हैँ तो एक कविता)
सब्जेक्ट मेँ 'भारतीय हिन्दी साहित्य मंच
मे सदस्यता हेतु' लिखेँ।
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तुम्हारे बिना
* [कवितायेँ ]
१ - तुम्हारे बिना
अब तुम्हारे बिना
मेरा जी नहीं लगता कही ।
अब इस बात को
मैं कविता बनाकर
नहीं कह सकता ,
कविता बनानी ही आती तो
मैं जी न गया होता
तुम्हारे बिना !
जी नहीं पा रहा हूँ मैं
तुम्हारे बिना । #
२ - बदनाम होने का क्या
वह तो किसी भी कामपर
हो सकते हो ,
अच्छा काम करने पर भी । #
३ - मानो तो देव
नहीं तो पत्थर ,
किसी ने आज तक
उसे पत्थर माना हो
तो बताइए ! #
४ - मैं मिट्टी हूँ
मैं आकार में हूँ ।
यदि तुम मिट्टी की मूर्ति से
शिला - अहिल्या से
प्यार कर सको तो
मेरे पास आओ
मैं तुम्हे स्वीकार करूंगी
लेकिन तुम
मिट्टी की तरह नहीं
एक मनुष्य की तरह
मुझे प्यार करो । #
५ - मै हूँ तुम्हारे
बुरे दिनों का साथी
तुम्हारी ख़ुशी का
मैं हिस्सेदार नहीं ।
खुदा करे -
न बुरे दिवस आयें
तुम्हारे पास
न मैं आऊँ । ##
######
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मास्टर साहब - डॉ नूतन डिमरी गैरोला
सर ! ..फीस तो सिर्फ पिच्चासी रूपये हैं … मैंने तो आपको पांच सौ रूपये का नोट दिया है … बाकी रूपये मुझे माँ को वापस करने हैं … प्लीज़ सर, वो रूपये मेरे लिए जरूरी हैं … पर मास्टर साहब जी थे कि कोई जवाब नहीं दे रहे थे और कॉपी चेक करने में तल्लीन थे … सुधीर अपने मास्टर साहब जी से विनती कर गिङगिङा रहा था, लेकिन गुरु जी के कानों में जूँ भी ना रेंक रही थी …. थकहार कर सुधीर स्टाफ रूम से बाहर निकला जहाँ उसके अन्य मित्र सुएब, रतन, देबोषीश,प्रांजल खड़े इन्तजार कर रहे थे … सुधीर को देख कर उनकी बांछे खिल आई ........
अमृतरस ब्लॉग से
मास्टर साहब - कहानी - डॉ नूतन डिमरी गैरोला
फोटो नेट से
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दुर्गा प्रतिमाओं को पंडाल तक पहुंचाने के काम शुरू
शंकर जालान
कोलकाता। महानगर और आसपास के इलाकों में वृहस्पतिवार को आसमान साफ होते ही दुर्गा प्रतिमाओं को पंडाल तक पहुंचाने के काम शुरू हो गया। बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण मूर्तिकारों व पंडाल बनाने में व्यस्त कारीगरों को परेशानी हो रही थी। वृहस्पतिवार से मौसम साफ होते ही मूर्तिकारों व पंडाल बनाने वाले कारीगरों ने राहत की सांस ली।
पंडालों के निर्माण में आई तेजी : बुधवार रात से बारिश थमने के बाद वृहस्पतिवार से पूजा पंडालों का निर्माण कार्य तेज हो गया। कारीगर निर्धारित समय पर पंडालों को तैयार करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। पूजा कमिटियां भी अब जल्द पंडाल निर्माण का काम पूरा करा लेना चाहती है। ध्यान रहे कि बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश का पूजा पंडाल के निर्माण पर विपरीत असर पड़ा था।
पूजा कमिटियों के सदस्यों ने बताया कि बारिश के समय पंडाल के निर्माण कार्य को रोकना पड़ा था। बारिश थमने के बाद अब तेजी से काम चल रहा है। आयोजकों के मुताबिक इनदिनों सजावटी सामग्रियों से पंडाल के भीतरी हिस्से की साज-सज्जा की जा रही है। कारीगरों ने बताया कि एक अक्तूबर की सुबह तक पंडाल को पूरी तरह से तैयार कर देना है, क्योंकि इसी दिन शाम से पूजा पंडालों के उद्घाटन का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
पंडालों की ओर चली दुर्गा : उत्तर कोलकाता स्थिथ कुम्हारटोली के मूर्तिकारों का गोला वृहस्पतिवार से खाली होना शुरू हो गया। आज बारिश थमने के बाद प्रतिमाओं को पंडाल की ओर जाने का सिलसिला शुरू हो गया। मूर्तिकारों ने बताया कि शनिवार दोपहर तक लगभग सभी मूर्तियां पंडालों तक पहुंच जाएंग। मालूम हो कि दर्जनों मूर्तिकारों के गोले में बीते चार-पांच महीने से बनाई जा रही देवी दुर्गा की प्रतिमा आज से विभिन्न पंडालों में पहुंचने लगी है। मूर्तिकारों का कहना है कि गोला से तो मूर्तियां पंडालों तक पहुंच गई, लेकिन प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने का काम अभी बाकी है। यह ऐसा काम है जो गोला में नहीं किया जा सकता। इसके अलावा एक चाल और एक प्लेट पर बनी प्रतिमाओं को जोड़ने और अंतिम रूप देने के लिए पंडालों में जाना पड़ता है। इसके अलावा साधारण मूर्तियों के हाथों में अस्त्र-शस्त्र देने के लिए हमें कारीगरों को भेजना पड़ता है। जो कुछ मूर्तियां अभी तक कुम्हारटोली में हैं, वे शनिवार दोपहर तक पंडालों में पहुंच जाएगी। मूर्तिकारों ने बताया कि दो-तीन दिन आराम करने के बाद वे काली प्रतिमा के निर्माण में जुट जाएंगे।
पूजा पंडालों का उद्घाटन : शुक्रवार को कई चर्चित पूजा पंडालों का उद्घाटन होगा। यूथ एसोसिएशन (मोहम्मद अली पार्क) के पूजा पंडाल का उद्घाटन राज्यपाल एमके नारायणन करेंगे। इस मौके पर कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे। वहीं, पाथुरियाघाट पांचेर पल्ली (पाथुरियाघाट स्ट्रीट), विधाननगर सीके-सीएल ब्लॉक रेसिडेंड एसोसिएशन (साल्टलेक) समेत कई पूजा पंडालों का उद्घाटन होगा। इससे पहले बुधवार रात जोधपुर पार्क 95 पल्ली के पूजा पंडाल का उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया। राममोहन सम्मिलनी के पूजा पंडाल का उद्घाटन उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने किया।
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विचारार्थ
१ - यह तो खैर मैं काल्पनिक अनुमान से कह सकता हूँ की प्रेम , सचमुच प्रेम , यदि उसमे कोई स्वार्थ न तुड़ा हो , तो एक समय में कईयों के साथ किया जा सकता है । #
२ - दलित हमारे पूज्य देवता हैं और मुसलमान हमारे सम्मानित अतिथि । इनका हर प्रकार से संरक्षण और पालन होना चाहिए । # ३ - कम्पूटर ज़रूरी होता जा रहा है । यह आज़ादी है या गुलामी ? # ४ - कष्ट यह है कि मुसलमानों के साथ बात भी नहीं हो सकती । संवाद नहीं हो सकता । शास्त्रार्थ , वाद -विवाद की बात तो छोड़ ही दीजिये । # ५ - मंदिर छोटा होना चाहिए । दिल [का मंदिर ] बड़ा होना चाहिए । # ६ - मैं कथक [नृत्य ] खूब देखता हूँ । मैं उसके शास्त्र के बारे में कुछ नहीं जानता , पर उसका लय -ताल मेरी शिराओं को थिर -सामान्य ,शांत -क्रम बद्ध कर देता है । इसकी तुलना मैं कम्पूटर के एक आपेरशन से करता हूँ । जैसे यफ - ५ बटन दबाने से वह सामान्य [नार्मलाइज] हो जाता है । #
७ - कहा जाता है - फलां का देहांत हो गया है । इसका क्या मतलब ? देह तो अभी रखा हुआ है , लोग उसे देखने आ रहे हैं ! फिर किसका अंत हुआ ? इसका मतलब देह ही आत्मा है - देहात्मा । जो अभी पड़ा है वह शरीर है । उसका अंत तब होगा जब उसे मिट्टी में दबा - या अग्नि में जला दिया जायगा।# ८ - बद तो अच्छा
बदनाम बुरा है
अच्छी नीति है ?
[हाइकु ] #####
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तीन कवितायेँ
* [कवितायेँ ]
१ - काम कर रहा हूँ तो
कुछ हो ही तो रहा है ,
कोई बैठा तो नहीं हूँ
हाथ पर हाथ धरे
कि कोई मेरा काम करे
या मुझसे प्यार ! #
२ - कवि तो वह जो
कविता में जिए
यह क्या कि साल में
एक कविता करके
कोई कवि बन जाये
चाहें वह कविता कितनी ही
साहित्यिक क्यों न हो ! #
३ - [हाइकु ]
यहाँ तो सब
बुद्धि का मामला है
कौन साथ दे ? #
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रस्सी में gaanth
* [कवितायेँ ]
१ - रस्सी में गाँठ कैसे लगती है ?
उसका एक सिरा अपने को ही लपेट कर
एक लूप बनाकर , उसमे घुसकर तन जाता है ,
और रस्सी में गाँठ लग जाती है ।
ऐसे ही जैसे ही , जितना ही ,
अपने आप में , अपने आप से एंठोगे ,
उतना ही तुम अपने को रस्सियों में बंधोगे
मन में गांठें लगाओगे ।
सरल रहो , सीधे रहो तो
कहाँ बंधन , कैसी गांठें ?
खुला , मुक्त रहो । #
२ - जैसे जैसे लोग
मेरी राह में
काँटा बोते जाते हैं
वैसे वैसे मैं
उन्हें राह से हटाने का
प्रयास करता जाता हूँ । #
######
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तुम्हारे आने से पहले
* [कविता ]
तुम्हारे आने से पहले ही
तुम्हें खिलाने पिलाने की
व्यवस्था पक्की है ,
दाल भिगो दिया गया है
नमकीन ,मिठाइयाँ बनकर तैयार हैं ,
बढ़िया बासमती चावल आ गया है
सब्जियों से फ्रिज भरा है और
मसालों से मसालों का डिब्बा
बस थोड़ी हरी धनिया की पत्ती आनी है
वह नुक्कड़ से फ़ौरन आ जायगी
जब तुम आओगे ।
तुन आओ तो सही ! #
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Said so -
* Humanism is a religion which is variously defined by human beings. #
* I support equality with a difference [ not ordinarily] .
