हरवंश पुलिस और आमानाला का रोचक त्रिकोण
एक आमानाला कांड़ में चालान पेश नहीं : दूसरे में बमुश्किल दर्ज हुआ मामला
सिवनी । एक आमानाला गांव में तत्कालीन सांसद एवं वर्तमान विधायक नीता पटेरिया के साथ उदघाटन को लेकर हुये विवाद में बण्डोल थाने में भाजपा के धरने के बाद इंका विधायक हरवंश सिंह के खिलाफ धारा 307 का मामला पंजीबद्ध किया गया था जिसका आज तक चालान कोर्ट में पेश नहीं हो पाया हैं। एक आमानाला गांव में अभी हाल ही में हरवंश सिंह और उनके पुत्र रजनीश सिंह के खिलाफ परिवाद पत्र पेश हुआ जिसमें कोर्ट के तीन बार निर्देश देने के बाद पुलिस ने मामला पजीबद्ध कर जांच में लिया हैं। आमानाला नाम का गांव, इंका विधायक हरवंश सिंह और पुलिस के बीच एक रोचक त्रिकोण बन गया हैं। दोनों ही मामले भाजपा सरकार के कार्यकाल के हैं। आमानाला सिंचाई परियोजना के उदघाटन को लेकर तत्कालीन क्षेत्रीय सान्द एवं विधायक नीता पटेरिया और हरवंश सिंह में अनबन हो गई थी। घोड़े पर सवार हरवंश सिंह को झांसी की रानी बनी नीता पटेरिया ने खूब खरी खोटी सुनायी थी। घटना में हुये पथराव में सांसद की गाड़ी का कांच टूट गये थे जिसमे उनका बेटा बैठा हुआ था। वाहन के चालक को भी चोटें आयीं थीं।सांसद जब बंड़ोल थाने पहुचीं और थाने में वाहन चालक के नाम से रिपोर्ट दर्ज कराने की बात की तो वह आना कानी करने लगा। नीता पटेरिया के फोन पर समूची भाजपा ने बंड़ोल थाने में धरना दिया तब कहीं जाकर अपनी ही सरकार रहते मामला पंजीबद्ध करवा पाये थे। पुलिस ने अपराध क्र. 226/07 धारा 307, 147,148 और 506/बी 34 के अंर्तगत दिनांक 26 दिसम्बर 2007 को दर्ज किया गया था। उस दौरान प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान लोकायुक्त जांच में डम्पर कांड़ में उलझे हुये थे। कांग्रेस आलाकमान ने इसकी जांच और आन्दोलन चलाने के लिये हरवंश सिंह की अध्यक्षता में एक समिति बनायी थी। जिले में भी आन्दोलन हुआ था और कांग्रेसी नेता पप्पू खुराना के डंपर में सवार होकर इंकाइयों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।बंड़ोल थाने में हरवंश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उन्होंने जिले में एक संभाग स्तरीय न्याय रैली निकाली जिसमें संभाग के हजारों लोगों ने भाग लेकर इसे ऐतिहासिक बना दिया था। इसी रैली को डंपर काण्ड के संभागीय आन्दोलन का नाम आलाकमान के सामने दे देने की खबरें भी चर्चित थीं। वैसे भी यह कांड़ विधानसभा चुनाव के पहले का था। 2008 के विधानसभा चुनाव में नीता पटेरिया भी केवलारी क्षेत्र से हरवंश सिंह के विरुद्ध संभावित भाजपा प्रत्याशी थी। लेकिन उन्हें सिवनी से टिकिट मिला और वे जीत भी गईं। विस चुनाव में कुछ ऐसे राजनैतिक समीकरण बने कि आमानाला कांड़ की सुध लेने वाला ही कोई नहीं बचा। दिसम्बर 2007 के मामाले का अभी तक कोर्ट में कोई चालान पेश नहीं हो पाया हैं। भाजपा के नेता भी हाल ही में हरवंश सिंह के खिलाफ जारी विज्ञप्तियों में इस मामले का उल्लेख कर आलोचना तो करते