दोस्तों, आपको क्या लगता है कि आजकल देश कौन चला रहा है?क्या देश में सरकार
नाम की कोई चीज है?क्या सरकार ऐसा कोई भी काम कर रही है जो इस बात को
प्रमाणित कर सके कि सचमुच जनता ने देश को संभालने की बागडोर उनके हाथ सौंपी
है?मुझे तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वर्तमान में देश में कोई सरकार भी
है। ऐसा लगता ही नहीं कि देश को संभालने की जिम्मेदारी किसी नेता के पास है
भी या नहीं।नेता तो दूर की बात है, ऐसा लगता ही नहीं कि वर्तमान में देश
में कोई प्रधानमंत्री भी है।ऐसा लगता ही नहीं की देश में कोई राष्ट्रपति भी
है।ऐसा लगता है मानो सभी जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्ति सिर्फ अपने निजी
स्वार्थ के लिए ही जी रहे हैं और देश भगवान भरोसे चल रहा है।
दोस्तों, कहने के लिए तो देश के प्रधानमंत्री हैं डॉ मनमोहन सिंह पर सच्चाई इससे कोसों दूर है।प्रधानमंत्री पूरी सरकार के मुखिया होते हैं।उनका फर्ज है कि वो विभिन्न मंत्रालयों और विभिन्न मंत्रियों पर अपनी पैनी नजर रखे और ऐसी सभी खामियों को दूर करे जो देश के विकास में रुकावट डाल रहा हो।पर यहाँ तो ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री महोदय इतने लाचार हैं कि कुछ नेता ही उनके काम-काज पर अपनी पैनी नजर रखे हैं।कुछ ऐसे नेता हैं जो कि खुद को प्रधानमंत्री से भी ऊपर समझते हैं।प्रधानमंत्री को कांग्रेस पार्टी मुखौटे की तरह इस्तेमाल कर रही है।जब भी उन पर सवाल खड़े किए जाते हैं तो कांग्रेस झट से प्रधानमंत्री को ईमानदारी का मुखौटा पहना देती है।प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भले ही एक ईमानदार व्यक्ति हो लेकिन वर्तमान में जो देश की हालत है वह एक ईमानदार व्यक्तित्व की पहचान बिल्कुल भी नहीं है।क्या एक ईमानदार छवि की पहचान वर्तमान में देश में फैली महँगाई और चरम-सीमा पर पहुँचा भ्रष्टाचार ही है?भले ही प्रधानमंत्री खुद भ्रष्टाचारी नहीं हैं पर भ्रष्टाचारियों का साथ देना और उनके हाँ में हाँ मिलाना भी भ्रष्टाचार करने के ही बराबर है।एक ईमानदार व्यक्ति का फर्ज सिर्फ खुद को भ्रष्टाचार के दलदल से बचाए रखना नहीं है बल्कि जो भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे हैं, उन्हें भी या तो सहारा देकर उससे निकालना है या फिर उन्हें उस दलदल में डूबो देना है, ऐसा डूबोना है कि उस दलदल से निकलने के बाद भी लाख धोने से भी उन पर लगी कीचड़ मिटने न पाए। मनमोहन सिंह के सरकार में भ्रष्टाचार को और भ्रष्टाचारियों को खुली छूट मिली हुई है।जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी है उसकी इस सरकार में उतनी ही ज्यादा महत्वता है।और जो भी थोड़े-बहुत ईमानदार हैं इस सरकार में उनकी कोई नहीं सुनता है।भ्रष्टाचारियों का बोलबाला है इस सरकार में जिस पर खुद प्रधानमंत्री का भी कोई बस नहीं है।ये देश के इतिहास में ऐसा पहला मौका है जब देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला जो कि ईमानदार है, पढ़ा-लिखा है, काबिल भी है पर तब भी देश में प्रधानमंत्री के रूप में अपनी मौजूदगी तक दर्ज कराने में असफल रहा है।जो हालत बिना कप्तान के एक क्रिकेट टीम की होती है वही हालत अभी मौजूदा सरकार की है।
इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भी कुछ कम नहीं हैं।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में वो भी ऐसी पहली अध्यक्ष हैं जो कि देश में अपनी मौजूदगी तक दर्ज कराने में असफल रहीं हो।देश में बड़ा से बड़ा घटना घट जाता है लेकिन माननीय कांग्रेस अध्यक्षा कुछ भी बोल कर देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना मुनासिब नहीं समझती।उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि वो पहले अपने क्षेत्रीय जनता द्वारा चुनी गई एक जन प्रतिनिधि हैं, उसके बाद ही वो एक सत्तारूढ़ पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।जैसे और सभी लोकसभा के सदस्य जनता के द्वारा चुना के आते हैं उसी तरह से वो भी जनता के द्वारा ही चुना के आती हैं।लेकिन तब भी क्या वो कभी क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं?सिर्फ चुनाव के वक्त जब जनता की जरूरत पड़ती है तभी वोट माँगने अपने क्षेत्र में जाती हैं।इसमें उनका दोष कम और कांग्रेस के नेताओं का ज्यादा है जिन्होंने इन्हें भगवान बना कर रखा है।जिस तरह से भगवान सिर्फ मंदिर में रहते हैं और लोग उनके दर्शन करने जाते हैं उसी तरह से कांग्रेस के नेताओं ने आज के युग का तीर्थ-स्थल बना दिया है 10-जनपथ को।कांग्रेस के युवराज और महासचिव राहुल गाँधी तो अपने क्षेत्र का दौरा करते हैं।लेकिन देश के किसी भी गंभीर मुद्दे पर अपनी चुप्पी बरकरार रखने का काम ये भी बखूबी जानते हैं।जब भी देश में कोई गंभीर संकट आता है, ये निकल पड़ते हैं अपने क्षेत्र के दौरे पर।जन लोकपाल और अन्ना हजारे के मुद्दे पर इनकी लंबी चुप्पी से लोग वाकिफ हो चुके हैं।अपने क्षेत्र में जाकर ऐसे ऐसे भाषण देते हैं कि लोग यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या इन्हें ही कांग्रेस पार्टी भविष्य का प्रधानमंत्री बताती है।राहुल गाँधी ने अभी हाल में ही यह कहा था कि दिल्ली की सड़कों पर चलते वक्त लाल बत्ती पर अपनी गाड़ी का शीशा नीचे करके जब उन्होंने एक भिखारी से पूछा कि तुम कहाँ के रहने वाले हो तो उसने खुद को यू.पी. का बताया।और यह कहने के बाद उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार में इतनी बेरोजगारी है कि वहाँ के लोगों को बाहर जाकर भीख माँगना पड़ता है।दिल्ली में जो भी भिखारी होते हैं वो सिर्फ भिखारी ही नहीं बल्कि नशेरी भी होते हैं।वे सभी सड़क किनारे नशे के कारण अधमरी हालत में बेहोश रहते हैं।उन्हें अपना नाम पता तो दूर शायद ये भी न पता हो कि वह इंसान भी हैं या नहीं।तो दोस्तों, क्या आपको लगता है कि सड़क किनारे बेहोशी की हालत में पड़े एक व्यक्ति के पास इतनी समझ हो सकती है कि वो राहुल गाँधी को अपना नाम-पता बता सके?अगर कांग्रेस की सरकार उत्तर प्रदेश में सत्ता में आती है तो क्या वह एक नशे में डूबे बेहोश व्यक्ति को दिल्ली से उठाकर उत्तर प्रदेश लाकर रोजगार दिला सकती है।
