वन्दे मातरम दोस्तों,
चली चुनावी हवा, जनता को मूर्ख बनाते हैं,
चलो कुछ मानते नही, चलो कुछ भूल जाते हैं.........
जहर का कारोबार किया, माना की हमने अब तक,
शराब जाम में मिला, चलो अमृत बरसाते हैं...........
फूट का विष हमने बोया,अपना राज चलाने को,
दिखावे को ही सही, अमन के पेड़ लगाते हैं..........
मौत की मानिंद, सब कुछ बेहद सस्ता होगा,
अब की भूख से नही मरोगे, गरीबों को बतलाते है...........
हमसे गर कुछ गलत हुआ, माफ़ी दो मौका एक और,
भोली है जनता, चलो फिर से बरगलाते हैं............
नोटों की बारिस हो, गुंडों का हरपल हो साथ,
धन बल, बाहू बल, जैसे हो जनता को मनाते हैं........
ये चाले नही चली, तो फिर जीतने खातिर,
जाति, भाषा, मजहब की, शहर में आग लगाते हैं.........
चली चुनावी हवा, जनता को मूर्ख बनाते हैं,
चलो कुछ मानते नही, चलो कुछ भूल जाते हैं.........
जहर का कारोबार किया, माना की हमने अब तक,
शराब जाम में मिला, चलो अमृत बरसाते हैं...........
फूट का विष हमने बोया,अपना राज चलाने को,
दिखावे को ही सही, अमन के पेड़ लगाते हैं..........
मौत की मानिंद, सब कुछ बेहद सस्ता होगा,
अब की भूख से नही मरोगे, गरीबों को बतलाते है...........
हमसे गर कुछ गलत हुआ, माफ़ी दो मौका एक और,
भोली है जनता, चलो फिर से बरगलाते हैं............
नोटों की बारिस हो, गुंडों का हरपल हो साथ,
धन बल, बाहू बल, जैसे हो जनता को मनाते हैं........
ये चाले नही चली, तो फिर जीतने खातिर,
जाति, भाषा, मजहब की, शहर में आग लगाते हैं.........
1 comment:
बहुत अच्छा जी
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