हैं लेकिन वे शायद यह भूल जाते हैं कि प्रदेश में सरकार उनकी ही हैं जिनके इशारों पर ही सब कुछ होता हैं। हाल ही हुये आमानाला गांव के जमीन घोटाले में भी एक परिवाद में हरवंश सिंह और उनके पुत्र आरोपी बन गये हैं। मई 2010 में पेश किये गये इस परिवाद में कोर्ट के धारा 156 (3) के आदेश के बावजूद भी पुलिस ने हरवंश सिंह और उनके पुत्र रजनीश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया। कोर्ट के आदेश और मेन्डेटरी प्रावधान होने के बावजूद भी पुलिस ने मामला नहीं बनाया। जब तीसरी बार कोर्ट ने निर्देश दिये तब जाकर पुलिस मामलजा दर्ज कर जांच में लिया हैं। भाजपा ने इस मामले में पूरे जिले को सर पर उठा लिया लेकिन अपनी ही सरकार के रहते पुलिस का ऐसा रवैया क्यों रहा या जिसने कोर्ट के निर्देयाों की अवहेलना की उसे अपने ही राज मेंं सजा नहीं दिला पाये। इस मामले में पुलिस को 20 जुलाई 2010 को कोर्ट में अपना अन्तिम प्रतिवेदन पेश कराना हैं। पिछले तीन सालों में आमनाला गांव पुलिस और हरवंश सिंह के बीच एक रोचक त्रिकोण बना दिखा जिसमें चौथे कोण के रूप में भाजपा मौजूद तो रही लेकिन अपनी सरकार के रहते हुये भी पुलिस से नियमानुसार कार्यवाही तक नहीं करवा पायी हैं। वैसे भी भाजपा और हरवंश सिंह के बीच सांठ गांठ की बात केोई नयी नही हैं। ऐसे हालातों में यदि पुलिस का पलड़ा कहीं झुका दिखायी दे तो भला आश्चर्य का क्या बात हें। सख्ती और निष्पक्षता दिखाने के लिये पूरा जिला जो पड़ा है।
एक आमानाला कांड़ में चालान पेश नहीं : दूसरे में बमुश्किल दर्ज हुआ मामला
सिवनी । एक आमानाला गांव में तत्कालीन सांसद एवं वर्तमान विधायक नीता पटेरिया के साथ उदघाटन को लेकर हुये विवाद में बण्डोल थाने में भाजपा के धरने के बाद इंका विधायक हरवंश सिंह के खिलाफ धारा 307 का मामला पंजीबद्ध किया गया था जिसका आज तक चालान कोर्ट में पेश नहीं हो पाया हैं। एक आमानाला गांव में अभी हाल ही में हरवंश सिंह और उनके पुत्र रजनीश सिंह के खिलाफ परिवाद पत्र पेश हुआ जिसमें कोर्ट के तीन बार निर्देश देने के बाद पुलिस ने मामला पजीबद्ध कर जांच में लिया हैं। आमानाला नाम का गांव, इंका विधायक हरवंश सिंह और पुलिस के बीच एक रोचक त्रिकोण बन गया हैं। दोनों ही मामले भाजपा सरकार के कार्यकाल के हैं। आमानाला सिंचाई परियोजना के उदघाटन को लेकर तत्कालीन क्षेत्रीय सान्द एवं विधायक नीता पटेरिया और हरवंश सिंह में अनबन हो गई थी। घोड़े पर सवार हरवंश सिंह को झांसी की रानी बनी नीता पटेरिया ने खूब खरी खोटी सुनायी थी। घटना में हुये पथराव में सांसद की गाड़ी का कांच टूट गये थे जिसमे उनका बेटा बैठा हुआ था। वाहन के चालक को भी चोटें आयीं थीं।