मैं समानता का समर्थन एक अंतर के साथ कर्ता हूँ [साधारणता से नहीं ] । #
* मैं सोचता हूँ कह दूं कि मैं मरने के बाद भी कुछ अपने साथ लेकर जाऊँगा। वह होगी मेरी सभ्यता , मेरा शिष्टाचार । #
* आत्मा वह है जो आदमी के जिंदा रहने तक उसके शरीर में रहती है । मरने पर वह शरीर से निकल जाती है । वह अशांति रहती है । तभी तो उसकी शान्ति के लिए दुवाएँ की जाती हैं ! #
* हे हमारे दलित भाई , तुम दलित ही बने रहो । दलित बने रहोगे तो हम भी सवर्ण बने रहेंगे तुम्हारी तुलना में । तुम्हारे उलट , तुम्हारे प्रतिपक्ष में । तुम सामान्य साधारण मनुष्य , या अवर्ण -सवर्ण कुछ नहीं बनोगे तो हम सवर्ण कैसे बने रह पायेंगें ? इसलिए हे दलित भाई , तुम दलित बने रहो । इसमें तुम्हारी भलाई हो या नहीं , हमारी तो है ! #
* सुना है आप जाति छोड़ने जा रहे हैं । बड़ी अच्छी बात है । लेकिन ज़रा रुक जाइए । लड़के -लड़कियों की शादी हो जाने दीजिये ! #
########
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बुद्धिवादी सलीब
* [कविता ]
जब तुम खुद अपनी मूर्खताएँ
जीना बंद कर दोगे
तब हम तुम्हारी मूर्खताएं जियेगे ।
जब हिन्दू मूर्तिपूजा बंद कर देगा
आर्य समाजी यज्ञ करना बंद कर देंगे
बौद्ध बुद्ध को , जैन अपने तीर्थंकरों की
बात नहीं मानेंगे ,
ईसाई यीशु को परमात्मा क पुत्र और
मुस्लिम मोहम्मद को सन्देश वाहक
मानना बंद कर देंगे ,
तब मैं यह सब , इन सबको
मानना शुरू कर दूंगा ,
मैं इनमे से किसी को समाप्त
होने नहीं दूंगा , अपने धरोहर को ज़िदा ,
सुरक्षित रखने क ज़िम्मा मै उठाउँगा,
तुम्हारा सलीब मैं ढोऊंगा ।
तुम चलो अपने रास्ते
तुम बुद्धिवादी बनने में भय न खाओ ,
संकोच न करो , कहीं कुछ भी
बिगड़ने न पायेगा , निश्चिन्त - बेफिक्र रहो । #
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अंदाज ए मेरा: बुआ जी की विदाई
अंदाज ए मेरा: बुआ जी की विदाई: साहित्य वाचस्पति श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की द्वितीय कन्या श्रीमती सरस्वती देवी श्रीवास्तव का पिछले दिनों निधन हो गया। सरस्वत...
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29.9.11
राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़
व्यंग्य - गरीबी के झटके
देखिए, गरीबों को गरीबी के झटके सहने की आदत होती है या कहें कि वे गरीबी को अपने जीवन में अपना लेते हैं। पेट नहीं भरा, तब भी अपने मन को मारकर नींद ले लेते हैं। गरीबों को ‘एसी’ की भी जरूरत नहीं होती, उसे पैर फैलाने के लिए कुछ फीट जमीन मिल जाए, वह काफी होती है। गरीब, दिल से मान बैठा है कि अमीर ही उसका देवता है, चाहे जो भी कर ले, उसमें उसका बिगड़े या बने। गरीबी का नाम ही बेफिक्री है। फिक्र रहती है तो बस, दो जून रोटी की। रोज मिलने वाले झटके की परवाह कहां रहती है ?
