Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

8.6.11

भ्रष्टाचार 100 प्रतिशत


भ्रष्टाचार 100 प्रतिशत
भ्रष्टाचार के खिलाफ गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने जो मुहिम शुरू की थी...उस सिलसिले को योगगुरू बाबा रामदेव ने आगे बढाया...जिसे देशभर में व्यापक जनसमर्थन भी मिला। भष्टाचार औऱ भ्रष्टाचारियों से त्रस्त हो चुके करोडों देशवासियों को भ्रष्टाचार विरोधी इस मुहिम से उम्मीदें थीं। बेशक ये सरकार की घबराहट की वजह भी बनती जा रही थी। जंतर मंतर पर अन्ना हजारे के अनशन की सफलता कई मायनों में सामने आयी। यूपीए सरकार लोकपाल बिल लाने को तैयार हो गयी...साथ ही एक समिती का गठन किया गया...जिसमें सरकार औऱ सरकार के बाहर के कुछ चुनिंदा लोगों को शामिल किया गया। लेकिन, विदेशी बैंकों में जमा देश के काले धन को वापस लाने की मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में मोर्चा खोलने वाले योगगुरू बाबा रामदेव के सत्याग्रह को यूपीए सरकार ने जिस तरह कुचल डाला....उसने एक बार फिर ये साबित किया कि भ्रष्टाचार रूपी दलदल को साफ करने के लिए हमारी सरकार बिल्कुल संजीदा नहीं है। भष्टाचार किस कदर अपने पांव पसार चुका है, इसका अंदाजा विदेशी बैंकों में जमा भारत के अपार काले धन को देखकर लगाया जा सकता है।  
एक छोटे से वाकये से आपको भी रूबरू कराना चाहूंगा...जिससे दिन ब दिन सुरसा के मुंह की तरह फैलते भ्रष्टाचार के दायरे का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है...।
वाक्या कुछ यूं है कि....एक बार हिंदुस्तान के एक मंत्री विदेश दौरे पर जाते हैं....उस देश में उनके एक समकक्ष मंत्री उनका जोरदार स्वागत करते हैं...मंत्री जी के लिए सभी ऐशो – आराम के बेहतरीन इंतजाम करते हैं...साथ ही मंत्री जी को कीमती तोहफे भी भेंट करते हैं। शाही खातिरदारी से खुश मंत्री जी अपने आप को नहीं रोक पाते औऱ अपने समकक्ष मंत्री से पूछ ही लेते हैं...कि आपने इतना पैसा कैसे कमाया....?????
…..समकक्ष मंत्री मुस्कुराते हुए मंत्री जी को अपने घर की बालकनी में ले जाते हैं....औऱ दूर एक नदी पर बने एक पुल की ओर इशारा करते हुए कहते हैं....कि आप को नदी पर बना वह पुल दिख रहा है तो मंत्री जी कहते हैं...हां।
जिसके बाद समकक्ष मंत्री मुस्कुराते हुए कहते हैं......सिर्फ 50 प्रतिशत।
....छह माह बाद वही समकक्ष मंत्री हिंदुस्तान के दौरे पर आते हैं.....तो हमारे हिंदुस्तानी मंत्री भी उनकी जमकर खातिरदारी करते हैं....जिससे विदेशी मंत्री भी उनसे पूछे बिना नहीं रह पाते हैं.....औऱ पूछते हैं कि किस तरह उन्होंने इतना पैसा कमाया....??????
....तो मंत्री जी उन्हें अपने घर की बालकनी में ले जाते हैं....औऱ एक ओऱ इशारा करते हुए पूछते हैं कि आपको वह नदी नजर आ रही है....तो विदेशी समकक्ष का जवाब होता है....हां।
...मंत्री जी फिर पूछते हैं कि आपको नदी पर कोई पुल नजर आ रहा है.....तो इस बार उनका जवाब होता है.....नहीं।
हिंदुस्तान के मंत्री जी मुस्कुराते हुए अपनी बात आगे बढाते हैं....और गर्व से कहते हैं....100 प्रतिशत।
....इस छोटी सी कहानी से आप समझ ही गये होंगे कि हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार किस कदर अपने पैर पसार रहा है।
ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार सिर्फ हिंदुस्तान में ही है...हिंदुस्तान के साथ ही दूसरे देशों में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है....लेकिन एक सीमा तक। हमारे देश में भ्रष्ट नेताओं औऱ नौकरशाहों ने सारी सीमाएं लांघ दी है....औऱ वे सिर्फ अपनी तिजोरियां भरने में लगे हैं....हिंदुस्तान में कम पडे तो विदेशी बैंकों के लॉकरों को भी भ्रष्टाचार के काले धन से भर दिया। स्विटजरलैंड की एक रिपोर्ट ने इसे साबित भी किया है कि स्विस बैंकों में कुल जमा भारतीय रकम लगभग 66,000 अरब रूपये(1500 बिलीयन डॉलर) है...जो दूसरे देशों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा है। ये आंकडे तो सिर्फ स्विटजरलैंड के है....इसके अलावा कई औऱ ऐसे देश हैं...जहां के बैंकों में बडी तादाद में देश का काला धन जमा है।
बहरहाल देर से ही हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार के खिलाफ अब लोग खुलकर आवाज उठा रहे हैं....जिसकी शुरूआत गांधीवादी नेता अन्ना हजारे औऱ उस सिलसिले को आगे बढाया योगगुरू बाबा रामदेव ने। हालांकि सरकार ने भष्टाचार के इस सत्याग्रह को कुचलने की पुरजोर कोशिश की.....जो अभी भी जारी है....लेकिन अन्ना हजारे और रामदेव की मुहिम अब जंतर मंतर औऱ रामलीला मैदान से देश के कोने - कोने तक पहुंच रही है....औऱ देशभर में लोग भ्रष्टाचार औऱ भष्टाचारियों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं....औऱ निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ जनांदोलन हिंदुस्तान की तकदीर को बदल सकता है....बस जरूरत है हर एक शख्स को इसके खिलाफ हुंकार भरने की...उम्मीद करते हैं कि कम से कम भष्टाचार की ये कहानी हिंदुस्तान के नाम के साथ फिर न दोहरायी जाए.....औऱ हम भष्टाचार 100 प्रतिशत की जगह कह सकें भष्टाचार....ये किस चिडिया का नाम है।

दीपक तिवारी
deepaktiwari555@gmail.com

No comments: