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28.12.11

बाबूघाट पहुंचने लगे साधु

शंकर जालान


मकर संक्रांति के मौके पर गंगासागर स्नान के लिए देश के विभिन्न राज्यों से साधु-संत बाबूघाट पहुंचने लगे हैं। मंगलवार दोपहर तक करीब एक दर्जन साधुओं ने बाबूघाट के आसापस अपना डेरा जमा लिया था। उत्तराखंड के बद्रीनाथ से आए 8१ साल के बद्री विशाल बाबा अपनी लंबी और भारी जटा के लिए जाने जाते हैं। बाबा की भारी भरकम जटा भले ही नकली हो, लेकिन उसका असली है। बाबा ने बताया कि वे हर साल मकर संक्रांति के मौके पर गंगासागर जाने से पहले आउट्रमघाट पर दो-तीन सप्ताह पहले डेरा अवश्य डालते हैं। इसके अलावा वर्षों से कुंभ और अर्द्ध कुंभ में भी जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका वजन 63 किलो है और उनकी जटा का वजन साढे नौ किलो। इसी तरह उनकी लंबाई है पांच फीट तीन इंच है और उनके केश की लंबाई सात फीट। इतनी लंबी और भारी जटा के कारण आपको परेशानी नहीं होती? इसके जवाब में उन्होंने कहा- बिल्कुल नहीं, क्योंकि दिक्कत तो तब होती जब एकाएक इतना वजन माथे पर रखा जाता हो, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है, क्योंकि जब से मैंने होश संभाला है, तब से केश नहीं कटाए। यह वजन धीरे-धीरे बढ़ा है और मेरी आदत में शुमार हो गया है। इतने लंबे व भारी केश की साफ-सफाई और कंघी कैसे करते हैं? इस सवाल के जवाब देने से पहले बाबा खिलखिला कर हंसे और कहा- मैं खुद ही दो-चार दिन में एक बार स्नान करता हूं। रही बात केश सफाई की तो साल-छह महीने में करता हूं। हां कंघी एक-दो दिन बाद कर लेता हूं ताकि केश उलझे नहीं। उन्होंने बताया कि वे मंगलवार की सुबह यहां आएं है और वृहस्पतिवार या शुक्रवार को तारापीठ जाएंगे, वहां से लौट कर उनका तारकेश्वर व मायापुर जाने का मन है। कई तीर्थस्थलों के दौरे के बाद वे नौ जनवरी तक फिर बाबूघाट पहुंचेगे और ११ जनवरी को सागरद्वीप के लिए रवाना होंगे। बाबा ने कहा- लोग उन्हें बद्री विशाल के नाम से कम और जटाधारी बाबा के नाम से अधिक जानते हैं।
मंगलवार को कई साधु-संत धुनी रमाए देखे गए। दिल्ली से आए विजयेंद्र बाबा को देखने के लिए लोगों की भीड़ रही है, क्योंकि बाबा रह-रहकर एक पांव पर खड़े होकर लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। बाबा इसे एक प्रकार की साधना मानते हैं और लोक कल्याण के लिए बीते आठ सालों से कुंभ आदि मेले के दौरान ऐसा ही करते आ रहे हैं। गोरखपुर से आईं महिला संन्यासिनी विद्यादेवी के भीड़ देखी गई। १५ वर्षीय विद्यादेवी यहां पहुंचे साधुओं में सबसे छोटी होने का साथ महिला संन्यासिनी हैं। सफेद वस्त्र, सफेद चूड़ी, सफेद बिंदिया और सफेद माला पहनी विद्यादेवी लोगों को आशीर्वाद देने के बाद राख का तिलक लगा रही हैं।

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