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी भले ही खुद कुछ नहीं बोलते हैं पर समय-समय पर अपना प्रवक्ता जरूर बनाते रहते हैं जो कि उनके बताए हुए शब्दों को जनता के सामने बोलते हैं या उनकी कमियों को जनता के सामने आने से रोकते हैं और जनता के सामने उनकी तारीफों के पुल बाँधते हैं।ऐसे लोगों का नाम गिनाने लगूं तो शायद सुबह से शाम हो जाए।ऐसे ही प्रवक्ता में से एक हैं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह।ऐसे नेता हैं दिग्विजय सिंह कि जब बाबा रामदेव को दिल्ली से भगाया गया तो उसे इन्होंने सही ठहराया और जब राहुल गाँधी को उत्तर प्रदेश के एक क्षेत्र में जाने से रोका गया जहाँ धारा 144 लागू थी, तो इसे इन्होंने अधिकारों का हनन बताया।दिन रात बस अन्ना हजारे जैसी साफ-सुथरी छवि पर दाग लगाने की कोशिश करते रहते हैं और राहुल गाँधी की छवि साफ-सुथरी बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं।कभी राहुल गाँधी को एक जिम्मेदार एवं योग्य व्यक्ति करार देते हैं तो कभी उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री ही बना बैठते हैं।क्या 2-3 दिन कोई झोपड़ी में गुजार लेने मात्र से ही प्रधानमंत्री के योग्य हो जाता है?अच्छे लोगों और अच्छाई का तो दिग्विजय सिंह खूब मजाक उड़ाते हैं।जंतर-मंतर पर अन्ना के पहले आंदोलन के वक्त उनके मंच के पीछे भारत माता की पोस्टर लगी थी।यह देखकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह आंदोलन संघ से प्रेरित है।तो क्या भारत माता को जो भी मानता हो वह संघ का ही आदमी है?क्या भारत माता को दिग्विजय सिंह खुद नहीं मानते हैं?अगर मानते हैं तो उनकी अपनी ही बातों के अनुसार तो वो भी संघ के ही आदमी हुए।क्या भारत माता की तस्वीर उन्होंने कहीं और नहीं देखी है?सिर्फ संघ के ही कार्यक्रमों में देखी है?
दोस्तों, इस बात से तो आप सभी वाकिफ होंगे कि कपिल सिब्बल एक वकील हैं।जो लोग यह बात नहीं जानते होंगे वो भी पिछले दिनों के अखबार से जान गए होंगे।जनता पार्टी चीफ सुब्रमण्यम स्वामि ने 2 जी घोटाले में देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर भी सवाल खड़े किए हैं जो कि तत्कालीन वित्त मंत्री थे और यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।इस पूरे मामले में पी. चिदंबरम ने शुरू से लंबी चुप्पी साधी हुई है जो कि 2 जी घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर बहुत कुछ बयां कर रही है।इसी बीच मैदान में कूद पड़े मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और उन पर लगे सारे आरोपों को सिरे से नकारते हुए उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे डाला।क्या आपको यह सही लगता है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठा हुआ व्यक्ति जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, वह चुप है और उसकी वकालत कर उसे ईमानदार करार दे रहे हैं मानव संसाधन विकास मंत्री जो कि पेशे से एक वकील हैं।