गरीबों को झटके पर झटके लगते हैं। गरीबी, महंगाई के बाद, अब भ्रष्टाचार से झटके लग रहे हैं। गरीबों के हिस्से का पैसा अमीरों की तिजोरियों की शान बनता जा रहा है। अब तो इन पैसों ने अपना रूप भी बदल लिया है। कभी यह पैसा सफेद होता है, कभी काला। सफेदपोश अमीर अपनी मर्जी के हिसाब से पैसे का रंग बदलते रहता है। इतना जरूर है कि इन बीते सालों में न तो गरीबी का रंग बदला है और न ही गरीबों का। गरीबों की देश में इतनी अहमियत है कि ‘जनसंख्या यज्ञ’ में नाम शामिल होता है, मगर जब ‘योजना यज्ञ’ शुरू होता है, फिर उसमें ओहदेदारों की वर्दहस्त होती है। गरीब कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता। गरीबी, भीड़ तंत्र की महज हिस्सा बनती है और गरीब, सफ ेदपोश अमीरों के लिए होता है, मजाक।
देश से गरीबी हटाने के दावे होते हैं, मगर गरीबी पर तंत्र हावी नजर आता है। जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उसी गति से गरीबी भी बढ़ी है। देश में गरीबी के साथ अब हर क्षेत्र में उत्तरोतर प्रगति हो रही है। देश में महंगाई बढ़ रही है। कोई भी भ्रष्टाचार करने में पीछे नहीं है। दुनिया में हम नाम कमा रहे हैं। भ्रष्टों की उच्चतम श्रेणी में कतारबद्ध हैं, जैसे कोई तमगा मिलने वाला है। सरकार ने जैसे ठान ही ली है कि देश से गरीबी खत्म की जाएगी। भले ही सही मायने में ऐसा न हो, मगर कागजों में हर बात संभव होती है। जैसा सोच लिया, वैसा हो जाता है। यही कारण है कि गरीबों की आमदनी पर भी नजर पड़ गई है। भूखे पेट की चिंता करने वाले गरीबों को इस बात का अब डर लगा रहता है कि कहीं उसके घर आयकर का छापा न पड़ जाए। सरकार ने आय निश्चित की है, उसके बाद बहुतो गरीब, अमीरों की श्रेणी में गया है। यह भी कम उपलब्धि की बात नहीं है कि रातों-रात व एक ही निर्णय से, देश से गरीबी कम हो गई और गरीबों को काफी हद तक अस्तित्व मिट गया।
भ्रष्टाचार और गरीबी में अब तो छत्तीस का आंकड़ा हो गया है। भ्रष्टाचार कहता है, वो जो चाहेगा, करेगा, जिसको जो बिगाड़ना है, बिगाड़ ले। ज्यादा से ज्यादा ‘तिहाड़’ ही तो जाना पड़ेगा। वहां भी मजा ही मजा है। ऐश की पूरी सुविधा। बाहर इतराने को मिलता है तथा लोगों का कोपभाजन बनना पड़ता है। लोग रोज-रोज किरकिरी करते हैं। भ्रष्टाचार कहता है, अब तो पूरा मन लिया है कि गरीबी हटे चाहे मत हटे, गरीबों का भला हो या न हो, इससे उसे कोई मतलब नहीं। बस, सफेदपोशों की तिजारियां भरनी है और अंदर जाने वालों का पूरा साथ देना है। उसके कुछ साथी, जरूर तिहाड़ की शोभा बढ़ा रहे हैं, इससे उसका शुरूरी मन टूटने वाला नहीं है। वह इतराते हुए कहता है कि उसकी करामात का रहस्य की परत पूरी तरह खुलना बाकी है। जो कुछ दिख रहा है, वह कुछ भी नहीं है, केवल आंखों का ओझलपन है। जिस दिन वह खुलासा कर देगा, उस दिन देश में भूचाल आ जाएगा। भ्रष्टाचार दंभ भरता है, उसी के कारण महंगाई इतरा रही है और गरीबी से इसीलिए उसका बैर भी है।
वैसे भी गरीबी तथा गरीबों ने अब तक किसी का कुछ बिगाड़ पाया है। इस तरह मेरा कौन सा बिगड़ जाएगा। गरीबों को झटके खाने का शौक है, वह उसी में खुश रहता है। जब मैंने थोड़ा झटका दिया है, इससे न तो गरीबी को बुरा लगना चाहिए और न ही गरीबों को। गरीबों को जोर का झटका भी धीरे से लगता है, तभी तो बिना ‘उफ’ किए सब सहन कर जाते हैं।
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हाय, शहर का जीवन कैसा दुर्गम और दुश्वार है
कदम कदम पे पंगा है,हर शख्स यहां लाचार है
दो पैसे की खातिर बुनते झूठ का तानाबाना सब
नहीं किसी से नाता भइया,सब रिश्ता बाजार है
कुंवर प्रीतम
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जो मैंने की इबादत डूबकर उनकी तो हंगामा
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पूजा परिक्रमा : उलट कर देखो की थीम पर पाथुरियाघाट की दुर्गापूजा
शंकर जालान
कोलकाता। उलट कर देखो बदल गया कि थीम पर इस बार उत्तर कोलकाता
में पाथुरियाघाट पांचेरपल्ली सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति ने पूजा आयोजित
करने का मन बनाया है। समिति के सदस्यों का कहना है कि लगभग सभी पूजा
कमिटियां दर्शकों से यह अनुरोध करती है कि पंडाल में लगे सजावटी सामग्री
को हाथ न लगाए और पंडाल में कई स्थानों पर डोंट टच का बोर्ड लगा रहता है,
लेकिन हमारी समिति इसे विपरीच काम कर रही है। समिति के मुताबिक उनके
पंडाल में आए लोग देखने के साथ-साथ पंडाल को छू कर देख भी सकते हैं।
समिति के एक सदस्य तपन मुखर्जी ने बताया कि पंडाल के आस-पास सैकड़ों की
संख्या में ऐसी फ्रेम लगी होगी, जिसे दर्शक न केवल छू सकते हैं, बल्कि
