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22.7.10

सचिन की आत्मकथा से करोड़ो प्रशंसकों को निराशा

 चिन के प्रशंसको के एक वर्ग को खासी प्रसन्नता हो सकती है यह जानकर कि सचिन की आत्मकथा छपकर आने जा रही है। किताब के रूप में वे सचिन को अपने पास सहेजकर रख सकेंगे। महान खिलाड़ी के प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जिसे इस खबर से प्रसन्नता से अधिक निराशा हो रही है उसके अपने-अपने कारण हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि वे शायद ही सचिन की आत्मकथा को खरीद सके और तो और शायद ही उन्हें यह पढऩे को नसीब हो, क्योंकि सचिन की आत्मकथा की कीमत बहुत अधिक है। 
   ........ अद्भुत सचिन की तरह उनकी आत्मकथा को भी अद्भुत बनाया जा रहा है। किताब का नाम होगा तेंदुलकर ओपस (Tendulkar opus) आत्मकथा के प्रारंभिक दस संस्करण बहुत ही खास रहने वाले हैं। इनके हस्ताक्षर पृष्ठ में सचिन के खून के कतरे मिलाए जाएंगे। सचिन का खून कागज तैयार करते समय उसकी लुगदी में मिलाया जाएगा। इस पृष्ठ का रंग हल्का लाल रहेगा। उनके डीएनए की जानकारी भी इस किताब में शामिल रहेगी। इसमें 852 पृष्ठ होंगे। खास बात यह रहेगी कि इसमें सचिन से संबंधित ऐसे फोटोग्राफ्स होंगे जो पहले कहीं भी प्रकाशित नहीं हुए हैं। 2011 के क्रिकेट विश्वकप से पहले इसके बाजार में आने की उम्मीद है।
     ........ अब अगर आप इस खास किताब को खरीदने का मन बना रहे हैं तो आपको निराशा ही हाथ लगने वाली है। इसका कारण है कि इस खास संस्करण की एक प्रति की कीमत करीब 35 लाख रुपए है। अब 35 लाख रुपए एक किताब के लिए खर्च करना शायद आपके बस की बात न हो, मान लो आपके बस की है भी तो भी आप नहीं खरीद सकते क्योंकि ये सभी दस किताबों अभी से बुक हो चुकी हैं। इसके अलावा इस किताब करीब एक हजार सस्ते संस्करण निकाले जाने हैं। ये कितने सस्ते हैं यह तो इनकी कीमत सुनकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं। इनकी कीमत 90 हजार से लेकर सवा लाख रुपए तक रहने वाली है। अब ऐसे में सचिन के ऐसे करोड़ो लोगों के लिए तो इस खबर से निराशा ही होगी जो दो जून की रोटी की जुगाड़ बमुश्किल कर पाते हैं। हम-तुम जो उनसे थोड़े सी ठीक स्थिति में हैं, मन होते हुए भी किताब खरीदने की हैसियत में नहीं। अब आम पाठक यह सोचे की चलो किसी पुस्तकालय में बैठकर ही सचिन की आत्मकथा पढ़ लेंगे तो शायद यह भी संभव न हो, क्योंकि इतनी मंहगी किताब बेजार हो रहे पुस्तकालय शायद ही खरीद पाएं।

4 comments:

मनोज कुमार said...

इतनी मंहगी किताब!!!

आग़ाज़.....नयी कलम से... said...

sach hai...itni mahngi kitab hmare bas ki nahi....aur agar hm soche to ek tarah se sachin ke khoon ka iste maal..kahan tk thik hai???kash unhone ye khoon kisi jarrooratmand ko daan de diya hota.....

आग़ाज़.....नयी कलम से... said...

sach hai...itni mahngi kitab hmare bas ki nahi....aur agar hm soche to ek tarah se sachin ke khoon ka iste maal..kahan tk thik hai???kash unhone ye khoon kisi jarrooratmand ko daan de diya hota.....

आग़ाज़.....नयी कलम से... said...

sach hai...itni mahngi kitab hmare bas ki nahi....aur agar hm soche to ek tarah se sachin ke khoon ka iste maal..kahan tk thik hai???kash unhone ye khoon kisi jarrooratmand ko daan de diya hota.....