भाइयों और बहनों ,
समय की इस नौका पर हम सभी सवार हैं । याद रहे कि कुछ पाप भी सामूहिक होते हैं और उनके परिणाम भी ।
समय की इस नौका में अगर कोई पापी छेद करता है तो वह सभी सवारों के लिए आफत पैदा कर सकता है ।
'ले डुबोता एक पापी नाव को मझधार में । '
और यहाँ तो स्थिति ये है कि,
'बर्बादे गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफी है ,
हर शाख पे उल्लू बैठे हैं , अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा । '
अतः यह तटस्थ रहने का समय नहीं है ।
'समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध ।
जो तटस्थ हैं , समय लिखेगा उनका भी अपराध ॥ '
भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का वक्त आगया है । जड़ता त्यागकर इसमें कूद पड़ें ,ताकी सत्य की
विजय हो ।
'यह वो समय नहीं कि नशेमन बचाइये ,
बाज़ी लगाकर जान की गुलशन बचाइये । '
6.6.11
बाज़ी लगाकर जान की गुलशन बचाइए
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