अच्छे लोग पर कीचड़ उछालने में कांग्रेस के और भी नेताओं को महारत हासिल है।कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने अन्ना हजारे जैसे ईमानदार व्यक्ति पर सर से लेकर पाँव तक भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था।मनीष तिवारी यह नहीं जानते कि अन्ना हजारे पर जो कीचड़ उछालता है, कीचड़ वापस उसी पर जा लगता है।कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा था कि कानून जंतर-मंतर पर नहीं संसद में बनाया जाता है।तो क्या संसद को जैसा मन वैसा कानून बना देगी?संसद भी आम जनता की मदद से ही चलती है।आम जनता अगर वोट न दे तो संसद नाम की कोई चीज नहीं रह जाएगी।कोई भी नेता जनता से ही हैं, जनता नेता से नहीं है।जनता का सरकार से मन ऊब जाएगा तो वो पूरी सरकार पलट के रख देगी।नेता बदले जा सकते हैं पर जनता हमेशा वही रहती है।
मुझे तो आश्चर्य होता है कि जिस देश में प्रधानमंत्री सिर्फ नाम के ही हैं, राष्ट्रपति सिर्फ नाम की हैं वो देश चल कैसे रहा है।इस देश में सभी बस गलत को सही और सही को गलत ठहराने की कोशिश में लगे हुए हैं।जो लोग भी यह कहते हैं कि भगवान नहीं होते हैं उनकी बात गलत ठहराने के लिए मेरे पास सबूत है।आखिर जिस देश में कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी और राशिद अल्वी जैसे नेता हैं वो देश थोड़ी ही सही पर तरक्की कर कैसे रहा है?यह बात भगवान की मौजूदगी को साफ साबित करता है।इस देश में जो भी तरक्की हो रही है वो भगवान की मौजूदगी से ही हो रही है वरना देश के नेता तो बस देश को लूटने में व्यस्त हैं और देश को संभालने की जिम्मेदारी भगवान के ही भरोसे है।इतना भ्रष्टाचार और नेताओं की देश के प्रति इतनी गैरजिम्मेदारी के बावजूद भी देश चल रहा है तो ये भगवान का आशीर्वाद ही है।रोज भगवान को नमन करते वक्त भगवान को एक चीज का शुक्रिया जरूर करना कि हमारा देश ऐसे नेताओं के रहते हुए भी तरक्की कर रहा है क्योंकि हमारे नेता जिनके हाथ में देश की बागडोर रहती है, कोई ऐसा काम नहीं करते जिससे देश तरक्की करे।मैं अंत में एक शायरी सुनाना चाहता हूँ जो कि नेता जरूर भगवान से बोलते होंगे-
हम तो लूटने में बिजी हैं, देश संभालना आपके लिए ही ईजी है।
क्या कुछ नहीं किया हमने डूबाने के लिए देश की नैया,
पर आपने धरती पर भेज दिया अन्ना बना के खेवैया।
हम गए हिल, देश की जनता गई अन्ना से मिल।
चाहा हमने अन्ना को अपने जाल में लपेटना,
पर वो निकला शातिर, निकाल दिया हमारा पसीना।
कहना था भगवान आपसे बस इतना
हम तो लूटने में बिजी हैं, देश संभालना आपके लिए ही ईजी है।
दोस्तों, कहने के लिए तो देश के प्रधानमंत्री हैं डॉ मनमोहन सिंह पर सच्चाई इससे कोसों दूर है।प्रधानमंत्री पूरी सरकार के मुखिया होते हैं।उनका फर्ज है कि वो विभिन्न मंत्रालयों और विभिन्न मंत्रियों पर अपनी पैनी नजर रखे और ऐसी सभी खामियों को दूर करे जो देश के विकास में रुकावट डाल रहा हो।पर यहाँ तो ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री महोदय इतने लाचार हैं कि कुछ नेता ही उनके काम-काज पर अपनी पैनी नजर रखे हैं।कुछ ऐसे नेता हैं जो कि खुद को प्रधानमंत्री से भी ऊपर समझते हैं।प्रधानमंत्री को कांग्रेस पार्टी मुखौटे की तरह इस्तेमाल कर रही है।जब भी उन पर सवाल खड़े किए जाते हैं तो कांग्रेस झट से प्रधानमंत्री को ईमानदारी का मुखौटा पहना देती है।प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भले ही एक ईमानदार व्यक्ति हो लेकिन वर्तमान में जो देश की हालत है वह एक ईमानदार व्यक्तित्व की पहचान बिल्कुल भी नहीं है।