उटल भी सकते हैं। मजे की बात यह है कि फ्रेम के उटलते ही उसका रंग और
आकृति बदल जाएगी। उन्होंने बताया कि सोमनाथ मुखर्जी के परिकल्पना को
साकार करने में डेकोरेटर के कारगीर, मूर्तिकार और बिजली सज्जा वाले
तन्मयता से लगे हैं।
उन्होंने बताया कि बीते 72 सालों से यहां पूजा आयोजित होती आ रही है,
लेकिन बीते दस-बारह सालों में पाथुरियाघाट पांचेरपल्ली की पूजा ने जो
ख्याति अर्जित की उसके बलबूते यह पूजा महानगर की गिनी-चुनी पूजा में
शुमार हो गई।
उन्होंने बताया कि बीते साल यानी 2010 में दक्षिण भारतीय संगीत की थीम पर
पूजा आयोजित की गई थी। इससे पहले 2009 में सुतानटी केंद्रित पंडाल, 2008
में माचिस की डिब्बी व तिल्ली का पंडाल काफी चर्चित हुआ था। वहीं,
मिट््टी, रस्सी, चावल-दाल, पाट, पुराने अखबार, पुराने कार्टुन, पत्थर के
टुकड़े और गमछों से बना पंडाल को देखने भी भारी संख्या में दर्शक
पाथुरियाघाट पहुंचे थे।
एक अन्य सदस्य ने बताया कि समिति को एशियन पेंट, श्रीलेदर, प्रतिदिन,
एमपी बिड़ला, स्टेट्समैन, कोलकाता पुलिस, रोटरी क्लब, ईटीवी समेत कई
संगठनों की ओर से बेहतर पंडाल और प्रतिमा के लिए सम्मानित किया जा चुका
है। उन्होंने इस बार की थीम के बारे में बताया कि पंडाल दर्शनीय होगा और
इसी से मेल खाती प्रतिमा व बिजली सज्जा होगी। उन्होंने बताया कि पंडाल और
प्रतिमा को हम साल-दर-साल बेहतर बनाने की कोशिश में जुटे रहते हैं, लेकिन
स्थानाभाव के कारण हमारे पास बिजली सज्जा के लिए अधिक संभावनाएं नहीं है।
उन्होंने बताया को सोमा इलेक्ट्रिक के कारीगर बिजली सज्जा को इंद्रधनुषी
बनाने में जुटे हैं।
उन्होंने बताया कि साढ़े सात लाख के बजट वाले पाथुरियाघाट के पूजा पंडाल
का उद्घाटन 30 सितंबर को कई जानेमाने लोगों की मौजूदगी में होगा और सात
अक्तूबर को प्रतिमा को विसर्जित किया जाएगा।
छोटे बजट की बड़ी पूजा : हावड़ा जिले के शिवपुर इलाके में आयोजित होने वाली
रामकृष्णपुर पल्ली एथलीट क्लब के दुर्गापूजा छोटे बजट की बड़ी पूजा के रूप
में जानी जाती है। बीते 12 सालों से यहां पूजा आयोजित हो रही है। पांच
दिवसीय दुर्गोत्सव के दौरान पूजा पंडाल में विविध प्रकार के धार्मिक व
सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। क्लब और ओर से अध्यक्ष
धर्मपाल निगानिया और कार्यकारी अध्यक्ष रमेश मुरारका ने बताया कि गोपी
डेकोरेटर को पंडाल, कार्तिक पाल को प्रतिमा और अनवर इलेक्ट्रिक को बिजली
सज्जा की जिम्मेवारी दी गई है। आयोजकों के मुताबिक दो अक्तूबर को पूजा
पंडाल का उद्घाटन और छह अक्तूबर को प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।
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रक्त रंजित आँसू - FACE BOOK`S TRUE STORY
रक्त रंजित आँसू - FACE BOOK`S TRUE STORY
Posted by Markand Dave 0 comments
Labels: FACE BOOK, MARKAND DAVE, TRUE STORY, अमेरिका, आंसू, कथा, रक्त, सत्य घटना
पंचायती राज व्यस्था असफल होने का जीता जागता उदहारण
पंचायती राज व्यस्था के असफल होने का जीता जागता उदहारण
मुंडी बाई |
मुंडी बाई का घर एवं बच्चे |
दूसरी बार जनपद सदस्य बनने के बाद बाराती को क्षेत्र के लोगो ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया था और उसे रीठी से अपने गाँव तक लेकर आये थे.
सदस्य बनने के बाद वह प्रतिदिन रीठी जनपद कार्यालय जो उसके घर से बीस किलोमीटर दूर है जाता था और अपने क्षेत्र में विकास के लिए जनपद सी ई ओ से गिडगिडाता रहा.
उसने जनपद में होने वाली सभी मीटिंग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जो की जनपद सी ई ओ रीठी ने ली. बाराती ने बताया की मैंने अपने क्षेत्र के लोगो की मागो के लिए जनपद से लेकर जिला सी ई ओ तथा कलेक्टर तक दौड़ लगाईं लेकिन कोई फायदा न हुआ.
बाराती कोल अपनी साईकिल दुकान पर |
पंचर सुधारते हु बाराती |
अपने चुनाव जीतने के लिए बाराती ने अपने रिश्तेदारों से कर्ज लिया था जिसे वह आज तक चूका रहा है. जब लोग उससे क्षेत्र में विकास कराने की बात करते है तो वह कहता है की आप जनपद सी ई ओ से संपर्क करे जो अपनी मन मर्जी से काम करने के लिए जाने जाते है और उनकी कोई बात नहीं सुनते है .
आज सबको पता है की पंचायती राज सिस्टम एक छलावा है, बराती ने कहा, यह तो केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए है जो हर एक काम सेंक्सन करने के लिए कमीशन लेते है. इनका फिक्स कमीशन होता है बगैर कमीशन के कोई काम ही नहीं होते.
बाराती ने बताया की वह अपनी दो एकड़ खेती से घर चलाता है और अपने मतदाताओ से संपर्क में रहता है क्योकि उसके अधिकांस मतदाता साइकिल का प्रयोग करते है.