सांसद जब बंड़ोल थाने पहुचीं और थाने में वाहन चालक के नाम से रिपोर्ट दर्ज कराने की बात की तो वह आना कानी करने लगा। नीता पटेरिया के फोन पर समूची भाजपा ने बंड़ोल थाने में धरना दिया तब कहीं जाकर अपनी ही सरकार रहते मामला पंजीबद्ध करवा पाये थे। पुलिस ने अपराध क्र. 226/07 धारा 307, 147,148 और 506/बी 34 के अंर्तगत दिनांक 26 दिसम्बर 2007 को दर्ज किया गया था। उस दौरान प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान लोकायुक्त जांच में डम्पर कांड़ में उलझे हुये थे। कांग्रेस आलाकमान ने इसकी जांच और आन्दोलन चलाने के लिये हरवंश सिंह की अध्यक्षता में एक समिति बनायी थी। जिले में भी आन्दोलन हुआ था और कांग्रेसी नेता पप्पू खुराना के डंपर में सवार होकर इंकाइयों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।बंड़ोल थाने में हरवंश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उन्होंने जिले में एक संभाग स्तरीय न्याय रैली निकाली जिसमें संभाग के हजारों लोगों ने भाग लेकर इसे ऐतिहासिक बना दिया था। इसी रैली को डंपर काण्ड के संभागीय आन्दोलन का नाम आलाकमान के सामने दे देने की खबरें भी चर्चित थीं। वैसे भी यह कांड़ विधानसभा चुनाव के पहले का था। 2008 के विधानसभा चुनाव में नीता पटेरिया भी केवलारी क्षेत्र से हरवंश सिंह के विरुद्ध संभावित भाजपा प्रत्याशी थी। लेकिन उन्हें सिवनी से टिकिट मिला और वे जीत भी गईं। विस चुनाव में कुछ ऐसे राजनैतिक समीकरण बने कि आमानाला कांड़ की सुध लेने वाला ही कोई नहीं बचा। दिसम्बर 2007 के मामाले का अभी तक कोर्ट में कोई चालान पेश नहीं हो पाया हैं। भाजपा के नेता भी हाल ही में हरवंश सिंह के खिलाफ जारी विज्ञप्तियों में इस मामले का उल्लेख कर आलोचना तो करते हैं लेकिन वे शायद यह भूल जाते हैं कि प्रदेश में सरकार उनकी ही हैं जिनके इशारों पर ही सब कुछ होता हैं। हाल ही हुये आमानाला गांव के जमीन घोटाले में भी एक परिवाद में हरवंश सिंह और उनके पुत्र आरोपी बन गये हैं। मई 2010 में पेश किये गये इस परिवाद में कोर्ट के धारा 156 (3) के आदेश के बावजूद भी पुलिस ने हरवंश सिंह और उनके पुत्र रजनीश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया। कोर्ट के आदेश और मेन्डेटरी प्रावधान होने के बावजूद भी पुलिस ने मामला नहीं बनाया। जब तीसरी बार कोर्ट ने निर्देश दिये तब जाकर पुलिस मामलजा दर्ज कर जांच में लिया हैं। भाजपा ने इस मामले में पूरे जिले को सर पर उठा लिया लेकिन अपनी ही सरकार के रहते पुलिस का ऐसा रवैया क्यों रहा या जिसने कोर्ट के निर्देयाों की अवहेलना की उसे अपने ही राज मेंं सजा नहीं दिला पाये। इस मामले में पुलिस को 20 जुलाई 2010 को कोर्ट में अपना अन्तिम प्रतिवेदन पेश कराना हैं। पिछले तीन सालों में आमनाला गांव पुलिस और हरवंश सिंह के बीच एक रोचक त्रिकोण बना दिखा जिसमें चौथे कोण के रूप में भाजपा मौजूद तो रही लेकिन अपनी सरकार के रहते हुये भी पुलिस से नियमानुसार कार्यवाही तक नहीं करवा पायी हैं। वैसे भी भाजपा और हरवंश सिंह के बीच सांठ गांठ की बात केोई नयी नही हैं। ऐसे हालातों में यदि पुलिस का पलड़ा कहीं झुका दिखायी दे तो भला आश्चर्य का क्या बात हें। सख्ती और निष्पक्षता दिखाने के लिये पूरा जिला जो पड़ा है।
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