सोन चिरैया तुम कहां हो........ ग्वालियर 17 दिसंबर। सोन चिरैया कहां है, है भी कि नही सोन चिरैया के नाम पर अब तक लगभग १५ करोड़ खर्च हो चुके है। परिणाम यह है कि सोन चिरैया कही दिखाई नही देती लेकिन जब जब वजब् की बारी आती है तो सोन चिरैया अवश्य दिख जाती है। पर मजे की तो बात यह है कि सोन चिरैया केवल विभागीय लोगो को ही दिखाई देती है। अन्य किसी को नही, प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन समय में घाटीगांव क्षेत्र में सोन चिरैया बहुतायत में थी इसी बात को दृष्टिगत रखकर विलुप्त प्राय: सोन चिरैया की प्रजाति को संरक्षण देने के उददेश्य से केन्द्र सरकार की पहल पर २० मार्च १९८१ को घाटीगांव क्षेत्र में सोन चिरैया अभ्यारण स्थापित किया गया। करीब ५१२ वर्ग कि.मी क्षेत्रफल में फैले इस अभ्यारण में कुछ भूमि वन विभाग की है तो कुछ राजस्व की भूमि भी शामिल है। वन विभाग का दावा है कि अंतिम बार सोन चिरैया को सितंबर २००९ में देखा गया था। अभी तक सोन चिरैया अभ्यारण के नाम पर वन विभाग करोड़ो रुपया फूंक चुका है। वही घाटीगांव के आस-पास बने गांव के लोग भी बेरोजगार हो गये है। इस अभ्यारण में प्रारंभिक दौर में कभी कभी सोन चिरैया नजर आती रही। अंतिम बार १४ सितम्बर २००९ को एक सोन चिरैया देखी गई थी जो अभ्यारण में घायल अवस्था में देखी गई थी जिसको घायल अवस्था में ही गांधी प्राएपी उघान को सौंप दी गई थी लेकिन उसी दिन उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद यहां एक बार भी सोन चिरैया नजर नही आई है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी १० जून को नीलमडांडा के पास पवा पावटा के जंगल में सोन चिरैया देखने का दावा ठोक रहे है। लेकिन उनके पास इसका कोई ठोस प्रमाण नही है। क्षेत्रीय ग्रामीणें की माने तो इस अभ्यारण में सोन चिरैया नाम की कोई चीज नही है।
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