इसी प्रकार मुंडी बाई कोल जो की बाराती के साथ ही जनपद सदस्य चुनी गयी अब वह भी इस तंत्र से तंग आ चुकी है. आदिवासी महिला इन दिनों रैपुरा के पास बनने वाली एक चिमनी फेक्टरी में दिहाड़ी का काम कर रही है मुंडी को लगता है की वह जनपद की कोई भी मीटिंग में न जाए क्योकि इन मीटिंग का कोई भी अर्थ नहीं निकलता है.
मुंडी बाई ने बताया की उसके पास स्वयं का घर भी नहीं है और न ही खेती है. मुंडीबाई ने बताया की यदि मै और मेरा पति एक हफ्ता तक काम न करे तो फिर हमें रोटी के लाले पड़ जाते है. मुंडी बाई का पति कटनी में मिस्त्री के रूप में मजदूरी करता है. कमाल की बात तो यह है इस जनपद सदस्य का आज तक बी पी एल का कार्ड भी नहीं बनाया गया जबकि उसने कई बार आवेदन दिया.
बाराती की तरह मुंडी बाई भी अपने जनपद सदस्य के पद से संतुष्ट नहीं है. मुंडी बाई ने कहा की मै पंचायती राज व्यस्था के जमीनी स्तर पर असफल होने का जीता जागता उदहारण हूँ .
मुंडी बाई का घर |
बाराती कोल अपने घर में |
Posted by sahaj express 1 comments
कलेक्टर ने टोपी पहनने से किया इनकार
क्या है मामला
टोपी का यह मामला दरअसल तब शुरू हुआ तब कलेक्टर से मिलने इंडिया अगेंस्ट करप्शन ग्रुप के लोग पहुचे इन लोगो ने पहले तो यहाँ एक ज्ञापन दिया आठ ही कलेक्टर को टोपी भी भेट की जिसे उन्होंने लेने से इनकार कर दिया. यही नहीं इंडिया अगेंस्ट करप्शन ग्रुप के सदस्य धरने पर बैठ गए.
नहीं दी जा सकती अनुमति
इस मसले पर कलेक्टर एम् सेल्वेंद्रण ने कहा की ग्रुप के कुछ लोग उनसे मिलने आये थे. ग्रुप के सदस्य विभाग प्रमुखों को टोपी भेट करना चाहते थे. लेकिन सरकारी नियमो के कारण इस तरह की अनुमति नही दी जा सकती. सदस्यों को बताया गया की विभागों में अधिकारी से मिलने अथवा बात करने या ज्ञापन देने पर कोई पाबन्दी नहीं लेकिन टोपी आदि भेट कर्णकरने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
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plitical dairy of seoni disst. of M.P.
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गाँव-टोला: रिक्शा विज्ञापन वाला....
गाँव-टोला: रिक्शा विज्ञापन वाला....: हमरी फोटो छाप के का करियेगा? नगीना बुधवार, २८ सितम्बर को रिपोर्टिंग के लिए निकला, हमारी तनख्वाह से ही काट कर नवरात्रि पर आज ही बोनस...
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कुंवर प्रीतम
हमको तो लगता नहीं,तुमको लगे तो लगे
हमको ठग सकते नहीं,तुम ठगे तो ठगे
दीप बुझाकर देश की आशा और उम्मीदों के
दिल्ली चैन से सो रही, जनता जगे तो जगे
कुंवर प्रीतम
आओ सुनाऊं गीत प्रीत का,नेह से इसका नाता है
ये हमको भी भाता है और ये तुमको भी भाता है
प्यार,मोहब्बत और चाहत के भाव भरे हैं शब्दों में
तन्हाई में गीत हमारा छिप-छिप हर दिल गाता है
कुंवर प्रीतम
अम्बे, रहमतें तेरी कभी क्या पा नहीं सकता
मेरा दिल गीत खुशियों के कभी क्या गा नहीं सकता
तुम्हारे आगमन से हो रहा उनका हृदय रौशन
गरीबों पे तुम्हारा दिल कभी क्या आ नहीं सकता
कुंवर प्रीतम
नौराते आ गए मैय्या,धरा पर आज आयी हैं
सुना भक्तों की खातिर मां,कुछ न कुछ तो लायी हैं
अमीरों के घरों में रोशनी पर रोशनी अम्बे
गरीबों को मगर देने,भवानी क्या क्या लायी है
कुंवर प्रीतम
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28.9.11
BUSINESS PARTNER NEEDED IN INDIA''
Compliment,
I got your contact from a business directory and I decided to contact you for a business proposal with my company.
My company is into manufacturing of pharmaceutical materials.
There is a raw material which my company used to send me to India to buy. Right now I have being promoted to the post of manager hence my company cannot send me to India again to buy the materials because of my new position as a manager.
The director of my company has asked me for the contact of the supplier in India.
But I refused to give it to him. Why I don't want the company to have direct contact of the local dealer is because I don't want the company to know the actual price I was buying the product from the local dealer.
I need a person I will present to the company as the supplier in India.
You will now buy the product from the local dealer and supply to my company.
The profit would be shared between you and me. If you agree to do the supply,I will tell you at what rate you will sell it to my company.
If you are interested kindly contact me for more details through this
email id: JamesBrown94@live.com
Thanks!
