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3.1.12

चंद लम्हे ही सही

चंद लम्हे ही सही , तेरा मेरा साथ चले ,
जब भी यारों में चले , तेरी मेरी बात चले ।
लोग हँसते रहें , खामोश हम अकेले में
देखते जाएँ जो तूफान और बरसात चले ।
बस तू एक बार ठहर जाओ मेरी बाहों में
अब्र में चाँद जो चाहे तो सारी रात चले ।
और बब्बर तुझे क्या चाहिए जमाने से
जब तलक चल सके ये पागले हालात चले ।

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