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21.12.11

बिहार सरकार के अतीत को वर्तमान बना रही है केन्द्र सरकार।

दोस्तों, आपके दिलो-दिमाग में आज से लगभग छ: साल पहले के बिहार के बारे में कुछ भी याद होगा तो वो होगा वहाँ का कुशासन जिसके मुखिया हुआ करते थे यादव परिवार।अगर आपको लोकतंत्र की कमियों पर गौर करना हो अथवा किसी राज्य की जनता की मूर्खता पर तो आपको बिहार की लगभग छ: साल पहले की कुशासन सरकार से अच्छा कोई उदाहरण नहीं मिलेगा।उस समय तो ऐसा लगता ही नहीं था कि जनता ने उन्हें सरकार चलाने के लिए भेजा है और कभी भी जनता उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है बल्कि ऐसा लगता था जैसे साक्षात ईशवर ने उन्हें जीवन भर के लिए बिहार को सौंप दिया हो और पूरा का पूरा यादव परिवार टूट पड़ा बिहार को बर्बाद करने के लिए।वैसे इन सबमें बिहार की जनता भी उतनी ही दोषी थी जितनी की सरकार, आखिर इस सरकार को तीन बार चुनाव में विजय कराने का श्रेय भी तो बिहार की जनता को ही जाता है।
कुछ वैसी ही हालत वर्तमान में केन्द्र सरकार की नज़र आ रही है।जैसा जंगल राज रा॰ज॰द॰ की कुशासन सरकार ने फैला रखा था ठीक वैसा ही वर्तमान में केन्द्र सरकार ने फैला रखा है।वैसा ही कुशासन, वैसा ही भ्रष्टाचार, वैसी ही अशांति, वर्तमान के केन्द्र सरकार ने तो बिहार के अतीत की याद ताजा कर दी।केन्द्र सरकार वर्तमान में देश के समस्याओं का निदान न करते हुए एक अनिश्चितकालीन निद्रा में लीन हो गई है।कहने के लिए तो इस सरकार के सभी मंत्री बहुत ज्ञानी हैं लेकिन उस ज्ञान का क्या फायदा जो देश के काम ही न आए।ऐसा लगता है मानो इस सरकार के सभी मंत्री भूल गए हैं कि वो मंत्री भी हैं और उन पर अपने मंत्रालय की कुछ जिम्मेदारियाँ भी हैं और मंत्रीपद संभाल के महज एक औपचारिकता पूरी कर रहे हैं।सभी बस अपने-अपने मंत्रीपद बचाने के लिए अपने आका को खुश करने में लगे हुए हैं।इस सरकार के कई मंत्री तो इतने गुमनाम और विफल हैं कि खुद उन्हीं के मंत्रालय में उनकी कोई नहीं सुनता।हालिया उदाहरण रेल मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का है जहाँ ऐसे मंत्री को जिम्मेदारी दे दी गई जो इससे पहले के अपने मंत्रालय के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय से शिकायत भी कर चुके हैं कि उनकी वहाँ कोई नहीं सुनता।ये सरकार जनता को दिखाना चाहती है कि एक लोकतंत्र में भी तानाशाह सरकार हो सकती है।पर देखने वाली बात यह है कि जनता कब तक सबक लेती है।

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