क्या एक ईमानदार छवि की पहचान वर्तमान में देश में फैली महँगाई और चरम-सीमा पर पहुँचा भ्रष्टाचार ही है?भले ही प्रधानमंत्री खुद भ्रष्टाचारी नहीं हैं पर भ्रष्टाचारियों का साथ देना और उनके हाँ में हाँ मिलाना भी भ्रष्टाचार करने के ही बराबर है।एक ईमानदार व्यक्ति का फर्ज सिर्फ खुद को भ्रष्टाचार के दलदल से बचाए रखना नहीं है बल्कि जो भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे हैं, उन्हें भी या तो सहारा देकर उससे निकालना है या फिर उन्हें उस दलदल में डूबो देना है, ऐसा डूबोना है कि उस दलदल से निकलने के बाद भी लाख धोने से भी उन पर लगी कीचड़ मिटने न पाए। मनमोहन सिंह के सरकार में भ्रष्टाचार को और भ्रष्टाचारियों को खुली छूट मिली हुई है।जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी है उसकी इस सरकार में उतनी ही ज्यादा महत्वता है।और जो भी थोड़े-बहुत ईमानदार हैं इस सरकार में उनकी कोई नहीं सुनता है।भ्रष्टाचारियों का बोलबाला है इस सरकार में जिस पर खुद प्रधानमंत्री का भी कोई बस नहीं है।ये देश के इतिहास में ऐसा पहला मौका है जब देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला जो कि ईमानदार है, पढ़ा-लिखा है, काबिल भी है पर तब भी देश में प्रधानमंत्री के रूप में अपनी मौजूदगी तक दर्ज कराने में असफल रहा है।जो हालत बिना कप्तान के एक क्रिकेट टीम की होती है वही हालत अभी मौजूदा सरकार की है।
इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भी कुछ कम नहीं हैं।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में वो भी ऐसी पहली अध्यक्ष हैं जो कि देश में अपनी मौजूदगी तक दर्ज कराने में असफल रहीं हो।देश में बड़ा से बड़ा घटना घट जाता है लेकिन माननीय कांग्रेस अध्यक्षा कुछ भी बोल कर देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना मुनासिब नहीं समझती।उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि वो पहले अपने क्षेत्रीय जनता द्वारा चुनी गई एक जन प्रतिनिधि हैं, उसके बाद ही वो एक सत्तारूढ़ पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।जैसे और सभी लोकसभा के सदस्य जनता के द्वारा चुना के आते हैं उसी तरह से वो भी जनता के द्वारा ही चुना के आती हैं।लेकिन तब भी क्या वो कभी क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं?सिर्फ चुनाव के वक्त जब जनता की जरूरत पड़ती है तभी वोट माँगने अपने क्षेत्र में जाती हैं।इसमें उनका दोष कम और कांग्रेस के नेताओं का ज्यादा है जिन्होंने इन्हें भगवान बना कर रखा है।जिस तरह से भगवान सिर्फ मंदिर में रहते हैं और लोग उनके दर्शन करने जाते हैं उसी तरह से कांग्रेस के नेताओं ने आज के युग का तीर्थ-स्थल बना दिया है 10-जनपथ को।कांग्रेस के युवराज और महासचिव राहुल गाँधी तो अपने क्षेत्र का दौरा करते हैं।लेकिन देश के किसी भी गंभीर मुद्दे पर अपनी चुप्पी बरकरार रखने का काम ये भी बखूबी जानते हैं।जब भी देश में कोई गंभीर संकट आता है, ये निकल पड़ते हैं अपने क्षेत्र के दौरे पर।