वीरेंद्र सेंगर की कलम से
मंत्रिमंडल में फेर-बदल की तैयारी है। ऐसे में सुगबुगाहट है कि इसमें मंत्रियों के ‘रिपोर्ट कार्ड’ की भूमिका होगी या नहीं। अगर वाकई में ‘रिपोर्ट कार्ड’ की कसौटी बनी, तो कई स्वनामधन्य ‘माननीयों’ का कैबिनेट में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। मेरिट रिपोर्ट का डर कई लोगों को सताने लगा है। वे पता करने में जुट गए हैं कि पीएमओ में उनके कामकाज का आकलन किस तरह से किया गया है। कुछ सहमे हुए मंत्रियों ने तो अपनी कुछ बड़ी खामियों को छिपाने के लिए तरह-तरह से सफाई देनी शुरू कर दी है। इनमें से कुछ राजनीतिक दबाव बढ़ाकर अपनी कुर्सी को टिकाए रखने की जुगाड़ में जुट गए हैं। पूरा पढ़ें बात-बेबात पर
माननीयों पर आफत
9.7.10
माननीयों पर आफत
Labels: subhash rai
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