Mr James Brown
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बाराबंकी जिला पंचायत में पत्रकारों की बैठक संपन्न
बाराबंकी जिला पंचायत में पत्रकारों की बैठक संपन्न पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जनपद बाराबंकी के पत्रकारों की बैठक आज ११बजे से जिला पंचायत सभागार में शुरु हुई| आज आहूत पत्रकारों की बैठक में पत्रकारिता के नाम पे किये जा रहे दुष्कर्मो और व्यावसायिक कार्यो के लिए वाहनों पे प्रेस लिखने पर प्रतिबन्ध लगाने के विषय पे चर्चा हुई| बैठक की अध्यक्षता जनपद के वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर शुक्ल , संचालन लखन लाल मौर्या, आयोजन तारिक किदवई ने किया | बैठक की भूमिका प्रस्तुत करते हुये मो अतहर ने आये हुये सभी पत्रकार साथियो से अपनी अपनी राय इन बिन्दुओ पे रखने की अपील की| इन बिन्दुओ पर दीपक निर्भय,देवेन्द्र मिश्र,दिलीप श्रीवास्तव,मो शाबिर, सईद , मो रईस कादिरी , प्रदीप सारंग , के पी तिवारी, शोभित मिश्र ने अपने अपने विचार रखे | सभी पत्रकार बंधुओ की वार्ता में यह निष्कर्ष निकाला गया कि पत्रकारिता की गरिमा ,आपसी एकता को बनाये रखना और जन सरोकार को अपनी कलम से लिखते रहना - दिखाना हमारी अपनी जिम्मेदारी है | व्यवसायिक वाहनों पे, गैर पत्रकारों के वाहनों पे प्रेस लिखे जाने की निंदा करते हुये बैठक में इस प्रकार के वाहनों के चित्र व खबरे प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया |आज की बैठक में नीरज श्रीवास्तव ,मो हनीफ ,सैफ मुख़्तार ,रत्नेश कुमार , गिरीश चन्द्र , आशु श्रीवास्तव ,वीरेन्द्र सैनी ,ऐ के श्रीवास्तव ,हरी प्रसाद श्रीवास्तव ,एनामुल हक ,संजय शर्मा ,उमा कान्त बाजपेयी ,राम कुमार बाजपेयी , रिकज कुमार,नुरुल हक ,ज्वाला सिंह यादव आदि पत्रकार मौजूद रहे |
Posted by अरविन्द विद्रोही 0 comments
सावधान मुख्य मंत्री...!!!
ऐसा लगता है प्रदेश सरकार में अबके प्रेस सलाहकार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह उन्हें ले डूबेगे जो चुनिन्दा संपादको से प्रेस वाटर के बाद बेकफुट पर आ गए.
भूपेन्द्र गौतम जो पहले इंदौर में पदस्थ थे वे मुख्यमंत्री के नजदीक आने के हर तरह के हथकंडे पहले से ही अपनाते रहे है पूर्व में जहा वे पदस्थ थे वहा भी सी एम् की खबरों वाले अखबारों को सी एम् को दिखाने से नहीं चूकते थे. अंततः अपनी चाटुकारिता के चलते वे सी एम् कार्यालय पहुच ही गए.
अब लगता है वे शिवराज सिंह को ले डूबेगे...?
भूपेन्द्र गौतम कार्यक्रमों में सी एम् से अपनी नजदीकिया दिखाने के लिए जानबूझकर बार-बार कान में जाकर कुछ कहते है. दरअसल वह भीड़ को यह बताना चाहते है की मुख्यमंत्री के एक मात्र वही नजदीक है. उनकी इस हरकत से समूचा सचिवालय और जनसंपर्क परेशान है.
इनको न तो समाचारों की समझ है और न ही भोपाल के पत्रकारों की पहचान. मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का जनसंपर्क कार्यालय कुछ इसी गैरजिम्मेदार अंदाज में इस समय चलाया जा रहा है.
अगर राकेश श्रीवास्तव की बात करे तो वे भी उद्योग विभाग में उद्यमिता करके आई ऐ एस बने है और इसके पहले इन्दोर कलेक्टर रहे
इन्ही दोनों ने मिलकर भोपाल के बीस पत्रकारों की सूची बनायी और प्रमुख पत्रकारों को छोड़ दिया.
इस कार्यक्रम में बड़े पत्रकारों के अलावा बड़े वाले पत्रकारों को ही बुलाया गया.
पत्रकारों के साथ इस भेदभाव से उनमे असंतोष है. जब सी पी आर महोदय से फ़ोन पर बात करने की कोशिश की गयी तो वे अपना मोबाइल स्विच आफ किये हुए थे.
इस सम्बन्ध में एक पत्रकार अखिलेश उपाध्याय ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगी है जिसमे निम्न सवाल पूछे गए है -
1 राज्यपाल महोदय के सम्मान में आयोजित भोज में कुल कितने लोगो को आमंत्रण दिया गया और इसमें कितने लोग पहुचे ?
2 भोपाल के पत्रकारों की सूची किसने तय की ?
3 इस कार्यक्रम में कुल कितना खर्च हुआ ?
अमूमन अब तक की परंपरा में सभी श्रेष्ठ पत्रकारों को बुलाया जाता रहा है जबकि इसमें टाईम्स आफ इंडिया और दैनिक भास्कर जैसे समूह के पत्रकारों और एनी बड़े बेनर के खबरचियो को भी नहीं बुलाया गया.
