----ब्रेकिंग न्यूज----
भड़ास को मिली पुख्ता सूचना के मुताबिक मीडिया हाउस दैनिक भास्कर के नई दिल्ली स्थित गोल मार्केट वाले आफिस को सील कर दिया गया है। यहां कुछ ही दिनों पहले दैनिक भास्कर के दिल्ली संस्करण का कार्यालय नोएडा से शिफ्ट किया गया था। होली से पहले दैनिक भास्कर के दिल्ली संस्करण का आफिस नोएडा में हुआ करता था। गोल मार्केट वाले आफिस में दैनिक भास्कर के नेशनल ब्यूरो की टीम, लोकल ब्यूरो की टीम, फीचर की टीम, मार्केटिंग व मैनेजमेंट की टीम बैठा करती थी।
भास्कर प्रबंधन ने तय किया कि दिल्ली संस्करण के प्रकाशन से जुड़ी पूरी टीम भी गोल मार्केट वाले आफिस में ही शिफ्ट कर दी जाए। इसी के तहत कई महीनों से गोल मार्केट वाले आफिस में निर्माण कार्य चल रहा था। और होली के छुट्टी वाले दिन नोएडा से सारे स्टाफ व सारे सामानों को गोल मार्केट वाले आफिस शिफ्ट कर दिया गया। अभी वहां शिफ्ट हुए कुछ ही दिन हुए थे कि स्थानीय नागरिकों की शिकायत पर पुलिस पहुंच गई। तब किसी तरह मामले को दबाया गया।
बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस ने रेजीडेंशियल इलाके में व्यावसायिक कार्य न होने के आधार पर दैनिक भास्कर के आफिस को सील कर दिया। इससे परेशान दैनिक भास्कर प्रबंधन ने हर कीमत और हर मुश्किल के बावजूद अखबार प्रकाशित करने की ठानी है। इस मुहिम के तहत अपने सारे स्टाफ को गोल मार्केट आफिस में इकट्ठा होकर गाड़ियों के जरिए पानीपत आफिस पहुंचने को कहा है। फिर से नोएडा में आफिस शिफ्ट किए जाने तक दैनिक भास्कर, दिल्ली संस्करण का प्रकाशन पानीपत से ही हुआ करेगा।
हर हाल में अखबार प्रकाशित किए जाने की चुनौती दैनिक भास्कर के पत्रकारों ने स्वीकार कर ली है। वे कपड़े लत्ते से भरे बैग लेकर दैनिक भास्कर के पानीपत आफिस के लिए कूच कर चुके हैं। भड़ास की तरफ से इन सभी योद्धा पत्रकार साथियों को शुभकामनाएं। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही दैनिक भास्कर इस मुश्किल से उबरेगा और अखबार का प्रकाशन हर हालत में सुनिश्चित करेगा ताकि अखबार प्रकाशन रोकने का मंसूबा पाले पुलिस व प्रशासन को करारा सबक सिखाया जा सके।
भड़ास का मानना है कि इस मामले में पुलिस और प्रशासन ने जल्दबाजी दिखाई और मामले को बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिशों के बजाय अखबार का प्रकाशन बंद करने की साजिश रची। इस सरकारी साजिश का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। इसी दिल्ली में एक से एक बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक मगरमच्छ न जाने क्या क्या कर रहे हैं पर दिल्ली पुलिस उन पर नजर इसलिए नहीं डालती क्योंकि सत्ता की तेजाबी नजर से उसकी आंख फूट सकती है। उसने इस मामले में इसलिए जल्दबाजी दिखाई ताकि एक बड़े मीडिया हाउस को बदनाम किया जा सके। हम पुलिस और प्रशासन के इस कृत्य की निंदा करते हैं और सभी पत्रकार साथियों से अपील करते हैं कि वो इस साजिश के खिलाफ खुलकर बोलें।
जय भड़ास
यशवंत
31.3.08
दैनिक भास्कर का नई दिल्ली आफिस सील, दिल्ली पुलिस और प्रशासन का निंदनीय कृत्य