जन लोकपाल और अन्ना हजारे के मुद्दे पर इनकी लंबी चुप्पी से लोग वाकिफ हो चुके हैं।अपने क्षेत्र में जाकर ऐसे ऐसे भाषण देते हैं कि लोग यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या इन्हें ही कांग्रेस पार्टी भविष्य का प्रधानमंत्री बताती है।राहुल गाँधी ने अभी हाल में ही यह कहा था कि दिल्ली की सड़कों पर चलते वक्त लाल बत्ती पर अपनी गाड़ी का शीशा नीचे करके जब उन्होंने एक भिखारी से पूछा कि तुम कहाँ के रहने वाले हो तो उसने खुद को यू.पी. का बताया।और यह कहने के बाद उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार में इतनी बेरोजगारी है कि वहाँ के लोगों को बाहर जाकर भीख माँगना पड़ता है।दिल्ली में जो भी भिखारी होते हैं वो सिर्फ भिखारी ही नहीं बल्कि नशेरी भी होते हैं।वे सभी सड़क किनारे नशे के कारण अधमरी हालत में बेहोश रहते हैं।उन्हें अपना नाम पता तो दूर शायद ये भी न पता हो कि वह इंसान भी हैं या नहीं।तो दोस्तों, क्या आपको लगता है कि सड़क किनारे बेहोशी की हालत में पड़े एक व्यक्ति के पास इतनी समझ हो सकती है कि वो राहुल गाँधी को अपना नाम-पता बता सके?अगर कांग्रेस की सरकार उत्तर प्रदेश में सत्ता में आती है तो क्या वह एक नशे में डूबे बेहोश व्यक्ति को दिल्ली से उठाकर उत्तर प्रदेश लाकर रोजगार दिला सकती है।
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी भले ही खुद कुछ नहीं बोलते हैं पर समय-समय पर अपना प्रवक्ता जरूर बनाते रहते हैं जो कि उनके बताए हुए शब्दों को जनता के सामने बोलते हैं या उनकी कमियों को जनता के सामने आने से रोकते हैं और जनता के सामने उनकी तारीफों के पुल बाँधते हैं।ऐसे लोगों का नाम गिनाने लगूं तो शायद सुबह से शाम हो जाए।ऐसे ही प्रवक्ता में से एक हैं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह।ऐसे नेता हैं दिग्विजय सिंह कि जब बाबा रामदेव को दिल्ली से भगाया गया तो उसे इन्होंने सही ठहराया और जब राहुल गाँधी को उत्तर प्रदेश के एक क्षेत्र में जाने से रोका गया जहाँ धारा 144 लागू थी, तो इसे इन्होंने अधिकारों का हनन बताया।दिन रात बस अन्ना हजारे जैसी साफ-सुथरी छवि पर दाग लगाने की कोशिश करते रहते हैं और राहुल गाँधी की छवि साफ-सुथरी बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं।कभी राहुल गाँधी को एक जिम्मेदार एवं योग्य व्यक्ति करार देते हैं तो कभी उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री ही बना बैठते हैं।क्या 2-3 दिन कोई झोपड़ी में गुजार लेने मात्र से ही प्रधानमंत्री के योग्य हो जाता है?अच्छे लोगों और अच्छाई का तो दिग्विजय सिंह खूब मजाक उड़ाते हैं।जंतर-मंतर पर अन्ना के पहले आंदोलन के वक्त उनके मंच के पीछे भारत माता की पोस्टर लगी थी।यह देखकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह आंदोलन संघ से प्रेरित है।तो क्या भारत माता को जो भी मानता हो वह संघ का ही आदमी है?क्या भारत माता को दिग्विजय सिंह खुद नहीं मानते हैं?अगर मानते हैं तो उनकी अपनी ही बातों के अनुसार तो वो भी संघ के ही आदमी हुए।क्या भारत माता की तस्वीर उन्होंने कहीं और नहीं देखी है?सिर्फ संघ के ही कार्यक्रमों में देखी है?
