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28.12.11

कौआ जीत गया .

कौआ जीत गया . 


एक जंगल में पीपल और बरगद के दौ पेड़ नदी के किनारे पास पास में लगे थे.एक पेड़ पर कौए रहते
थे और दुसरे पेड़ पर हंस ,बगुले ,बतख रहते थे .हंस स्वभाव से भले थे ,बतखें लालची थी और बगुले
धूर्त थे .कौओ ने जब एक समुदाय को अलग अलग मत के साथ देखा तो उन्होंने हंसो पर शासन
चलाने की सोची ,मगर उनके स्वार्थी स्वभाव ने सज्जन हंसों से हमेशा मात खायी थी .कौए मौके की
ताक में रहते थे जब उन्होंने हंस,बगुले और बतख के विचारों की भिन्नता को देखा तो हंसों को हराने
 की तिगडम लगायी.
     कौए संख्या में ४० थे,हंस ३५ ,बगुले १० ,और बतखे १५.  हंस,बगुले और बतख कुल मिलाकर ६०
 की संख्या में थे इसलिए हंस सदैव कौओ पर भारी पड़ते थे .कौओ के कुछ घाघ नेता बगुलों के पास
गये और बोले -"बगुला भैया, आप सभी हर दिन नदी के किनारे मछलियो के शिकार के कितनी
मेहनत करते हैं .सुबह से शाम तक पूरी लगन से एकाग्र चित होकर शिकार के लिए लगे रहते हैं .
हमारे पास एक योजना है जिस पर अमल करने से आपको भरण पोषण के लिए बहुत कम मेहनत
करनी पड़ेगी "

बगुले कौओ की बात सुनकर कौओ से  योजना पूछने लगे .कौओ ने कहा-"पीपल और बरगद के पेड़
 पर रहने वालो की सारी व्यवस्था के लिए एक मुखिया चुन लेते हैं .आप लोग हंसो को देखिये ,ये लम्बी
उड़ान भरकर मोती चुनते हैं और आप लोग जल के पक्षी होने के बाद भी बड़ी मुश्किल से पेट भर पा रहे
है यदि आप हमें अपना नेता चुन ले तो फिर हम आपके  भोजन के लिए ताजा मछलियों की व्यवस्था
हर दिन कर देंगे"
.
बगुलों ने कहा -"हम हंसो से बैर नहीं ले सकते"
 .
कौओ ने समझाया- "आपको  बैर नहीं लेना है.जिस दिन पेड़ों का नेता चुनेगें उस दिन आपको गायब
रहना है" . बगुलों ने कौओ की बात मान ली .
उसके बाद कौए बतखों के पास गए और बोले -प्यारी बतखो ,आप पेट भरने के कितनी मेहनत करती
 हैं यदि आप हम लोगो को नेता चुन लो तो आपके भोजन का प्रबंध हम कर देंगे ".बतखे लालच में आ
गयी और कौओ के समर्थन में हंसो का साथ नहीं देने का वादा कर लिया .अब कौए हंसों के पास गये
और बोले - "दादा,दोनों पेड़ो का मुखिया चुन लिया जाए ताकि सब आराम से रह सके" .

हंसो ने अपनी जाती बंधुओ की संख्या जोड़ कर नेता चुनने की हामी भर दी .

निश्चित दिन पर नेता चुना जाना था .जिस दिन नेता चुनने का समय आया तो बगुले गायब हो गये.
कौए,हंस और बतखे नेता चुनने में लग गये .चुनाव के लिए एक हंस और एक कौआ उम्मीदवार के
रूप में खड़े थे .हंसो को भरोसा था बतखे इन्ही के पक्ष में रहेगी मगर बतखो ने कहा-"हंस दादा और
कौए भैया हमारे लिए तो दोनों ही अच्छे हैं इसलिए हम किसी के पक्ष या विपक्ष में नहीं जाना चाहती
हैं और ना ही हम चुनाव में मत देंगी ".
अब तो चुनाव में हंस और कौए ही बचे थे .इन दोनों के बीच में मतदान हुआ और हंस हार गये .
                  

1 comment:

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' said...

ये संसदीय लोकतंत्र है |