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8 comments:
इस मामले में पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई वाकई निंदनीय है। इस मामले को बैठकर हल किया जा सकता था। जहां तक अखबार के प्रकाशन की बात है तो भास्कर ग्रुप ऐसी मुश्किलों से उबरना बाखूबी जानता है। उन तमाम पत्रकार साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं जो इस लडाई में भास्कर के साथ है।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई वाकई निंदनीय है।
देश भर की मीडिया जगत को इसके विरोध में खड़ा होना चाहिए। दैनिक भास्कर के रिपोटॆरों के लिए अखबार निकालना बिग चैलेंज होगा। दैनिक भास्कर के बाकी संस्करणों की पूरी टीम को भरोसा है कि हमारे उत्साही साथी इस चैलेंज को स्वीकार करेंगे और हर रोज की तरह भास्कर राजधानीवासियों के हाथ में होगा।
आलोक सिंह रघुवंशी
यह एक शर्मनाक घटना है। हम इसकी निंदा करते हैं। दिल्ली सरकार को चाहिए कि वह तुरंत अपना यह फैसला वापस ले। दैनिक भास्कर ग्रुप की एक प्रतिष्ठा है और सरकार ने इस पर चोट की है। यह एक साजिश है और भास्कर ग्रुप ऐसी साजिशों से निपटना जानता है। अखबार तो हम छापकर ही रहेंगे।
यथा नाम तथा गुण को चरितार्थ करते हुए ''भास्कर'' की उर्जावान टीम इस संकट को भी अपने तेज से टाल देगी, हाँ सत्ता ,शासन की ऐसी दमनकारी सोच का क्या उपाय हो,इस का जबाब तलाशा जाना चाहिए. अच्छा मौका है सामुहिक हो कर एक सटीक निष्कर्ष तलाशने की, आइये इस का जबाब ''दैनिक भास्कर बोले तो हिन्दुस्तानी पत्रकार बिरादरी'' बन कर,एक होकर पूरे दम ख़म से शासन को बता दें की भिडू लोग ये मच-मच अब नही चलने वाला.
दैनिक भाष्कर के साथ राजधानी मे जैसा सलूक किया गया वह तो लगता है कि वहा पर जैसे जंगलराज है । अगर आवासीय क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधिया हो रही थी तो कुछ समय तो दिया ही जा सकता था । क्या पूरी दिल्ली मे केवल भाष्कर ग्रुप ही यह कार्य कर रहा था । खैर भाष्कर ग्रुप इन सबसे निपटना अच्छी तरह जानता है । पूरे भाष्कर ग्रुप को कानपुर के ख़बर नवीसों की तरफ से बधाई
कानपुर से
शशिकान्त अवस्थी
अरे आओ रे दौड़ो रे दुःख और शोक मनाओ रे। निंदा और भर्त्सना करो,गालियां दो। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हमला हुआ है, जनता की आवाज दबाने का निंदनीय कर्म हुआ है, सत्यानाश हो इन दुष्टों का भगवान करे इन्हें कम से कम छह छह इंच लम्बे कीड़े पड़ें.......... अभी मुंह नहीं सूखा है और बुरी-बुरी बातें लिखना है लेकिन वो अगले एपिसोड में.....
जय जय भड़ास
यह हताश प्रशासन का एक नपुंसक कदम है। हाल के दिनों में आवैध भवनों के ध्वस्त होने और उनमें जिंदा इंसानों के दफन होने के हौलनाक हादसों को लेकर मीडिया ने जिस तरह प्रशासन की खिंचाई की..उससे चिढ़े खोखले तंत्र ने एक छोटा सा सुराख पाकर सिर्फ ओछा गुस्सा जाहिर करने की हिमाकत की है। एक आवाज बंद करने की नाकाम कोशिश है यह मेरी निगाह में।
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