दोस्तों, इस बात से तो आप सभी वाकिफ होंगे कि कपिल सिब्बल एक वकील हैं।जो लोग यह बात नहीं जानते होंगे वो भी पिछले दिनों के अखबार से जान गए होंगे।जनता पार्टी चीफ सुब्रमण्यम स्वामि ने 2 जी घोटाले में देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर भी सवाल खड़े किए हैं जो कि तत्कालीन वित्त मंत्री थे और यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।इस पूरे मामले में पी. चिदंबरम ने शुरू से लंबी चुप्पी साधी हुई है जो कि 2 जी घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर बहुत कुछ बयां कर रही है।इसी बीच मैदान में कूद पड़े मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और उन पर लगे सारे आरोपों को सिरे से नकारते हुए उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे डाला।क्या आपको यह सही लगता है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठा हुआ व्यक्ति जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, वह चुप है और उसकी वकालत कर उसे ईमानदार करार दे रहे हैं मानव संसाधन विकास मंत्री जो कि पेशे से एक वकील हैं।
अच्छे लोग पर कीचड़ उछालने में कांग्रेस के और भी नेताओं को महारत हासिल है।कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने अन्ना हजारे जैसे ईमानदार व्यक्ति पर सर से लेकर पाँव तक भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था।मनीष तिवारी यह नहीं जानते कि अन्ना हजारे पर जो कीचड़ उछालता है, कीचड़ वापस उसी पर जा लगता है।कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा था कि कानून जंतर-मंतर पर नहीं संसद में बनाया जाता है।तो क्या संसद को जैसा मन वैसा कानून बना देगी?संसद भी आम जनता की मदद से ही चलती है।आम जनता अगर वोट न दे तो संसद नाम की कोई चीज नहीं रह जाएगी।कोई भी नेता जनता से ही हैं, जनता नेता से नहीं है।जनता का सरकार से मन ऊब जाएगा तो वो पूरी सरकार पलट के रख देगी।नेता बदले जा सकते हैं पर जनता हमेशा वही रहती है।
मुझे तो आश्चर्य होता है कि जिस देश में प्रधानमंत्री सिर्फ नाम के ही हैं, राष्ट्रपति सिर्फ नाम की हैं वो देश चल कैसे रहा है।इस देश में सभी बस गलत को सही और सही को गलत ठहराने की कोशिश में लगे हुए हैं।जो लोग भी यह कहते हैं कि भगवान नहीं होते हैं उनकी बात गलत ठहराने के लिए मेरे पास सबूत है।आखिर जिस देश में कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी और राशिद अल्वी जैसे नेता हैं वो देश थोड़ी ही सही पर तरक्की कर कैसे रहा है?यह बात भगवान की मौजूदगी को साफ साबित करता है।इस देश में जो भी तरक्की हो रही है वो भगवान की मौजूदगी से ही हो रही है वरना देश के नेता तो बस देश को लूटने में व्यस्त हैं और देश को संभालने की जिम्मेदारी भगवान के ही भरोसे है।इतना भ्रष्टाचार और नेताओं की देश के प्रति इतनी गैरजिम्मेदारी के बावजूद भी देश चल रहा है तो ये भगवान का आशीर्वाद ही है।रोज भगवान को नमन करते वक्त भगवान को एक चीज का शुक्रिया जरूर करना कि हमारा देश ऐसे नेताओं के रहते हुए भी तरक्की कर रहा है क्योंकि हमारे नेता जिनके हाथ में देश की बागडोर रहती है, कोई ऐसा काम नहीं करते जिससे देश तरक्की करे।मैं अंत में एक शायरी सुनाना चाहता हूँ जो कि नेता जरूर भगवान से बोलते होंगे-
हम तो लूटने में बिजी हैं, देश संभालना आपके लिए ही ईजी है।
क्या कुछ नहीं किया हमने डूबाने के लिए देश की नैया,
पर आपने धरती पर भेज दिया अन्ना बना के खेवैया।
हम गए हिल, देश की जनता गई अन्ना से मिल।
चाहा हमने अन्ना को अपने जाल में लपेटना,
पर वो निकला शातिर, निकाल दिया हमारा पसीना।
कहना था भगवान आपसे बस इतना
हम तो लूटने में बिजी हैं, देश संभालना आपके लिए ही ईजी है।
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