सवाल बाबा रामदेओ से, आपको अगर पता था की विरोध प्रदर्शन या
सत्याग्रह सिर्फ जंतर मंतर में किया जा सकता hai तो आपने रामलीला
सत्याग्रह सिर्फ जंतर मंतर में किया जा सकता hai तो आपने रामलीला
मैदान क्यूँ चुना. अगर योग के liye भी लिया तो भड़काऊ भंशन क्यूँ दिया?
सवाल सरकार से, १ दिन क चुनाव से सर्कार बनती hai, फिर उसी वोते बैंक
की मांगों पर विचार करने के liye ६ माह से अधिक का समय क्यूँ लगता
hai?सवाल आम जनता से, भ्रष्टाचार के खिलाफ kanoon बनने के बाद
क्या आप ट्रेन की वेटिंग लिस्ट को कन्फर्म कराने के लिए १०० रुपये देना
बंद कर देंगे?अन्ना हजारे और बाबा तो कई मिल जायेंगे? बदलना आपको
होगा
1 comment:
publik ko bhi badalanaa chaahiye..kannoon bhi banana chaahiye.....sirf ek kam nahi ho sakta lekin dono kaam ek saath sambhav hai.
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