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21.12.11

अन्नागिरी सुपर हिट, नेतागिरी सुपर फ्लॉप

दोस्तों, आज पूरा देश मानो अन्नागिरी में डूबा है।क्या बच्चे, क्या बूढ़े सभी पर अन्ना का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है।जब माननीय अन्ना हजारे एक सशक्त जन लोकपाल की माँग को लेकर सरकार के खिलाफ रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे हुए थे तो सारे देशवासियों ने उनका भरपूर साथ दिया।कुछ लोगों ने रामलीला मैदान में आकर अनशन में भाग लेकर अपना समर्थन जाहिर किया तो कुछ लोगों ने अपने-अपने स्थानीय जगहों से ही सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर अपना समर्थन जाहिर किया।जरिया चाहे कोई भी हो, पर सभी देशवासी इस आंदोलन से किसी न किसी तरह से जुड़े रहे।
     खासकर युवाओं ने जमकर भाग लिया इस आंदोलन में।जिस तरह से युवाओं ने बड़ी तादाद में रामलीला मैदान में अन्ना के आंदोलन के वक्त अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, ऐसा लगता नहीं है कि इससे पहले किसी भी नेता के रैली में एक साथ इतने युवाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई होगी।ये अन्ना हजारे और समाज-सेवा के प्रति और नेतागिरी के प्रति उनके नजरिये को दर्शाता है कि अन्ना हजारे और समाज-सेवा उनकी नजरों में कहीं ज्यादा ऊपर है राजनीति और नेतागिरी से।आखिर हो भी क्यों न क्योंकि अन्ना हजारे ही अभी देश में एक ऐसे इंसान हैं जिन पर पूरा देश भरोसा करता है।अन्ना हजारे के पास सिवाय जनता की दुआएं और मान-सम्मान के ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर कोई सवाल उठा सके।उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा करने में लगा दिया और अब तक लगे हुए हैं।अन्ना हजारे आम जनता के लिए मसीहा हैं।अन्ना हजारे अपने क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश के सच्चे प्रतिनिधि हैं।अन्ना हजारे पूरे देश के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए भी एक मिसाल हैं।जहाँ नेता, जिन्हें जनता इसी आशा के साथ चुनाव में विजयी बनाती है ताकि वे जनता की सेवा कर सकें, वे सिर्फ अपना कारोबार एक देश से दूसरे देश में बढ़ाने में लग हुए हैं वहाँ एक अकेले इंसान भ्रष्टाचार का सत्यानास करने के लिए पूरी सरकार के खिलाफ खड़े हुए और अब तक डटे रहकर पूरे देश-दुनिया के सामने एक मिसाल खड़ी कर दी।जो काम पूरी भारत सरकार को मिलकर करना चाहिए वो काम एक अकेले इंसान कर रहे हैं। जब से अन्ना हजारे और उनकी टीम राष्ट्रीय स्तर पर उभरी है तभी से समाज-सेवा में जनता की दिलचस्पी बढ़ी है।
     पिछले कुछ दिनों से जब से कुछ नेताओं के भ्रष्टाचार में शामिल होने की खबरें आई हैं तभी से आम जनता का नेताओं पर से भरोसा उठ गया है।जहाँ कही भी आप नेताओं की चर्चा करो वहाँ पर मौजूद सभी लोग नेताओं को एक सूर में बुराभला कहना शुरू कर देते हैं।नेताओं के प्रति आम जनता की सोच यही हो गई है कि वे बस चुनाव के वक्त ही आम जनता से मतलब रखते हैं, उसके बाद वो सिर्फ अपने व्यापार से ही मतलब रखते हैं।और यह है भी बिलकुल सही।मुझे समझ नहीं आता कि आखिर नेताओं को व्यापार करने की इतनी खुली छूट क्यों मिली हुई है।सरकार को चुनाव जीतने के बाद हर व्यापारी-नेताओं की संपत्ति और व्यापार जब्त कर लेनी चाहिए वरना उनकी सदस्यता खत्म कर देनी चाहिए।आखिर क्यों मिले उन्हें व्यापार करने की इजाजत, उन्हें अगर व्यापार ही करना है तो उन्हें राजनीति में आने की कोई जरूरत नहीं है।आखिर वो नेता हैं या व्यापारी।देश तंग आ चुका है ऐसे व्यापारी-नेताओं से।देश को कोई जरूरत नहीं है ऐसे नेताओं की जो राजनीति में आम जनता की सेवा करने के इरादे से नहीं बल्कि अपना कारोबार बढ़ाने के इरादे से आते हैं।जो भी नेता राजनीति में रहते हुए भी व्यापार से दूर हैं वो काजल की कोठरी में रहते हुए भी सफेद हैं।आज अन्ना हजारे और समाज-सेवा के प्रति जो जनता का अच्छा नजरिया है उसका श्रेय जाता है अन्ना हजारे की सादगी, उनकी महानता और समाज में बदलाव लाने के उनके प्रयासों को।नेताओं के प्रति भी जो आम जनता का बुरा नजरिया हो चुका है उसके लिए भी नेता ही जिम्मेदार हैं।
     पहले जहाँ राजनीति में आना और नेता बनना गौरव की बात मानी जाती थी वहीं आज राजनीति में आना और नेता बनना शर्म की बात मानी जाती है।ऐसा नहीं है कि राजनीति में युवाओं की कमी है, पर जो भी हैं सभी अपने-अपने पुस्तैनी मान-सम्मान के बदौलत ही हैं।कोई भी युवा अपने बल-बूते राजनीति में नहीं है क्योंकि कोई भी आजकल राजनीति में आना ही नहीं चाहता जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ कुछ नेताओं के कूकर्म ही हैं।जो भी युवा वर्ग के लोग राजनीति में आना चाहते हैं वे बेशक आएं लेकिन सही मकसद और नेक इरादे से आएं।अगर राजनीति में अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर के दौलत कमाने के लिए आना चाहते हो तो अन्ना हजारे का सामना करने के लिए तैयार होकर आना क्योंकि कोई भी भ्रष्टाचारी अन्ना हजारे की नजरों से नहीं बच सकता।हम कलयुग में नहीं बल्कि अन्ना युग में रह रहे हैं।हमें खुद को खुशनसीब समझना चाहिए कि हमें अन्ना-युग में रहने का मौका मिला।
      जय हिन्द! जय भारत! जय अन्ना!     

1 comment:

तेजवानी गिरधर said...

अन्नागिरी पूरे देश में छायी हुई नहीं है, ये जादू आप जैसे चंद लोगों पर ही छाया हुआ है, मीडिया भी इसमें सहयोग कर रहा है, अन्ना के ये दावा भी खेखला है कि देश की 121 करोड जनता उनके साथ है, यदि ऐसा ही है तो उतरे चुनाव मैदान में, सब कुछ पता लग जाएगा