अब जब प्रश्न उठ रहे है तो जनसंपर्क कमिश्नर फिर मुह लुकाते क्यों घूम रहे है ?
असल में भूपेन्द्र गौतम नाम के व्यक्ति को पता ही नहीं है की भोपाल में कितने पत्रकार है और किसे तवज्जो देना चाहिए किसे नहीं.
ऐसे में फिर ख़ाक मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का पी आर बनेगा ...? सी एम् के प्रेस अधिकारी पी आर बनाने की जगह बिगाड़ने पर तुले है और राज्यपाल के सम्मान में दिए गए इस भोज से आक्रोशित पत्रकार अगर अपनी पर आ गए तो शिवराज सरकार के लिए बहुत भारी पड़ेगा.
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इस्कॉन मंदिर में होंगे दुर्गा के दर्शन
शंकर जालान
कोलकाता। मध्य कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट स्थित कॉलेज स्क्वायर में 1948 से आयोजित हो रही दुर्गापूजा का पंडाल इस बार मायापुर स्थित इस्कॉन मंदिर की हू-ब-हू आकृति का होगा। अद्भूत पंडाल को बताने में सैकड़ों कारीगर बीते दो महीने से लगे हैं। कॉलेज स्क्वायर सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमिटी के वरिष्ठ सदस्य प्रभात सेन ने बताया कि इससे पहले जयपुर पैलेस, बंगलूरू का प्रशांति मंदिर, गुजरात का अक्षरधाम मंदिर, उत्तराखंड का लक्ष्मण झूला, पंजाब का स्वर्ण मंदिर, कनार्टक विधानसभा भवन और कूचबिहार की राजबाड़ी की शक्ल का पंडाल बनाया गया था।
उन्होंने बताया कि ये भव्य पंडाल न केवल चर्चित हुए थे, बल्कि इन पंडालों को देखने भारी तादाद में दर्शनार्थी भी आए थे।
सेन ने बताया कि कमिटी के पदाधिकारी और सदस्य डेकोरेटर को इस बात से भलीभांति अवगत करा देते हैं कि पंडाल की फिनिशिंग इतनी बेहतरीन होनी चाहिए कि लोगों को ऐसा महसूस न हो कि यह मूल मंदिर या इमारत नहीं बल्कि महज एक अस्थाई पंडाल है। उन्होंने बताया कि विराट व दर्शनीय पंडाल को बनाने में पाल डेकोरेटर के लोग बांस, तिरपाल, कपड़ा, प्लाईवुड और थर्माकोल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
प्रतिमा के बारे में उन्होंने बताया कि उल्टाडांगा के सनातन रूद्र पाल उनके पूजा पंडाल के लिए परंपरागत मूर्ति बनाने में व्यस्त हैं। सेन के मुताबिक कमिटी के सदस्यों का मत है कि मूर्ति को लेकर कोई प्रयोग नहीं किया जाए, इसलिए हमारे पंडाल में सालों से परंपरागत मूर्तियां ही लाई जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि शुरू से ही कॉलेज स्क्वायर की पूजा बेहतरीन व दर्शनीय आलोक सज्जा के लिए जानी जाती रही है। इस बार भी हुगली जिले के चंदननगर के कारीगर अपनी कार्य-कुशलता के मुताबिक इंद्रधनुषी रोशनी बिखेरेंगे। सेन ने बताया कि पूजा का कुल बजट करीब 35 लाख रुपए है और यह राशि चंदा और स्मारिका में प्रकाशित विज्ञापन के जरिए एकत्रिक की जाती है। इसके अलावा कई कंपनियां भी प्रयोजित करती हैं। उन्होंने बताया कि 30 सितंबर को राज्यपाल एमके नारायणन कॉलेज स्क्वायर के पूजा पंडाल का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर और कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे। आठ अक्तूबर को मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाएगा।
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नए हाइकु
* सोचते नहीं
या सोच नहीं पाते
जाने क्या बात ! #
* हम क्या करें ?
लोग सोचते नहीं
तो मैं क्या करूँ ? #
* कुछ कमी है
कुछ तो कमी है ही
धर्म संस्था में ! #
* आकर्षक हैं
क्योंकि गोपनीय हैं
वे कुछ अंग । #
* कुछ न कुछ
कुछ बात तो है ही
वह खफा हैं । #
* कविता ले लो
मुझे क्यों ले जाते हो
मंच की ओर ? #
* जितना खुश
होना चाहिए मुझे
उतना मै हूँ ,
जितना दुखी
होना चाहिए मुझे
उतना मैं हूँ । #
* साहित्यकार
क्या होता है , अगर
आदमी नहीं ! #
* मेरी बातों को
यूँ न टाल पाओगे
टालो तो देखो ! #
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ठग प्रेम
* प्रेम बहुत गहरे मन का ठग [फ्राड] है , इसलिए जल्दी पहचान में नहीं आता , जब तक कि आदमी बाह्य जीवन में वास्तव में ठगा नहीं जाता । #
* क्या साहित्य वही है जो लिखा जा रहा है , पुस्तकों में , पत्र - पत्रिकाओं में ? क्या ख़बरें वही हैं जो छप रही हैं अखबारों में ? गालियों , चौबारों , यात्राओं में , ढाबे - ढाबलियों पर , घरों में जो बातें हो रही हैं , साहित्य रचा जा रहा है , ख़बरें बन रही हैं , वे साहित्य नहीं हैं ? #
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